गंगा मेला होली क्या है और क्यों मनाई जाती है?
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गंगा मेला होली क्या है और क्यों मनाई जाती है?

कानपुर की ऐतिहासिक गंगा मेला होली! जानें 2025 में यह कब मनाई जाएगी, इसकी परंपराएँ और इससे जुड़ी रोचक बातें।

गंगा मेला होली के बारे में

गंगा मेला होली उत्तर प्रदेश के कानपुर में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। यह होली के बाद आने वाले अनोखे त्योहारों में से एक है, जिसे गंगा नदी के तट पर धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन रंग-गुलाल उड़ाए जाते हैं और श्रद्धालु गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे इसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त होता है।

गंगा मेला होली क्या है

गंगा मेला, जिसे कानपुर में 'होली का मेला' भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव है। यह मेला होली के लगभग एक सप्ताह बाद आयोजित होता है और इसकी जड़ें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई हैं।

गंगा मेला होली: इतिहास और महत्व

गंगा मेला की परंपरा की शुरुआत 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान हुई थी। उस समय, ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर लिया था और होली जैसे त्योहारों के सार्वजनिक आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया था। कानपुर के व्यापारियों और स्थानीय नागरिकों ने ब्रिटिश सरकार के इस निर्णय का विरोध किया और होली नहीं मनाई। जब स्वतंत्रता सेनानियों को रिहा किया गया, तो जनता ने गंगा मेला के रूप में होली का उत्सव मनाया, जो तब से एक परंपरा बन गई।

गंगा मेला होली: उत्सव की विशेषताएं

समारोह की अवधि: कानपुर में होली का उत्सव सात दिनों तक चलता है, जिसमें गंगा मेला अंतिम दिन आयोजित होता है।

जुलूस और रंगोत्सव: इस दिन, लोग रंगों से भरे बैग और ड्रम के साथ सड़कों पर निकलते हैं। ऊंट, घोड़े, बैलगाड़ी और भैंसा ठेला जैसे पारंपरिक वाहनों का उपयोग किया जाता है, जो रंगों से सराबोर होते हैं। यह जुलूस शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं।

राष्ट्रीयता का प्रदर्शन: गंगा मेला के दिन सुबह ध्वजारोहण और राष्ट्रगान गाया जाता है। इसके बाद क्रांतिकारियों को नमन कर रंग का ठेला निकाला जाता है, जो स्वतंत्रता संग्राम के प्रति सम्मान और देशभक्ति का प्रतीक है।

गंगा मेला की तिथि 2025

2025 में, गंगा मेला 20 मार्च को अनुराधा नक्षत्र में मनाया जाएगा। यह तिथि होली के सातवें दिन आती है, जो कानपुर में होली के उत्सव का समापन करती है।

गंगा मेला होली से जुड़ा महत्व

गंगा मेला होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। यह कानपुर में होली के सातवें दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस मेले का ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व गहरा है।

स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा ऐतिहासिक महत्व

  • गंगा मेला का सीधा संबंध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से है।
  • 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान, अंग्रेजी हुकूमत ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डाल दिया था और सार्वजनिक त्योहारों को मनाने पर रोक लगा दी थी।
  • कानपुर के लोगों ने तब तक होली नहीं खेली, जब तक स्वतंत्रता सेनानियों को रिहा नहीं किया गया।
  • जब आखिरकार सेनानियों को रिहा किया गया, तो शहरवासियों ने गंगा तट पर बड़े उत्सव के साथ होली खेली, जिसे बाद में गंगा मेला नाम दिया गया।
  • यह मेला देशभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान का प्रतीक बन गया।

धार्मिक महत्व – गंगा स्नान और आस्था

  • होली के सातवें दिन गंगा मेला के दौरान गंगा स्नान करने की परंपरा है।
  • मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • इस दौरान लोग गंगा माता की पूजा और दान-पुण्य भी करते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

  • यह मेला सभी जातियों, वर्गों और धर्मों को एकजुट करने का कार्य करता है।
  • इस दिन हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी एक साथ मिलकर रंगों की होली खेलते हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द का संदेश जाता है।
  • शहरभर में रंगों से सजे जुलूस निकलते हैं, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा और लोक संगीत की धूम होती है।
  • यह कानपुर शहर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने का काम करता है।

राष्ट्रभक्ति और एकता का प्रतीक

  • गंगा मेला में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और राष्ट्रगान गाया जाता है।
  • स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके बलिदान को याद किया जाता है।
  • यह त्योहार हमें देश की आज़ादी के संघर्ष और बलिदानों की याद दिलाता है।

व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा

  • गंगा मेला के दौरान कानपुर में व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आती है।
  • मिठाइयों, रंगों, गुलाल, पारंपरिक कपड़ों और हस्तशिल्प की दुकानों पर भारी भीड़ लगती है।
  • यह स्थानीय कारीगरों और व्यापारियों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक अवसर भी प्रदान करता है।

गंगा मेला होली क्यों मनाई जाती है

गंगा मेला होली सिर्फ रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह कानपुर में होली के सातवें दिन मनाया जाता है और इसकी शुरुआत ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम से हुई थी।

स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा इतिहास

  • 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डाल दिया था और सार्वजनिक रूप से त्योहार मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • कानपुर के नागरिकों ने इस अन्याय का विरोध किया और होली नहीं मनाने का संकल्प लिया जब तक कि सभी सेनानियों को रिहा नहीं कर दिया जाता।
  • जब आखिरकार सेनानियों को छोड़ा गया, तो लोगों ने गंगा नदी के किनारे भव्य होली उत्सव मनाया, जिसे बाद में गंगा मेला के रूप में जाना जाने लगा।
  • तब से यह मेला स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया।

देशभक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक

  • यह मेला हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाइयों सहित सभी समुदायों को एकजुट करने का कार्य करता है।
  • इस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, राष्ट्रगान गाया जाता है और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
  • यह त्योहार हमें आजादी के संघर्ष और बलिदानों की याद दिलाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं, जिससे पापों का नाश और पुण्य लाभ होने की मान्यता है।
  • कानपुर में विशाल जुलूस निकाला जाता है, जिसमें लोग रंग, गुलाल और पारंपरिक पोशाकों में शामिल होते हैं।
  • यह उत्सव भारतीय संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहर को जीवंत बनाए रखता है।

व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा

  • गंगा मेला के दौरान हजारों लोग कानपुर आते हैं, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आती है।
  • स्थानीय बाजारों में मिठाइयों, रंगों, कपड़ों और हस्तशिल्प की बिक्री बढ़ जाती है।
  • यह मेला कानपुर के पर्यटन और आर्थिक विकास में भी योगदान देता है।
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Published by Sri Mandir·March 7, 2025

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