भगवान नरसिंह की आरती से पाएं उनकी कृपा और आशीर्वाद! जानिए संपूर्ण नरसिंह आरती पाठ, इसके लाभ और सही विधि, जिससे आपकी पूजा हो पूर्ण
श्री नरसिंह आरती भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को समर्पित एक भक्तिमय आरती है। भगवान नरसिंह ने अधर्म के प्रतीक हिरण्यकशिपु का वध कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। इस आरती का पाठ करने से भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है
नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये
तव करकमलवरे नखमद्भुत-शृङ्गं
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे
भगवान नरसिंह, जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं, भक्तों की रक्षा करने और सभी संकटों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी आरती करने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं और जीवन में शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से यदि किसी को भय, असुरक्षा या किसी दुष्ट शक्ति का प्रभाव महसूस हो रहा हो, तो नरसिंह जी की आरती करना अत्यंत लाभकारी होता है।
भगवान नरसिंह जी की आरती करने के लिए सबसे शुभ समय प्रदोष काल (संध्या समय) माना जाता है। इसके अतिरिक्त, नरसिंह जयंती, पूर्णिमा और एकादशी के दिन की गई आरती विशेष रूप से फलदायी होती है। शनिवार और मंगलवार को भी उनकी आरती करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है।
जी हां, सुबह और शाम दोनों समय नरसिंह जी की आरती करने से जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता बनी रहती है। प्रातःकाल की आरती दिन की शुरुआत को शुभ बनाती है, जबकि संध्या की आरती नकारात्मक शक्तियों को दूर रखती है और घर-परिवार की रक्षा करती है।
भगवान नरसिंह जी की आरती विशेष रूप से मंगल, राहु, केतु और शनि के दोषों को शांत करने में सहायक होती है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष या शत्रु बाधा हो, उन्हें नियमित रूप से नरसिंह जी की आरती करनी चाहिए। इससे ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और जीवन में उन्नति के मार्ग खुलते हैं।
जो दंपत्ति वैवाहिक जीवन में असंतोष, भय या बाहरी हस्तक्षेप से परेशान हैं, उनके लिए नरसिंह जी की आरती अत्यंत लाभकारी होती है। यह दांपत्य जीवन में प्रेम, सुरक्षा और आपसी समझ को बढ़ाती है। यदि किसी के विवाह में विलंब हो रहा हो या वैवाहिक जीवन में कलह चल रही हो, तो नरसिंह जी की आरती करने से समाधान प्राप्त होता है।
नरसिंह जी की आरती करने से नौकरी में स्थायित्व और व्यवसाय में वृद्धि होती है। जो लोग लंबे समय से बेरोजगारी से परेशान हैं या व्यापार में नुकसान का सामना कर रहे हैं, उन्हें विशेष रूप से नरसिंह जी की आरती करनी चाहिए। इससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और करियर में नए अवसर प्राप्त होते हैं।
पितृ दोष को शांत करने के लिए अमावस्या, पूर्णिमा और नरसिंह जयंती के दिन विशेष रूप से उनकी आरती करनी चाहिए। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाना और भगवान नरसिंह के 108 नामों का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भगवान नरसिंह को लाल और पीले रंग के वस्त्र प्रिय हैं। इसलिए उनकी आरती करते समय इन रंगों के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। लाल रंग शक्ति और साहस का प्रतीक है, जबकि पीला रंग ज्ञान और भक्ति का प्रतीक है।
भगवान नरसिंह जी की आरती करने से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह शत्रु बाधा, भय, ग्रह दोष, वैवाहिक समस्याओं और आर्थिक संकट को दूर करने में सहायक होती है। नियमित रूप से नरसिंह जी की आरती करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाएं।
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