गणपति के पीछे दर्पण क्यों रखा जाता है?
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गणपति के पीछे दर्पण क्यों रखा जाता है?

क्या आप जानते हैं गणपति के पीछे दर्पण रखने से घर में शुभ ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ता है? जानें इसके पीछे की परंपरा और फायदे।

गणपति के पीछे दर्पण रखने के बारे में

गणेश जी की मूर्ति के पीछे दर्पण लगाने के पीछे कई सारे कारण हैं जिसमें वास्तु शास्त्र भी शामिल है, इसके साथ ही धार्मिक परंपरा भी इससे जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की पीठ देखना शुभ नहीं होता, क्योंकि मान्यता है कि उनकी पीठ की ओर दरिद्रता रहती है। इसी कारण उनकी पीठ को छिपाने के लिए पीछे दर्पण लगाया जाता है।

गणपति के पीछे दर्पण क्यों रखा जाता है? जानें कारण

गणेश जी की मूर्ति के पीछे दर्पण लगाना केवल सजावटी उद्देश्य नहीं रखता, बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और मानसिक भावनाएँ जुड़ी होती हैं। जब दर्पण में भगवान गणेश का प्रतिबिंब नजर आता है, तो यह माना जाता है कि उनकी उपस्थिति केवल मूर्ति तक सीमित नहीं रहती, बल्कि वे चारों दिशाओं में अपनी कृपा और ऊर्जा के साथ विद्यमान हैं।

इसके पीछे कुछ खास मान्यताएँ जुड़ी होती हैं:

1. ईश्वर की उपस्थिति को और महसूस करना: जब गणपति की प्रतिमा के पीछे दर्पण लगाया जाता है, तो उसमें उनकी छवि भी झलकती है। मान्यता है कि इससे उनके होने का अनुभव और गहरा हो जाता है – ऐसा लगता है जैसे वे सिर्फ मूर्ति में नहीं, बल्कि चारों ओर अपनी ऊर्जा और आशीर्वाद के साथ मौजूद हैं। इससे पूजा का माहौल और पवित्र बनता है।

2. आत्मनिरीक्षण की प्रेरणा: दर्पण केवल शोभा बढ़ाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि स्वयं को समझने और सुधारने का प्रतीक माना जाता है। जैसे हम भगवान को देखने के लिए भाव-विभोर होते हैं, वैसे ही दर्पण हमें याद दिलाता है कि खुद के भीतर झांकना भी जरूरी है। यह हमें अपने व्यवहार, सोच और भावनाओं को बेहतर बनाने का संकेत देता है।

3. सकारात्मकता को फैलाने में मददगार: वास्तु शास्त्र बताता है कि दर्पण ऊर्जा को लौटाने का काम करता है। पूजा स्थान पर सही दिशा में रखा दर्पण सकारात्मक ऊर्जा को चारों ओर फैलाता है, जिससे घर या पंडाल का माहौल शांतिपूर्ण और ऊर्जा से भरपूर रहता है। यह वातावरण को सात्त्विक और ध्यान योग्य बना देता है।

4. सजावट और आकर्षण बढ़ाने हेतु: दर्पण मूर्ति की सुंदरता को दोगुना कर देता है। जब उसमें गणेश जी की झलक पड़ती है, तो दृश्य और भी मनमोहक हो जाता है। खासकर गणेश उत्सव जैसे अवसरों पर, जब पंडाल और घरों को सजाया जाता है, तब दर्पण एक कलात्मक और सौंदर्यपूर्ण स्पर्श देता है।

5. भक्ति और एकाग्रता में सहायक: जब भक्त मूर्ति के साथ उसका प्रतिबिंब भी देखता है, तो पूजा में एकाग्रता और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ जाता है। दो छवियाँ एक साथ दिखने से मन जल्दी स्थिर होता है, जिससे श्रद्धा और ध्यान गहराते हैं। यह पूजा को न सिर्फ सुंदर, बल्कि आत्मिक रूप से भी गहरा बनाता है।

निष्कर्ष

गणेश जी की मूर्ति के पीछे दर्पण लगाने की परंपरा सिर्फ सजावट के लिए नहीं होती, बल्कि इसके पीछे एक गहरा भाव छुपा होता है। यह हमें भगवान की उपस्थिति का अहसास कराता है, अपने अंदर झांकने की प्रेरणा देता है और पूजा के स्थान पर अच्छी ऊर्जा फैलाने में मदद करता है।

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Published by Sri Mandir·August 18, 2025

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