गणेश जी को क्या पसंद है?
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

गणेश जी को क्या पसंद है?

क्या आप जानते हैं गणेश जी को किन चीजों का भोग और अर्पण सबसे प्रिय है? जानें उनके पसंदीदा भोग, फूल, पत्ते और पूजन सामग्री।

गणेश जी की पसंद के बारे में

गणेश जी को मोदक, दूर्वा घास, लाल फूल, सिंदूर और केले के पत्ते बहुत पसंद हैं। वे लाल रंग, मीठे पकवान और शुद्ध, सरल भोग को प्रिय मानते हैं। भक्ति और सादगी से किया गया पूजन उन्हें विशेष प्रिय होता है।

गणेश जी को क्या पसंद है? उनकी प्रिय वस्तुएं और उनका महत्व

भगवान गणेश, हिंदू धर्म के प्रथम पूज्य देवता हैं। उन्हें विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता, समृद्धि और सौभाग्य के दाता के रूप में जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य या पूजा की शुरुआत से पहले गणेश जी का आह्वान करना अनिवार्य माना जाता है, ताकि वे सभी बाधाओं को दूर करें और कार्य को निर्विघ्न संपन्न करें। गणेश जी अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष वस्तुएँ अर्पित की जाती हैं जिनका धार्मिक, प्रतीकात्मक और कभी-कभी औषधीय महत्व भी होता है।

गणेश जी को कौन-कौन से भोग पसंद हैं?

भगवान गणेश को अनेक प्रकार के भोग पसंद हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो उन्हें विशेष रूप से प्रिय हैं और जिनके बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है:

1. मोदक – प्रियतम भोग

मोदक गणेश जी का सबसे प्रिय भोग है। यह मिठाई मराठी परंपरा में ‘खुशी का टुकड़ा’ मानी जाती है।

पौराणिक कथा: एक कथा अनुसार, ऋषि अत्रि के आश्रम में देवी अनुसूया ने गणेश जी को विशेष मोदक अर्पित किया था, जिसे खाते ही वे संतुष्ट हो गए। उन्होंने वरदान दिया कि जो भक्त उन्हें मोदक अर्पित करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी। प्रकार: उकडीचे मोदक (भाप में पके हुए), बेसन या सूजी के मोदक। गणेश चतुर्थी पर विशेष रूप से बनाए जाते हैं।

2. लड्डू

बेसन, बूंदी और मोतीचूर के लड्डू गणेश जी को अत्यंत प्रिय हैं। यह मिठास और ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं।

3. दूर्वा घास

यह कोई खाद्य भोग नहीं है, लेकिन गणेश जी को दूर्वा घास अत्यंत प्रिय है। दूर्वा की 21 गांठों (तिकोनी पत्तियों) को मिलाकर एक माला बनाकर उन्हें अर्पित किया जाता है।

पौराणिक कथा: एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, अनलासुर नामक एक भयानक राक्षस था जो तीनों लोकों में आतंक फैलाए हुए था। वह जिसे भी देखता, उसे निगल जाता। जब देवता भी उससे भयभीत हो उठे, तब भगवान गणेश ने उसका अंत करने का निश्चय किया और उसे निगलकर समस्त लोकों को उसके आतंक से मुक्त कर दिया।" जिससे उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कुछ ऋषियों ने उन्हें 21 दूर्वा अर्पित की, जिसे खाते ही गणेश जी की जलन शांत हो गई। तब से दूर्वा उन्हें अत्यंत प्रिय हो गई।
महत्व: दूर्वा पवित्रता, प्रजनन क्षमता और लंबी आयु का प्रतीक है।

4. केला

केला और उसके पत्ते गणेश पूजा में शुभ माने जाते हैं। कहीं-कहीं केले के पौधे को गणेश जी की बहन केला माता का प्रतीक माना जाता है।

5. नारियल

नारियल को शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसे तोड़कर इसका जल और गिरी दोनों अर्पित की जाती हैं।

6. मिठाइयाँ और पंचामृत

हलवा, जलेबी, और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ भी अर्पित की जाती हैं। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) स्नान या भोग के रूप में प्रयोग होता है।

कौन-कौन से फूल गणेश जी को पसंद हैं?

फूल पूजा का एक अभिन्न अंग हैं और गणेश जी को कुछ विशेष फूल अत्यंत प्रिय हैं:

  • लाल गुड़हल: यह उनका सबसे प्रिय फूल माना जाता है। लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है, जो गणेश जी के स्वरूप से मेल खाता है।
  • गेंदा फूल: गेंदा फूल शुभता का प्रतीक है और यह भी गणेश जी को चढ़ाया जाता है, खासकर नारंगी या पीले रंग के गेंदे।
  • पारिजात: पारिजात का फूल गणेश जी को अर्पित करने से संतान से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और भगवान प्रसन्न होते हैं।
  • अपराजिता: अपराजिता का फूल गणेश जी को अर्पित करने से विवाह में आ रही बाधाओं से समाधान मिलता है।
  • अन्य फूल: मोतिया, चमेली और अन्य सुगंधित फूल भी गणेश जी को चढ़ाए जा सकते हैं, लेकिन गुड़हल का फूल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

गणेश चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा में चढ़ाई जाने वाली सामग्री

भोग और फूलों के अतिरिक्त, गणेश जी की पूजा में कुछ अन्य सामग्री भी उन्हें अत्यंत प्रिय होती है:

  • सिंदूर: गणेश जी को लाल सिंदूर अति प्रिय है। उनके शरीर पर सिंदूर का लेप करने से समृद्धि और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
  • शमी पत्र: शमी का पत्ता भी गणेश जी को प्रिय है। इसे शनि देव से भी जोड़ा जाता है, और शमी पत्र चढ़ाने से शनि के दोष भी कम होते हैं।
  • तिलक: चंदन का तिलक (खासकर लाल चंदन) गणेश जी को लगाया जाता है। यह शीतलता और पवित्रता का प्रतीक है।
  • दीप और धूप: पूजा में दीपक जलाना और धूप जलाना अनिवार्य है। दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है और धूप वातावरण को शुद्ध करती है।
  • कपूर: कपूर आरती में जलाया जाता है, जो दिव्यता और शुद्धता का प्रतीक है।
  • मोती: कहा जाता है कि मोती गणेश जी को प्रिय हैं, और कुछ भक्त उन्हें मोतियों की माला या छोटे मोती अर्पित करते हैं।
  • मूषक (चूहा) की मूर्ति: गणेश जी का वाहन मूषक है। पूजा में गणेश जी के साथ मूषक की छोटी मूर्ति रखना शुभ माना जाता है, क्योंकि मूषक शक्ति के प्रतीक हैं और गणेश जी के हर कार्य में उनके साथ रहते हैं।

निष्कर्ष

गणेश जी को प्रसन्न करना सरल है क्योंकि वे भाव के भूखे हैं, न कि भोग के। जो वस्तुएँ उन्हें प्रिय हैं जैसे मोदक, दूर्वा, गुड़हल और सिंदूर, वे केवल पूजा सामग्री नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक प्रतीकों से युक्त हैं। इन वस्तुओं को श्रद्धा और प्रेम से अर्पित करने पर वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के जीवन से सभी विघ्नों को दूर करते हैं, साथ ही उन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं।

divider
Published by Sri Mandir·August 18, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook