क्या आप जानते हैं घर में गणेश जी की पूजा कब और कैसे करनी चाहिए? जानें सही विधि, पूजन सामग्री और मंत्र जिससे पूरी हों सभी मनोकामनाएं।
घर में गणेश जी की पूजा में साफ-सुथरी जगह पर प्रतिमा स्थापित करें। लाल या पीले फूल, धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित करें। मंत्रों का जप और भक्तिभाव से पूजा करने से सुख, समृद्धि और बाधा निवारण होता है।
गणेश चतुर्थी हर वर्ष भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इसे गणेश जयंती भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ था। मान्यता है कि माता पार्वती ने उबटन से गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूंके। तभी से यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करते हैं।
चतुर्थी तिथि 27 अगस्त (बुधवार) को दिन में पड़ने के कारण, मुख्य पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।
पूजा स्थल की सफाई करें: पूजा आरंभ करने से पहले पूरे घर और खासकर पूजा के स्थान को अच्छी तरह साफ करें। जहां गणेश जी की स्थापना करनी है, वहाँ साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
गणेश प्रतिमा की स्थापना करें: गणेश जी की मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा को चौकी पर रखें। ध्यान रखें कि प्रतिमा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित हो।
चौकी और पूजा स्थान को सजाएं: जिस जगह प्रतिमा स्थापित की गई है, वहाँ हल्दी और कुमकुम से स्वस्तिक या शुभ चिह्न बनाएं। इससे पूजा का स्थान आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक हो जाता है।
मूर्ति का स्नान (अभिषेक) करें: गणेश जी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान करा सकते हैं। यदि यह संभव न हो तो शुद्ध जल या गंगाजल से हल्का छिड़काव करें।
गणेश जी का स्वागत करें (आवाहन): दोनों हाथ जोड़कर भगवान गणेश का ध्यान करें और निवेदन करें कि वे पूजा में विराजमान हों। श्रद्धा से “श्री गणेशाय नमः” या अन्य प्रार्थना बोल सकते हैं।
पूजन सामग्री अर्पित करें: गणेश जी को रोली, चंदन, अक्षत (चावल), दूर्वा (21 पत्ते), सुगंध, और पुष्प अर्पित करें। यह सामग्री श्रद्धा और शुद्धता से चढ़ाएं।
वस्त्र और फूलों से श्रृंगार करें: अगर संभव हो तो गणेश जी के लिए छोटा वस्त्र, रूमाल या अंगोछा अर्पित करें। इसके साथ फूलों की माला पहनाएं जिससे प्रतिमा सुंदर लगे।
भोग (नैवेद्य) चढ़ाएं: मोदक, लड्डू, फल, नारियल, और मेवे जैसे प्रसाद भगवान को अर्पित करें। मोदक को विशेष रूप से प्रिय माना जाता है।
धूप और दीप जलाएं: अगरबत्ती और दीपक जलाकर पूजा स्थल को शुद्ध और सुगंधित करें। इससे सकारात्मक वातावरण बनता है।
आरती करें: गणेश जी की आरती करें। जैसे "जय गणेश देवा..." या "सुखकर्ता दुःखहर्ता...". आरती के समय घंटी या थाली बजा सकते हैं।
मंत्र जाप और विनती करें: “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप 11, 21 या 108 बार करें। साथ ही मन की बात भगवान के सामने रखें।
प्रसाद वितरित करें: पूजा समाप्त होने के बाद भोग रूपी प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बाँटें।
प्रदक्षिणा और नमस्कार करें: गणेश जी की प्रतिमा के चारों ओर श्रद्धा से तीन या पाँच बार घूमकर परिक्रमा करें और फिर उनके चरणों में विनम्रता से सिर झुकाकर प्रणाम करें।
** संकल्प का पालन करें:** अगर आपने व्रत या कोई विशेष नियम लिया है, तो उसका पालन ईमानदारी से करें।
मूर्ति विसर्जन (अगर मिट्टी की हो): गणेश जी की मूर्ति को 1.5, 3 या 10 दिन बाद घर में ही बाल्टी, गमला या किसी पात्र में शुद्ध जल के साथ विसर्जित करें। पर्यावरण का ध्यान रखें।
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। भारत के कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
गणेश जी के अवतरण का दिन: इस तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश का प्राकट्य हुआ था। वे ऐसे देवता माने जाते हैं जो हर प्रकार के विघ्न और संकट को दूर करते हैं।
समृद्धि और शुभता का प्रतीक: भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में खुशहाली, सौभाग्य और शांति का वातावरण बनता है। वे ज्ञान, विवेक और कार्यों की सिद्धि के अधिष्ठाता माने जाते हैं।
हर शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन का विधान: हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार, किसी भी नए काम की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही की जाती है। वे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं, जो कार्य की सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
भक्ति और सामूहिकता का प्रतीक: गणेश चतुर्थी का पर्व लोगों को आपस में जोड़ने का कार्य करता है। मोहल्लों और कॉलोनियों में सजावट के साथ गणेश पंडाल लगाए जाते हैं, जहां मिलकर आरती, भजन और पूजा की जाती है।
लोककला और संस्कृति को प्रोत्साहन: इस पर्व के माध्यम से पारंपरिक संगीत, नृत्य, चित्रकारी और हस्तकला को मंच मिलता है। लोग अपनी सांस्कृतिक प्रतिभा को प्रस्तुत करते हैं, जिससे परंपराएं जीवित रहती हैं।
गणेश चतुर्थी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, परंपरा और जीवन मूल्यों का प्रतीक है। यह उत्सव हमें यह प्रेरणा देता है कि भक्ति, बुद्धिमत्ता और सकारात्मक सोच से किसी भी परेशानी को दूर कर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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