क्या आप जानते हैं गणेश जी की मूर्ति खरीदने के लिए कौन सा दिन और मुहूर्त सबसे शुभ माना जाता है? जानें इसके पीछे की मान्यता और लाभ।
गणेश चतुर्थी जो 10 दिनों तक बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। इस अवसर पर उनकी विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। वहीं, इस दिन कई जगहों और घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है, लेकिन कई लोग इस बात को लेकर भ्रमित रहते हैं कि मूर्ति किस दिन और किस प्रकार की खरीदनी चाहिए। तो इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि गणेश जी की मूर्ति खरीदने का शुभ दिन कौन-सा होता है और इसके पीछे धार्मिक कारण क्या हैं।
गणेश जी जोकि विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और शुभता का प्रतीक के माने जाते हैं। उनके पूजन से जीवन में नई शुरुआत, सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसे में गणेश जी की मूर्ति की खरीददारी करने वक्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
जानकारी के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति तो कभी भी खरीद सकते हैं, लेकिन दो दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। एक धनतेरस और दूसरा गणेश चतुर्थी। इन दोनों ही तिथियों का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है और इन पर गणेश जी की मूर्ति खरीदकर पूजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इस दिन विशेष रूप से उनकी मूर्ति को घर लाकर स्थापना की जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसारस, इस दिन गणपति बप्पा को घर लाकर 1 दिन से लेकर 10 दिन तक विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन खरीदी गई गणेश मूर्ति का पूजन करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और नई शुरुआत का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धनतेरस दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला पर्व है। इस दिन लक्ष्मी माता और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, साथ ही लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को घर लाकर स्थापित करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति घर लाने से वर्षभर घर में सुख, समृद्धि और वैभव बना रहता है।
गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय केवल शुभ तिथि ही नहीं, बल्कि मूर्ति के आकार, स्वरूप और सामग्री का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
मिट्टी की मूर्ति: जानकारी के अनुसार, धार्मिक दृष्टि से शुद्धता और पवित्रता के लिए गणपति की मिट्टी की मूर्ति श्रेष्ठ मानी जाती है।
बैठे हुए रूप में हो मूर्ति : गणपति की यह मुद्रा शांति, स्थिरता और सुख-समृद्धि का प्रतीक होती है। इसलिए मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में खरीदनी चाहिए।
सूंड का रखें ध्यान: जानकारी के अनुसार, गणपति की मूर्ति खरीदते वक्त सूंड का ध्यान जरूर रखना चाहिए। उनकी सूंड दाईं तरफ हो ये जरूर देखकर लें।
मूषक और मोदक का हो साथ: वैसे तो सिर्फ गणपित की मूर्ति भी खऱीद सकते हैं, लेकिन मूषक और मोदक ये दोनों गणेश जी के प्रिय हैं। ऐशे में मूर्ति में इनका साथ होना संपूर्णता का संकेत देता है।
जनेऊधारी मूर्ति: यदि मूर्ति जनेऊधारी हो तो बहुत अच्छा होता है। यह ज्ञान और परंपरा से जुड़ा प्रतीक है, जिससे पूजन की पूर्णता मानी जाती है।
मूर्ति खरीदने के साीथ ही उसकी स्थापना भी एक अहम प्रक्रिया है और उसे सही दिशा और स्थान में स्थापित करना आवश्यक होता है।
ईशान कोण: ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा को घर का सबसे शुभ और पवित्र स्थान माना जाता है।
मुख उत्तर दिशा की ओर: गणेश जी का मुख उत्तर दिशा की ओर रहे तो घर में धन और ज्ञान का संचार होता है। इसी के साथ ही मूर्ति को साफ-सुथरे और ऊँचे स्थान पर रखें जिससे पूजन में ऊर्जा बनी रहे और सकारात्मकता का संचार भई हो। इसके अलावा मूर्ति खरीदते समय दिन, स्थान, दिशा और शुभ मुहुर्त के बारे में एक बार किसी विशेषज्ञ या पंडित से जानकारी जरूर लेनी चाहिए।
गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय बताई गई सभी महत्वपर्ण बातों का पालन करने से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि भी बनी रहती है। इसलिए, गणेश जी की मूर्ति का चयन और स्थापना सिर्फ परंपरा नहीं, एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो भक्त और भगवान के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करती है।
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