गणेश चतुर्थी स्थापना कैसे करें?
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गणेश चतुर्थी स्थापना कैसे करें?

क्या आप जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की स्थापना कब और कैसे करनी चाहिए? जानें सही विधि, सामग्री और मंत्र जिससे मिले विघ्नहर्ता का आशीर्वाद।

गणेश जी की मूर्ती स्थापना के बारे में

गणेश जी की मूर्ति स्थापना हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान गणेश को घर या पंडाल में विधिवत स्थापित किया जाता है। यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और शुभारंभ के प्रतीक गणपति बप्पा के स्वागत का प्रतीक है। स्थापना के समय वातावरण भक्तिमय और ऊर्जा से भर जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है। इस लेख में जानिए गणेश जी की मूर्ति स्थापना की सही विधि, धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।

गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त 2025

गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को पूरे देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में जाना जाता है, जब लोग घरों, पंडालों में गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं। 2025 में गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त में गणपति स्थापना करना विशेष फलदायक माना जाता है, क्योंकि इससे घर में सुख-समृद्धि, बुद्धि और सौभाग्य का वास होता है। पूजा विधि, मुहूर्त और तिथि की सटीक जानकारी के साथ गणपति स्थापना से जुड़े नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि भगवान गणेश की कृपा संपूर्ण रूप से प्राप्त हो सके।

गणपति स्थापना शुभ मुहूर्त- 11:05 AM से 01:40 PM तक चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 26 अगस्त, 2025 को 01:54 PM बजे चतुर्थी तिथि समाप्त- 27 अगस्त, 2025 को 03:44 PM बजे

घर पर गणपति स्थापना की तैयारी

गणेश चतुर्थी पर घर में गणपति बप्पा की स्थापना करना शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। यदि आप घर पर गणपति लाने की योजना बना रहे हैं, तो उसकी तैयारी कुछ दिन पहले से कुछ इस तरह शुरू कर देनी चाहिए।

  • गणेश चतुर्थी से पहले, घर को अच्छी तरह से साफ करें, खासकर उस स्थान को जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
  • पूजा स्थान को तोरण, फूल, और पत्तियों से सजाएं। कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदियां लगाएं।
  • गणेश जी को स्थापित करने के लिए एक चौकी या बाजोट लें, उस पर लाल, पीला या केसरिया रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल से साफ करें, और फिर चौकी पर स्थापित करें।
  • गणेश जी की मूर्ति के दाहिनी ओर कलश स्थापित करें, उसमें जल भरें, आम के पत्ते रखें, और नारियल रखें।
  • गणेश जी को तिलक लगाएं, अक्षत, फूल, और मिठाई चढ़ाएं। धूप, दीप जलाएं, और आरती करें।
  • पूजा के दौरान, "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें।
  • गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं, आरती करें और फिर सभी को प्रसाद वितरित करें।

गणपति स्थापना विधि

  • गणेश जी की स्थापना के लिए एक पवित्र और शांत स्थान चुनें।
  • उस स्थान को अच्छी तरह से साफ करें और गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • आप चाहें तो स्वास्तिक बनाकर उस पर हल्दी से 4 बिंदियां भी लगा सकते हैं।
  • एक लकड़ी की चौकी या बाजोट पर लाल, केसरिया या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • आप चाहें तो कपड़े पर अक्षत (चावल) भी रख सकते हैं।
  • गणेश जी की मूर्ति को विधि-विधान से स्थापित करें।
  • मूर्ति को आसन पर रखने से पहले, उसे गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  • गणेश जी के दाहिने तरफ कलश स्थापित करें।
  • कलश में शुद्ध जल भरें और उसमें आम के पत्ते, सिक्का, अक्षत और सुपारी डालें।
  • कलश के ऊपर नारियल रखें और उस पर मौली बांधें।
  • गणेश जी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराएं।
  • इसके बाद, शुद्ध जल से स्नान कराएं।
  • गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें।
  • उन्हें चंदन, सिंदूर, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले फूल और फल चढ़ाएं।
  • दूर्वा (दूब) अवश्य चढ़ाएं।
  • गणेश जी की आरती करें।
  • आरती के बाद, गणेश जी से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
  • अंत में, सभी को प्रसाद वितरित करें।

भगवान गणपती भोग और प्रसाद

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उन्हें विशेष प्रकार का भोग और प्रसाद अर्पित किया जाता है। वे स्वादिष्ट, सरल और शुद्ध चीजों के प्रेमी माने जाते हैं। आइए जानते हैं गणपति बप्पा को चढ़ाए जाने वाले प्रमुख भोग और प्रसाद के बारे में।

मोदक

  • गणेश जी को मोदक अत्यंत प्रिय हैं, खासकर स्टीम्ड (उकडीचे) मोदक। नारियल और गुड़ से भरकर चावल के आटे से बनाए जाते हैं।

लड्डू

  • बेसन, सूजी या नारियल से बने लड्डू भी गणपति को बहुत पसंद हैं। विशेष रूप से तिल-गुड़ के लड्डू और मूंगफली लड्डू चढ़ाए जाते हैं।

ताजे फल

  • केले, सेब, अनार, अंगूर, सिंघाड़ा आदि फल चढ़ाना शुभ माना जाता है। खासकर केला और अमरूद भगवान गणेश को पसंद हैं।

पंचामृत

  • दूध, दही, शहद, घी और शक्कर मिलाकर बनाया जाता है। मूर्ति स्नान और प्रसाद दोनों रूप में इसका प्रयोग होता है।

दूर्वा घास

  • भगवान गणेश को तीन या इक्कीस पत्तियों वाली दूर्वा अर्पित की जाती है। यह कोई खाद्य भोग नहीं है, पर पूजन में अनिवार्य होती है।

नारियल

  • नारियल को तोड़कर गणेश जी को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।

गुड़ और चना

  • गुड़ और भुने हुए चने का भोग भी पारंपरिक रूप से चढ़ाया जाता है।

पकवान और खीर

  • विशेष अवसरों पर सात्विक भोजन, जैसे खीर, पूड़ी, हलवा आदि भी भोग में अर्पित किए जाते हैं।

पान के पत्ते और सुपारी

  • कुछ जगहों पर पान और सुपारी भी अर्पित की जाती है।
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Published by Sri Mandir·August 18, 2025

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