गणेश चतुर्थी ओडिशा 2025, जानें ओडिशा में गणपति बप्पा की स्थापना, पूजा विधि, प्रसिद्ध पंडाल, विसर्जन स्थल और धार्मिक-सांस्कृतिक उत्सव की विशेषताएँ।
विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी इस पर्व की रौनक अब हर जगह देखने को मिल रही है। साधक इस दिन अपने-अपने रिति-रिवाजों के अनुसार बप्पा की विधिवत पूजा और प्रतिमा स्थापना करते हैं। मगर कई बार तैयारी और स्थापना की सही विधि नहीं मालूम रहती औऱ उत्सव से पहले कैसी तैयारी करनी चाहिए इसका भी नहीं पता होता। आइए इस लेख में जानते हैं ओडिशा में गणेश चतुर्थी का महत्व, उत्सव की खास झलकियां और इससे जुड़ी परंपराएं।
जब गणेश चतुर्थी की बात होती है, तो अक्सर मुंबई के विशाल पंडाल और उत्साहपूर्ण छवि सामने आती है, लेकिन अब ओडिशा भी इस सांस्कृतिक उत्सव की रौनक में किसी से कम नहीं। यहां भी भगवान गणेश का पर्व उतनी ही श्रद्धा, भव्यता और सांस्कृतिक समर्पण के साथ मनाया जाता है जितना कि मुंबई में। हर गली, मोहल्ले और पूजा पंडाल में भक्तों का उल्लास देखने लायक होता है।ओडिशा में गणेश चतुर्थी, जिसे स्थानीय ओड़िया कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, विघ्नहर्ता गणेश के स्वागत का सबसे विशेष दिन होता है।
यह पर्व राज्य के हर वर्ग के लोगों द्वारा पूरी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। भुवनेश्वर, कटक, ब्रह्मपुर और तालचेर जैसे प्रमुख शहरों में भव्य पंडाल सजते हैं, जिनमें कुछ पंडाल अपनी रचनात्मक मूर्तियों, अनूठी सजावट और जीवंत रोशनी के लिए विशेष प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों को भी गणपति की थीम पर सजाया जाता है। कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भक्ति संगीत, मीना बाजार और बच्चों के लिए खेलों का आयोजन किया जाता है। पारंपिरक व्यंजन, सजावद , बाजर में रौनक आदि देखने के मिलती है।
इसके अलावा पर्यावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए कई मूर्तियाँ इको-फ्रेंडली सामग्री से बनाई जाती हैं, जिनका विसर्जन धूमधाम के साथ किया जाता है। ओडिशा में यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि सामूहिक आनंद और सांस्कृतिक समर्पण का प्रतीक बन चुका है।
भगवान गणेश के स्वागत की तैयारी जितनी श्रद्धा से की जाती है, उतना ही उनका आगमन आनंदमय होता है। यदि इस पर्व की तैयारी सही योजना और धार्मिक विधि-विधान से की जाए, तो यह घर-परिवार में शुभ ऊर्जा और सौभाग्य का संचार करता है। तो आइए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी की तैयारी कैसे करें, ताकि बप्पा का आगमन भव्य, भक्तिपूर्ण हो।
साफ-सफाई और पवित्रताः गणेश चतुर्थी से कुछ दिन पहले ही पूरे घर की साफ-सफाई कर लें, विशेषकर पूजा स्थल की। शुद्धता भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करना और स्वच्छ वातावरण बनाना अनिवार्य है।
पूजा स्थल का चयन और सजावटः गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए पूजा स्थल का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह स्थान शांत, स्थिर और घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में होना चाहिए। वहाँ लाल या पीले रंग का शुद्ध कपड़ा बिछाकर तोरण, फूलों, रंगोली और दीपों से सुंदर सजावट करें ताकि वातावरण भक्तिमय हो।
मूर्ति का चयनः सबसे बड़ी दुविधा को पहले दूर करें औऱ सही मूर्ति का चयन करें जैसे मिट्टी से बनी इको फ्रैंडली मूर्ति चुनें। मूर्ति की सूंड उसके संग औऱ भी चीजें जो हो विधि पूर्वक हो इसका ध्यान जरूर पहले से रखें।
आवश्यक पूजा सामग्रीः पूजा के लिए लड्डू, मोदक, फूल, दूर्वा, रोली, चंदन, दीपक, धूप, कपूर, नारियल, पंचामृत आदि सभी सामग्री समय से पहले जुटा लें।
संगीत और आरती की व्यवस्थाः भक्ति गीत, आरती पुस्तकें या रिकॉर्डिंग पहले से रखें जिससे पूजा का भाव जागृत हो और इसमें बच्चों को भी जरूर शामिल करें।
भोग और सांस्कृतिक योजनाः भोग में गणपति के प्रिय मोदक और मिठाइयाँ बनाएं। मेहमानों के लिए प्रसाद और बच्चों के मनोरंजन के लिए गतिविधियाँ तय करें।
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया है, जिनकी स्थापना शुभता, सौभाग्य और विघ्नों के नाश का प्रतीक मानी जाती है। इसलिए घर में बप्पा की स्थापना एक विशिष्ट प्रक्रिया के अंतर्गत की जाती है। यहां हम आपको बता रहे हैं गणेश स्थापना की संपूर्ण विधि ताकि आप श्रद्धापूर्वक इस पर्व को पूर्णता के साथ मना सकें।
ब्रह्म मुहूर्त और स्थापना स्थल का चयन: गणेश स्थापना के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। वहाँ गंगाजल छिड़ककर उस स्थान को शुद्ध करें।
गणेश प्रतिमा की शुद्धिः एक लकड़ी की चौकी लें, उस पर लाल या पीले रंग का नया कपड़ा बिछाएं। कपड़े के ऊपर अक्षत (चावल) छिड़कें और चौकी को पुष्पों से सजाएं। फिर गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं और शुद्ध हाथों से उन्हें चौकी पर विराजित करें।
अर्पित करें पूजा सामग्रीः चौकी के सामने बैठकर घी का दीपक और धूप जलाएं। दीप प्रज्वलन से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता फैलती है। गणपति को 21 दूर्वा, फूल, रोली, चंदन और वस्त्र अर्पित करें। यह पूजन का अत्यंत आवश्यक भाग होता है।
भोग अर्पण और मंत्रों का जापः मोदक, लड्डू, नारियल, फल आदि का भोग गणपति बप्पा को अर्पित करें। मोदक गणेश जी का सबसे प्रिय मिष्ठान माना जाता है और गणेश जी की आराधना के लिए ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा, ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः…ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्॥ आदि मंत्रों का जाप करें।
आरती और मंगलमय की कामनाः पूजन के अंत में श्रद्धा और भक्ति से गणपति बप्पा की आरती करें। इसके बाद प्रसाद वितरित करें औऱ भगवान से जीवन में मंगल होने की प्रार्थना करें। गणेश स्थापना सही विधि से करने पर घर में सौभाग्य, शांति और मंगल की ऊर्जा प्रवाहित होती है। यह न केवल एक पूजा, बल्कि बप्पा के साथ जीवन में शुभता का स्वागत है।
Did you like this article?
जानें गणेश चतुर्थी पर क्या करना चाहिए, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत नियम और पूजन सामग्री की सूची। श्री गणेश की कृपा पाने के लिए सही मंत्र और अनुष्ठान पढ़ें।
Ganesh Chaturthi Varanasi 2025, जानिए वाराणसी में गणेश चतुर्थी की तिथि, पूजा विधि, प्रमुख मंदिरों के उत्सव, पारंपरिक झांकियाँ, विसर्जन स्थल और धार्मिक महत्व।
Ganesh Chaturthi Pune 2025, जानिए पुणे में गणेश चतुर्थी की तिथि, पूजा विधि, कस्बा गणपति और दगडूशेठ हलवाई गणपति जैसे प्रमुख पंडाल, भव्य झांकियाँ और सांस्कृतिक उत्सव का महत्व।