गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी 2025
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गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी 2025

जानें 2025 में गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक का महत्व, व्रत का रहस्य और पूजन की संपूर्ण विधि, जिससे मिले हर मनोकामना की सिद्धि।

गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी के बारे में

क्या आपने कभी सोचा है कि एक त्योहार का आगमन और दूसरे का लौटना एक साथ कैसे हो सकता है। नहीं तो दरअशल, हम बात कर रहे हैं गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी की। इन दोनों पर्वों का आपस में गहरा संबंध है। यही नहीं, महाभारत से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी इन दोनों त्योहारों को आपस में जोड़ती है। तो इस दिलचस्प संबंध को समझने के लिए पढ़ें हमारा पूरा लेख और जानें इस दोनों त्यौहारों के बारे में।

गणेश चतुर्थी क्या है

जल्द ही देश में गणपति बप्पा मौरय्या की गूंज सुनने के मिलेगी। हर जगह शंकर और गौरी पुत्र गजानन की जय जयकार सुनने को मिलेगी। ऐसा क्यों। क्योंकि गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाती है वह एक दस-दिवसीय त्योहार आने वाला है। यह पर्व भाद्रपद मास (अगस्त-सितंबर) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है। इस दौरान साधक समृद्धि और शुभता के देवता भगवान गणेश का स्वागत पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ करते हैं। इस उत्सव की शुरुआत घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणेश जी की सुंदर मूर्तियों की स्थापना के साथ होती है। इन दस दिनों तक, भक्तगण भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते हैं, उन्हें मोदक और विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाते हैं और दिन-रात भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ हर गली और मोहल्ले में गणेश पंडाल सजते हैं।

इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है गणपति विसर्जन। दसवें दिन, भक्तगण ढोल-नगाड़ों और नाच-गाने के साथ मूर्तियों को जुलूस के रूप में ले जाते हैं और उन्हें किसी नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर देते हैं। यह विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर वापस कैलाश पर्वत पर लौट रहे हैं। वहीं, पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के लिए भगवान गणेश से आग्रह किया था और गणेश जी ने बिना रुके दस दिनों तक इसे लिखा था। अतः गणेश चतुर्थी न केवल धारिमक बल्कि सांस्कृतिक त्यौहार की समरसता का भी प्रतीक है।

अनंत चतुर्दशी क्या है?

अनंत चतुर्दशी, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित है, यानी उनका वह रूप जिसका न कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। इस दिन भक्तगण जगत के पालनहार, भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस विधि-विधान से पूजा करने पर जीवन की सभी बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

इस दिन भक्त भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस पर्व का एक खास हिस्सा है अनंत सूत्र धारण करना। यह एक धागा होता है जिसमें 14 गांठें होती हैं। पुरुष इस धागे को अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांधती हैं। यह धागा पूरे साल भर हाथ में बांधा जाता है। मान्यता है कि यह अनंत सूत्र भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक है, जिसे धारण करने से जीवन में आने वाली हर बाधा का अंत हो जाता है। अनंत चतुर्दशी का यह त्योहार गणेशोत्सव के दस दिनों के बाद आता है। इसी दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है, जिसे गणपति विसर्जन कहते हैं।

गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी में क्या संबंध होता है?

गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी दोनों पर्व का एक खास औऱ गहरा संबंध है। ये दोनों पर्व एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और मिलकर एक पूर्ण धार्मिक चक्र को दर्शाते हैं।

समापन और आगमन: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का आगमन होता है और दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। यह दिन गणपति को धूमधाम से विदाई देने का अंतिम मौका होता है। गणपित का वादा: अनंत चतुर्दशी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू गणेश विसर्जन है। इस दिन भक्तजन भगवान गणेश की मूर्तियों को जल में विसर्जित करते हैं। यह क्रिया इस बात का प्रतीक है कि भगवान अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर वापस अपने निवास स्थान, कैलाश पर्वत पर लौट रहे हैं। विसर्जन के साथ यह वादा भी जुड़ा होता है कि अगले साल बप्पा फिर से आएंगे। भगवान विष्णु का महत्व: गणेश विसर्जन के साथ-साथ, अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के लिए भी समर्पित है। इस दिन भक्तजन उनकी पूजा करते हैं, अनंत सूत्र धारण करते हैं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। पौराणिक संबंध: पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक, भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास के कहने पर महाभारत लिखी थी। इस प्रकार, यह दस दिवसीय अवधि ज्ञान और समर्पण का भी प्रतीक है। अनंत चतुर्दशी का यह पर्व गणेशोत्सव के समापन, भगवान विष्णु की अनंत कृपा और एक सुखद विदाई का संगम है, जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है।

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Published by Sri Mandir·August 18, 2025

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