वसंत पंचमी कब है
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

वसंत पंचमी कब है

क्या आप जानते हैं वसंत पंचमी 2026 कब है? यहां जानिए तिथि, पूजा-विधि, सरस्वती पूजा मुहूर्त, व्रत नियम और इस पावन पर्व से जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की पूरी जानकारी एक ही स्थान पर

वसंत पंचमी के बारे में

बसंत पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो सर्दियों के अंत और बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है। यह दिन नई ऊर्जा, खुशहाली और ज्ञान का संदेश लेकर आता है। भारत के कई राज्यों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है, और लोग इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है।

वसंत पंचमी कब है?

वर्ष 2026 में वसंत पंचमी का पावन पर्व 23 जनवरी, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसी दिन मां सरस्वती की पूजा भी की जाएगी।

  • सरस्वती पूजा 2026 मुहूर्त: सुबह 7:15 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक
  • पूजा की कुल अवधि: लगभग 5 घंटे 36 मिनट
  • वसंत पंचमी तिथि का आरंभ: 23 जनवरी को सुबह 2:28 बजे
  • वसंत पंचमी तिथि का समापन: 24 जनवरी को सुबह 1:46 बजे

इस दिन भक्तजन विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती की आराधना करते हैं और बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत उत्साहपूर्वक मनाते हैं।

वसंत पंचमी का महत्व

वसंत पंचमी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन मां सरस्वती, जो ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं, की पूजा की जाती है। माना जाता है कि उनकी पूजा करने से हमें बुद्धि, विद्या और एकाग्रता मिलती है। यह पर्व किसानों के लिए भी खास होता है, क्योंकि यह फसल के मौसम की शुरुआत का संकेत देता है।

किसान इस दिन अच्छी फसल और खुशहाली की कामना करते हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार, वसंत पंचमी का संबंध प्रेम के देवता कामदेव और रति से भी है, इसलिए यह दिन प्रेम और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।

पीला रंग, जो इस दिन का मुख्य रंग होता है, बसंत ऋतु की ऊर्जा, समृद्धि और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार, वसंत पंचमी न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत, सकारात्मकता और आनंद का संदेश देने वाला उत्सव है।

वसंत पंचमी व्रत और पूजा विधि

  • वसंत पंचमी के दिन भक्तजन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करते हैं और पीले वस्त्र धारण करते हैं, क्योंकि पीला रंग इस पर्व का प्रमुख प्रतीक है।
  • घर या मंदिर में मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र को पीले फूलों, मालाओं और दीपों से सजाया जाता है।
  • पूजा स्थल पर किताबें, पेन, नोटबुक और वाद्य यंत्र रखे जाते हैं, क्योंकि ये सभी मां सरस्वती से जुड़े हुए प्रतीक हैं।
  • पूजा की शुरुआत माँ सरस्वती को पीले चंदन, हल्दी, केसर और पुष्प अर्पित करने से की जाती है।
  • इसके बाद सरस्वती वंदना और मंत्र जाप किया जाता है।
  • पीले मिष्ठान, जैसे बूंदी लड्डू या केसरिया खीर, देवी को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं।
  • व्रत और पूजा के बाद लोग पीले रंग के व्यंजन जैसे केसरिया खीर, बेसन के लड्डू और हल्दी से बने पारंपरिक पकवान बनाते हैं, जो इस दिन के आनंद को और बढ़ाते हैं।

वसंत पंचमी पर क्या करें

वसंत पंचमी के दिन कुछ विशेष नियमों और परंपराओं का पालन करना शुभ माना जाता है। यह दिन मां सरस्वती की पूजा और ज्ञान, शुद्धता व नई शुरुआत का प्रतीक है।

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शरीर व मन की शुद्धि करें।
  • पीला रंग बसंत ऋतु का प्रतीक है, इसलिए इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
  • मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र को पीले फूलों, मालाओं और दीपों से सजाएं।
  • किताबें, पेन, नोटबुक और वाद्य यंत्र पूजन स्थल पर रखें।
  • पीला चंदन, हल्दी, केसर, पीले फूल, धूप, दीप और मिठाई से पूजा करें।
  • सरस्वती वंदना और मंत्र जाप का पाठ करें।
  • इस दिन सात्विक और पीले रंग के व्यंजन जैसे केसरिया खीर, बेसन लड्डू या हल्दी चावल बनाएं।
  • इस दिन बच्चों को नई किताबें या पेन दिलाना शुभ माना जाता है।
  • जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या शिक्षा सामग्री दान करें।

वसंत पंचमी के लाभ

वसंत पंचमी न केवल पूजा और उत्सव का दिन है, बल्कि यह कई शुभ कार्यों के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन किए गए कार्य जीवन में सफलता, ज्ञान और समृद्धि लाते हैं।

शिक्षा आरंभ के लिए शुभ दिन: - वसंत पंचमी को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा शुरू करने का सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। परंपरा के अनुसार, इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ‘ॐ’ लिखा जाता है, जिससे वह ज्ञानवान और बुद्धिमान बनता है।

अन्नप्राशन संस्कार:- जो बच्चे 6 महीने पूरे कर चुके हों, उन्हें इस दिन पहला अन्न खिलाना शुभ माना जाता है। यह दिन अन्नप्राशन संस्कार के लिए अत्यंत मंगलकारी होता है।

विवाह के लिए शुभ मुहूर्त:- वसंत पंचमी का दिन विवाह या परिणय प्रसंग के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। इस दिन विवाह करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

नए कार्यों की शुरुआत:- गृह प्रवेश, व्यापार या किसी नए काम की शुरुआत के लिए भी यह दिन अत्यंत फलदायक और मंगलकारी होता है।

स्नान और दान का महत्व:- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से पापों का नाश होता है तथा पुण्य की प्राप्ति होती है।

divider
Published by Sri Mandir·December 2, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook