माघ पूर्णिमा व्रत कब है
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माघ पूर्णिमा व्रत कब है?

क्या आप जानते हैं माघ पूर्णिमा व्रत 2026 कब है? यहां जानें इसकी तिथि, पूजा-विधि, महत्व, गंगा स्नान का फल, दान-पुण्य के नियम और इस दिन किए जाने वाले सभी खास धार्मिक कार्य, सब कुछ एक ही जगह

माघ पूर्णिमा के बारे में

माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म का पावन पर्व है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि माघ पूर्णिमा पर किए गए पुण्य कर्मों से मोक्ष की प्राप्ति और पापों का नाश होता है।

माघ पूर्णिमा

हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ माह की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि इस तिथि पर स्नान, दान और जप करने से असीम पुण्य प्राप्त होता है। माघ पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान विशेष रूप से माघ स्नान कहलाता है, जिसकी शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है और इसका समापन माघ पूर्णिमा पर होता है। इस दिन तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपने कल्पवास का समापन करते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धा से स्नान और दान करते हैं, उन पर भगवान माधव की विशेष कृपा बनी रहती है। वे अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, सौभाग्य, संतान सुख और मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

माघ पूर्णिमा व्रत कब है 2026 में

  • वर्ष 2026 में माघ पूर्णिमा व्रत सोमवार, 2 फरवरी 2026 को मनाया जाएगा।
  • इस वर्ष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 1 फरवरी 2026 को सुबह 05:55 बजे से होगा और इसका समापन 2 फरवरी 2026 को सुबह 03:41 बजे पर होगा।

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा का नाम मघा नक्षत्र से जुड़ा हुआ है, जो इस दिन की पवित्रता और शक्ति को दर्शाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में देवता स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर मनुष्य रूप में प्रयागराज में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए इस दिन तीर्थराज प्रयाग में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान, दान और जप सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि यदि इस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग हो, तो माघ पूर्णिमा का पुण्यफल अत्यधिक शुभ और फलदायी हो जाता है।

माघ पूर्णिमा व्रत की कथा

माघ पूर्णिमा के दिन विधिवत व्रत, स्नान और कथा श्रवण करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में माघ मास को अत्यंत पुण्यदायक बताया गया है, इसलिए इस दिन माघ पूर्णिमा की कथा सुनना और इसका पालन करना अत्यंत आवश्यक माना गया है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, नर्मदा तट पर शुभ्रवत नामक एक ब्राह्मण रहता था, जो अत्यंत लालची और धनलोभी था। उसका सारा जीवन केवल धन कमाने की चिंता में बीत गया। जैसे-जैसे समय बीता, वह बीमारियों से ग्रस्त हो गया और मृत्यु का समय नजदीक आने पर उसे अपने कर्मों का पश्चाताप होने लगा। उसने सोचा कि जीवन में कोई शुभ कार्य न करने के कारण उसे मृत्यु के बाद नरक का कष्ट भोगना पड़ेगा। पश्चाताप से भरे शुभ्रवत ने माघ पूर्णिमा के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने का संकल्प लिया। उसने लगातार 9 दिनों तक श्रद्धा से नर्मदा स्नान किया। यद्यपि उसकी तबीयत कमजोर होती गई और अंततः उसका देहांत हो गया, परंतु उसके स्नान का पुण्य फल उसे मोक्ष प्रदान कर गया।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि यदि व्यक्ति सच्चे मन से माघ पूर्णिमा के व्रत, स्नान और पूजा का पालन करे, तो उसके जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माघ पूर्णिमा व्रत और स्नान विधि

माघ पूर्णिमा का दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान, दान और भगवान विष्णु की आराधना से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन की गई पूजा और दान कई जन्मों के पापों का नाश करती है। नीचे दी गई है माघ पूर्णिमा व्रत और स्नान की विधि:

  • प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान की तैयारी करें।
  • किसी पवित्र नदी में या गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ या सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए नमन करें।
  • इसके बाद तुलसी के पौधे को दीपक, जल और भोग अर्पित करें।
  • अब व्रत का संकल्प लें और श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें।
  • पूजा के बाद सत्यानारायण कथा का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायक होता है।
  • दिनभर में गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।
  • इस दिन तिल का दान विशेष रूप से शुभ माना गया है, अतः दान में तिल अवश्य शामिल करें।
  • रात में चंद्रोदय के समय, “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः चन्द्रमसे नमः” या “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः” मंत्र का जप करते हुए कच्चे दूध, चीनी और चावल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।

माघ पूर्णिमा पर दान का महत्व

हिन्दू धर्म में माघ पूर्णिमा का दिन अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और यह पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। मान्यता है कि इस तिथि पर गंगा स्नान कर अन्न, वस्त्र, धन, गुड़ और दूध जैसी वस्तुओं का दान करने से व्यक्ति के जीवन से चंद्र दोष, पितृ दोष और अन्य बाधाएं दूर होती हैं। दान के मुख्य लाभ -

पापों से मुक्ति- माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र स्नान और दान करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। मोक्ष की प्राप्ति- शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन किया गया दान और पुण्य कर्म आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाते हैं। सुख-समृद्धि की प्राप्ति- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। पितृ दोष से मुक्ति- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो माघ पूर्णिमा पर दान करने से इसका प्रभाव कम होता है। करियर और कार्य में सफलता- गुड़ और तिल का दान करने से करियर में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है। आर्थिक लाभ- देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए दूध, दही, चावल या मिश्री का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

माघ पूर्णिमा के दिन क्या करें

माघ पूर्णिमा केदिन किए गए शुभ कार्य कई गुना फल प्रदान करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।

गुड़ का दान करें- माघ पूर्णिमा के दिन गुड़ दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

अन्न दान करें- इस दिन अन्न का दान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन अन्न दान करने से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती और परिवार में समृद्धि बनी रहती है।

श्रृंगार सामग्री का दान करें- माघ पूर्णिमा के दिन श्रृंगार का सामान जैसे — बिंदी, चूड़ी, काजल, सिंदूर आदि दान करने से पति और संतान की आयु लंबी होती है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जीवन में आर्थिक खुशहाली आती है।

माघ पूर्णिमा के दिन क्या न करें

माघ पूर्णिमा के दिन जहां एक ओर दान, स्नान और पूजा करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुछ चीजों का दान इस दिन वर्जित माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इन वस्तुओं का दान करने से शुभ फल के बजाय अशुभ परिणाम मिल सकते हैं।

लोहे की वस्तुओं का दान न करें- माघ पूर्णिमा के दिन लोहे की चीजों का दान करना अशुभ माना गया है। ऐसा करने से शनिदेव रुष्ट हो सकते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि में रुकावटें आने लगती हैं और कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।

चांदी की वस्तुएं दान करने से बचें- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चांदी चंद्रमा का प्रतीक मानी जाती है। चूंकि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्णता पर होता है, इसलिए इस दिन चांदी का दान चंद्र दोष का कारण बन सकता है। इससे व्यक्ति को मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

नमक का दान न करें- इस दिन नमक का दान भी वर्जित बताया गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से राहु दोष उत्पन्न होता है, जिससे घर की बरकत रुक जाती है और दरिद्रता का आगमन होता है। नमक का दान जीवन के सुख और वैभव पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

माघ पूर्णिमा पर विशेष पूजा स्थल

हिंदू शास्त्रों में कुछ स्थानों को विशेष रूप से पवित्र और माघ पूर्णिमा के लिए शुभ बताया गया है।

प्रयागराज (इलाहाबाद)- माघ पूर्णिमा का सबसे बड़ा और पवित्र मेला प्रयागराज में लगता है। यहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान और कल्पवास करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

काशी (वाराणसी)- काशी में गंगा स्नान और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि यहां स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है।

हरिद्वार- हरिद्वार में गंगा घाटों पर स्नान करना माघ पूर्णिमा के दिन अत्यंत शुभ माना गया है। यहां किया गया स्नान और दान दीर्घायु और समृद्धि प्रदान करता है।

नासिक (गोदावरी तट)- महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के तट पर माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और पूजा करने से सौभाग्य और धन-वैभव की वृद्धि होती है।

उज्जैन (क्षिप्रा नदी)- उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में पूजा और क्षिप्रा नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति और शिव कृपा प्राप्त होती है।

गया और पुष्कर- गया में पितरों के तर्पण और पुष्कर में तीर्थ स्नान माघ पूर्णिमा के दिन अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।

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Published by Sri Mandir·December 22, 2025

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