माघ नवरात्रि कब है
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माघ नवरात्रि कब है

क्या आप जानते हैं माघ नवरात्रि 2026 कब है? यहां जानिए माघ गुप्त नवरात्रि की तिथि, पूजा-विधि, घटस्थापना समय, व्रत के नियम और देवी आराधना से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी — एक ही स्थान पर!

माघ नवरात्रि के बारे में

माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला पावन उत्सव देवी माँ के नौ शक्तिरूपों की उपासना को समर्पित होता है। यह पर्व माघ माह में, यानी जनवरी या फरवरी के दौरान मनाया जाता है। अन्य नवरात्रियों की तुलना में यह कम प्रसिद्ध है, लेकिन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं फिर इस माघ नवरात्रि के बारे में औऱ अधिक जानकारी।

माघ नवरात्रि कब है?

माघ नवरात्रि वर्ष 2026 में 19 जनवरी से 28 जनवरी तक मनाई जाएगी। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की क्रमिक पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है।

19 जनवरी 2026, सोमवार

  • प्रतिपदाः इस दिन माघ नवरात्रि का शुभारंभ होगा। घटस्थापना की जाएगी और देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा होगी।

20 जनवरी 2026, मंगलवार

  • द्वितीयाः दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाएगी, जो साधना और ब्रह्मचर्य की शक्ति प्रदान करती हैं।

21 जनवरी 2026, बुधवार

  • तृतीयाः इस दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो शौर्य और सुरक्षा का वरदान देती हैं।

22 जनवरी 2026, गुरुवार

  • चतुर्थीः चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की उपासना होगी, जो ब्रह्मांड की सृष्टि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं।

23 जनवरी 2026, शुक्रवार

  • पंचमीः पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाएगी, जो संतान सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं।

24 जनवरी 2026, शनिवार

  • षष्ठीः इस दिन माँ कात्यायनी की आराधना होगी, जिन्हें विवाह और सौभाग्य की देवी कहा जाता है।

25 जनवरी 2026, रविवार

  • सप्तमीः सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाएगी, जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।

26 जनवरी 2026, सोमवार

  • अष्टमीः इस दिन दुर्गा अष्टमी तथा माँ महागौरी की पूजा होगी।
  • संधि पूजा का समय*: रात 08:53 बजे से 09:41 बजे तक।

27 जनवरी 2026, मंगलवार

  • नवमीः नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है, जो भक्तों को सिद्धियाँ और पूर्णता का वरदान देती हैं।

28 जनवरी 2026, बुधवार

  • दशमीः इस दिन नवरात्रि पारण किया जाएगा और व्रत का समापन होगा।

माघ नवरात्रि का महत्व

माघ नवरात्रि, जिसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। यह नवरात्रि आध्यात्मिक साधना, तंत्र विद्या और देवी के गूढ़ स्वरूपों की उपासना के लिए अत्यंत विशेष मानी जाती है। इस नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की पूजा का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि इन दिनों में साधना करने से साधक को तेज, पराक्रम, अदृश्य शक्तियों व सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इसे सामान्य नवरात्रि की अपेक्षा अधिक रहस्यमयी और शक्तिपरक माना जाता है। साधक इस समय माँ दुर्गा की आराधना कर अपने जीवन के सभी कष्टों, भय और बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

वहीं, देवी की कृपा से जीवन में सुख, शांति, धन-समृद्धि तथा प्रतिष्ठा का वास होता है। इन नौ दिनों में किए गए व्रत, जप, हवन और श्रद्धापूर्ण पूजा से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। माघ नवरात्रि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है जो आध्यात्मिक उन्नति, तांत्रिक साधना और गूढ़ ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। जानकारी के अनुसार, वर्ष में कुल पाँच नवरात्रि मनाई जाती हैं, जिनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा तीन गुप्त नवरात्रि पौष, आषाढ़ और माघ मास में मनाई जाती हैं। इन गुप्त नवरात्रियों में देवी के शक्ति रूपों की पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है।

माघ नवरात्रि की पूजा विधि

माघ नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि भक्त श्रद्धा और नियम के साथ पूजा करे तो देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। तो चलिए जानते हैं पूजा विधि के बारे में।

स्नान और शुद्धता: इस दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। पूजा स्थल की पवित्रता: इसके बाद पूजा स्थान को शुद्ध कर एक शांत वातावरण बनाना चाहिए। मूर्ति/चित्र स्थापना: अब एक साफ लाल या पीले रंग के कपड़े को बिछाकर उसके ऊपर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को पूर्व दिशा की ओर स्थापित करें। धूप-दीप अर्पण: फिर देवी को पुष्प, धूप, दीप, चंदन और अक्षत समर्पित करना चाहिए। मंत्र एवं पाठ: अप्रण के बाद देवी दुर्गा मंत्रों, स्तोत्रों या दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ कर सकते हैं। इस कार्य के बाद आरती की जाती है और प्रसाद तथा नैवेद्य चढ़ाया जाता है। अंत में मां से अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करना चाहिए। इसके अलावा पूजन के अंत में मां से प्रार्थना अवश्य करें कि यदि विधि-विधान में किसी भी प्रकार की भूल या त्रुटि रह गई हो तो उसे क्षमा कर दें और अपनी कृपा बनाए रखें।

माघ नवरात्रि व्रत नियम

इस नवरात्रि में व्रत रखते समय शुद्धता, संयम और सकारात्मक विचारों का पालन आवश्यक है। यदि भक्त श्रद्धा और नियम के साथ पूजा करे तो देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

सात्त्विक भोजन: इस अवधि में केवल हल्का, शुद्ध और सात्त्विक भोजन ग्रहण किया जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन: मन, वचन और कर्म से पवित्रता एवं संयम बनाए रखना चाहिए। नकारात्मक भावों से दूरी: क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और द्वेष से दूर रहना आवश्यक है। दिन में न सोना: समय का सदुपयोग प्रार्थना, जप और सेवा में किया जाता है। निरंतर भक्ति: रात में देवी का ध्यान और जागरण करने से आध्यात्मिक बल बढ़ता है। नशा और तामसिक भोजन वर्जित: मांस, मदिरा और नशे के किसी भी रूप से परहेज करना चाहिए। सत्य और अहिंसा का पालन: किसी को कष्ट न दें, झूठ और अपशब्दों से बचें। इसके अलावा पूजा विधि के बारे में अधिक जानकारी के लिए किसी विशेष जानकार या पंडित से जानकारी ली जा सकती है।

माघ नवरात्रि के कई लाभ हैं। इस अवधि में की गई पूजा और साधनाएँ जन्म कुंडली के दोष दूर करने, बाधाओं को समाप्त करने और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में विशेष रूप से लाभदायक मानी जाती हैं। तो जानिए लाभों के बारे में।

आध्यात्मिक शुद्धि: माघ नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की उपासना करने से मन, बुद्धि और आत्मा की शुद्धि होती है तथा साधक के अंदर आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविश्वास बढ़ता है। दोष निवारण: देवी की कृपा से कुंडली के ग्रहदोष, पितृदोष और अन्य ज्योतिषीय बाधाएँ शांत होती हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में रुके हुए कार्य आगे बढ़ने लगते हैं। तंत्र साधना: यह नवरात्रि तंत्र साधना, गूढ़ साधनाओं और मंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है, जिससे विशेष इच्छाओं की प्राप्ति में सहायता मिलती है। धन की प्राप्ति: इन दिनों विशेष उपायों और पूजा-अनुष्ठानों से आर्थिक परेशानियाँ समाप्त होती हैं और जीवन में धन, रोजगार एवं सम्पत्ति वृद्धि के अवसर प्राप्त होते हैं। सौभाग्य की प्राप्ति: दान, सेवा, गोसेवा और शुभ कर्मों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, सम्मान और सुख-समृद्धि बढ़ने लगती है। सकारात्मक ऊर्जा: गायत्री मंत्र, दुर्गा सप्तशती या अन्य स्तोत्रों का पाठ नकारात्मक शक्तियों को दूर कर जीवन में सकारात्मक विचार और ऊर्जा को बढ़ाता है। संकट का निवारण: सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और देवी के विशेष मंत्रों का जप जीवन के संकटों को दूर करता है, बाधाओं को कम करता है और हर कार्य में सफलता प्रदान करता है। बाधाओं से मुक्ति: यह अवधि वैवाहिक अड़चनों, संतान बाधाओं और निजी जीवन की रुकावटों को दूर करने में अत्यंत सहायक मानी गई है।

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Published by Sri Mandir·December 2, 2025

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