
क्या आप जानते हैं माघ अमावस्या 2026 कब है? यहां जानिए तिथि, पूजा विधि, पवित्र स्नान-दान का महत्व, पितृ तर्पण और इस शुभ पर्व से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां – एक ही जगह!
माघ अमावस्या, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि होती है। यह दिन बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, जप और तप करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि माघ अमावस्या पर किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है और व्यक्ति अपने पापों से मुक्त होता है।
माघ अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शुभ दिन के रूप में मानी जाती है, इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। यह तिथि स्नान, दान, जप और पितृ तर्पण जैसे धार्मिक कार्यों के लिए विशेष महत्व रखती है। माघ मास की यह अमावस्या आत्मिक शुद्धि और पुण्य प्राप्त करने का उत्तम अवसर होती है। श्रद्धा और भक्ति से किए गए कर्म इस दिन व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और दिव्य कृपा लेकर आते हैं।
2026 में माघ अमावस्या 18 जनवरी, रविवार के दिन पड़ेगी। इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।
तिथि: 18 जनवरी 2026, रविवार
महत्व: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि जो लोग इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं, उन्हें विशेष आध्यात्मिक फल मिलता है।
माघ अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शुभ तिथि मानी जाती है। यह दिन आत्मिक शुद्धि, पितृ तर्पण, और दान-पुण्य के कार्यों के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।
माघ अमावस्या पर गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से मनुष्य के पाप मिट जाते हैं और मन-शरीर दोनों शुद्ध हो जाते हैं। यह स्नान आत्मिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
माघ अमावस्या को पितरों की शांति के लिए सर्वोत्तम दिन माना गया है। इस दिन तिल, जल और भोजन अर्पित कर पितृ तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को संतोष मिलता है। ऐसा करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और सद्भाव बढ़ता है।
इस दिन दान करने का बहुत महत्व बताया गया है। तिल, गुड़, घी, अन्न, वस्त्र या स्वर्ण का दान करने से पुण्य की वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यता है कि माघ मास में किया गया दान कई गुना फल देता है।
माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मौन रहकर ईश्वर का ध्यान करने की परंपरा है। मौन रहने से मन शांत होता है और ध्यान में स्थिरता आती है। यह दिन आत्मचिंतन और साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन स्नान, दान और जप करने से पापों का नाश होता है। माघ अमावस्या के पुण्य कर्म व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाते हैं और जीवन में शुभता लाते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, यह दिन ग्रह दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है। भगवान शिव, विष्णु या सूर्य देव की उपासना करने से दुर्भाग्य दूर होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
माघ अमावस्या समाज में सेवा और दान की भावना को प्रोत्साहित करती है। गरीबों को भोजन, वस्त्र या दान देने से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि समाज में समानता और सहयोग की भावना भी बढ़ती है।
माघ अमावस्या का दिन श्रद्धा, भक्ति और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत, स्नान, दान और पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, शिव और पितरों की आराधना के लिए शुभ माना गया है।
माघ अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप और पितृ तर्पण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। हालांकि, इस दिन कुछ कार्यों से बचने की भी सलाह दी गई है ताकि साधक का व्रत और पूजा पूर्ण फल दे सके। नीचे विस्तार से बताया गया है
प्रातःकाल स्नान और सूर्य को अर्घ्य दें
भगवान विष्णु, शिव और सूर्य की उपासना करें
पितरों के लिए तर्पण करें
दान और सेवा करें
मौन व्रत या ध्यान करें
दीपदान करें
पशु-पक्षियों को भोजन दें
क्रोध या विवाद से बचें
मांस, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन न करें
दूसरों की निंदा या अपमान न करें
दिखावे या स्वार्थ से दान न करें
नकारात्मक विचारों से दूर रहें
माघ अमावस्या का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किए गए स्नान, दान, ध्यान और तर्पण से व्यक्ति के जीवन में शुद्धता, सुख और सौभाग्य बढ़ता है। यह दिन न केवल पितरों को प्रसन्न करता है बल्कि साधक को आत्मिक शांति और ईश्वर कृपा भी प्रदान करता है।
माघ अमावस्या का दिन धार्मिक महत्व के साथ-साथ आत्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। यह तिथि व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर कर उसे शांति, समृद्धि और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती है। इस दिन श्रद्धा और निष्कपट भाव से किए गए शुभ कर्म कई गुना फलदायी सिद्ध होते हैं और जीवन में स्थिरता तथा सकारात्मकता लाते हैं।
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