जानकी जयंती कब है
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जानकी जयंती कब है?

क्या आप जानते हैं जानकी जयंती 2026 कब है? यहां जानें इसकी तिथि, पूजा-विधि, व्रत नियम, माता जानकी की आराधना का महत्व और इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य — सब कुछ एक ही जगह!

जानकी जयंती के बारे में

जानकी जयंती, जिसे सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है, माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो भगवान राम की पत्नी हैं। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी को आता है।

जानकी जयंती

जानकी जयंती को अत्यंत शुभ दिन माना जाता है और इसे सीता जयंती या सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान राम और माता सीता को समर्पित है और हिंदू धर्म में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दिन केवल माता सीता के जन्म का प्रतीक नहीं, बल्कि भक्ति, पवित्रता और आत्म-त्याग का संदेश भी देता है

जानकी जयंती कब है 2026 में

2026 में जानकी जयंती 9 फरवरी, सोमवार को मनाई जाएगी। यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ रही है। यह पावन दिन माता सीता के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।

जानकी जयंती का महत्व

जानकी जयंती, जिसे सीता जयंती या सीता अष्टमी भी कहते हैं, माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। माता सीता, भगवान राम की पत्नी और देवी लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। यह पर्व केवल उनके जन्म का उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति, पवित्रता और आदर्श जीवन का प्रतीक भी है।

माता सीता का आदर्श चरित्र

यह दिन माता सीता के सत्यनिष्ठा, भक्ति और धैर्य के आदर्शों को याद करने का अवसर है। उनके जीवन से यह शिक्षा मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और संयम का पालन करना चाहिए।

भक्ति और आध्यात्मिक महत्व

भगवान राम और माता सीता की भक्ति को बढ़ाने के लिए इस दिन भजन, कीर्तन और रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है। इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

नैतिक शिक्षा और पवित्रता

जानकी जयंती हमें सत्य, धैर्य, मर्यादा और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देती है। माता सीता का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कठिन समय में भी नैतिकता और पवित्रता नहीं छोड़नी चाहिए।

सामाजिक और पारिवारिक महत्व

मंदिरों और घरों में इस दिन पूजा और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो परिवार में प्रेम, सद्भाव और संस्कारों को बढ़ावा देते हैं।

जीवन में आशीर्वाद और सुख

इस दिन पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि, मानसिक शांति और माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

माता सीता का जन्म और कथा

माता सीता का जन्म राजा जनक के घर हुआ था। वे उनकी पुत्री नहीं बल्कि भूमि देवी का अवतार मानी जाती हैं। कथा के अनुसार, राजा जनक ने जमीन खोदते समय एक स्वर्ण लोटा पाया, जिससे माता सीता प्रकट हुईं। इसलिए उन्हें जन्म से ही दिव्य और पवित्र माना गया।

माता सीता की कहानी

बाल्यकाल और शिक्षा

  • माता सीता का बचपन भक्ति, धर्म और ज्ञान में बीता।
  • उन्होंने वेदों और धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया।

राम विवाह

  • राजा जनक ने सीता के विवाह के लिए एक यज्ञ रखा, जिसमें केवल वही धनुष तोड़ सकते थे जो धर्म और वीरता में निपुण हों।
  • भगवान राम ने यह धनुष तोड़ा और माता सीता से विवाह किया।

वनवास और कठिनाइयाँ

  • राम-सीता और लक्ष्मण के वनवास में माता सीता ने धैर्य और भक्ति का अद्भुत उदाहरण दिखाया।
  • रावण के अपहरण और राम के साथ मिलकर असुरों का विनाश उनकी साहस और सत्यनिष्ठा को दर्शाता है।

अंतिम जीवन

  • माता सीता ने अपने जीवन में सत्य, मर्यादा और धर्म का पालन किया।
  • जीवन के अंत में वे धरती में समा गईं, जो उनकी दिव्यता और पवित्रता का प्रतीक है।

जानकी जयंती की पूजा विधि

जानकी जयंती, जिसे सीता जयंती भी कहा जाता है, माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन माता सीता और भगवान राम की पूजा विशेष श्रद्धा के साथ की जाती है। यह पूजा भक्ति बढ़ाने और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का माध्यम मानी जाती है।

पूजा स्थल की तैयारी

  • घर या पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और फूल, दीपक तथा हल्दी-कुंकुम से सजाएं।
  • पूजा के लिए माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

आवश्यक सामग्री

  • फूल, अक्षत (चावल), हल्दी, कुमकुम, धूप, दीपक
  • फल, मिठाइयाँ, पंचामृत और पवित्र जल

पूजा की विधि

  • दीपक प्रज्ज्वलित करके भगवान राम और माता सीता की उपासना करें।
  • मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे “ॐ श्री राम सीतााय नमः”।
  • फूल, अक्षत और पंचामृत अर्पित करें।
  • भोग में फल और मिठाइयाँ अर्पित करें।

कथा और भजन

  • पूजा के बाद रामायण की कथा सुनें या माता सीता के भजन और कीर्तन करें।
  • इससे भक्ति की भावना बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है।

व्रत और उपवास

  • कुछ लोग जानकी जयंती पर एक दिन का उपवास रखते हैं।
  • व्रत में हल्का भोजन, फल और जल लिया जा सकता है।
  • व्रत रखने से माता सीता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा समाप्ति और प्रसाद वितरण

  • पूजा के बाद भोग और प्रसाद परिवार और जरूरतमंदों में बांटें।
  • इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और समाज में सहयोग का संदेश फैलता है।

जानकी जयंती पर क्या करें

पूजा और व्रत

  • माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा या चित्र की भक्ति भाव से पूजा करें।
  • दीपक जलाएं, फूल चढ़ाएं और राम-सिता के मंत्रों का जाप करें।
  • इस दिन उपवास या हल्का भोजन करना शुभ माना जाता है।

कथा और भजन

  • रामायण की कथा सुनें या माता सीता और भगवान राम के भजन एवं कीर्तन करें।
  • इससे मन में भक्ति का संचार होता है और मानसिक शांति मिलती है।

दान और सेवा

  • जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या अन्य वस्तुएँ दान करें।
  • दान करने से पुण्य मिलता है और समाज में मदद का संदेश फैलता है।

परिवार और समाज में सद्भाव

  • इस दिन परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं और प्रेम व सौहार्द का वातावरण बनाएं।
  • पूजा के बाद प्रसाद बांटने से पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है।

आत्म-चिंतन और भक्ति

  • माता सीता के गुणों और जीवन पर ध्यान दें।
  • उनके धैर्य, सत्यनिष्ठा और भक्ति से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में आदर्श अपनाएं।

जानकी जयंती के दिन क्या न करें

जानकी जयंती माता सीता के जन्मोत्सव का पावन दिन है। इस दिन पूजा और व्रत का सही फल पाने के लिए कुछ चीज़ों से बचना चाहिए।

झगड़ा और विवाद न करें

  • इस दिन किसी से लड़ाई या बहस न करें।
  • गुस्सा और नकारात्मक सोच पूजा के पुण्य को कम कर सकती है।

अपवित्र कार्य न करें

  • घर और पूजा स्थल को गंदा न छोड़ें।
  • अपशब्द बोलना, बुरा व्यवहार करना या किसी का अपमान करना वर्जित है।

झूठ और अन्य गलत काम न करें

  • चोरी, झूठ बोलना या किसी को नुकसान पहुँचाना निषेध है।
  • दिन को धर्म और भक्ति के अनुसार बिताना चाहिए।

व्रत और भोजन नियमों का पालन करें

  • व्रत रखने वालों को नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
  • व्रत तोड़ने या अनुचित भोजन करने से पुण्य कम हो सकता है।

आलस्य से बचें

  • दिन का समय व्यर्थ न गवाएं।
  • पूजा, भजन, कथा और दान में समय बिताना शुभ माना जाता है।

जानकी जयंती व्रत का महत्व

जानकी जयंती, जिसे सीता जयंती भी कहा जाता है, माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह केवल उपवास नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का साधन भी है।

माता सीता की कृपा प्राप्त होती है

  • व्रत रखने से माता सीता की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
  • व्यक्ति में धैर्य, भक्ति और सादगी के गुण बढ़ते हैं।

पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति

  • व्रत करने से पुराने पाप मिट जाते हैं और पुण्य की वृद्धि होती है।
  • इससे मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है।

जीवन में सुख और शांति

  • व्रत रखने से घर-परिवार में सुख, शांति और सामंजस्य बना रहता है।
  • मानसिक तनाव कम होता है और जीवन में स्थिरता आती है।

भक्ति और आध्यात्मिक लाभ

  • व्रत के दौरान भजन, कीर्तन और कथा सुनने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है।
  • भगवान राम और माता सीता के प्रति भक्ति में वृद्धि होती है।

परिवार और समाज पर सकारात्मक प्रभाव

  • व्रत रखने वाला व्यक्ति परिवार और समाज में प्रेरणा का स्रोत बनता है।
  • इससे दूसरों में भी भक्ति, दया और धर्म का महत्व बढ़ता है।

निष्कर्ष

जानकी जयंती व्रत केवल माता सीता की आशीर्वाद पाने का साधन नहीं है, बल्कि यह भक्ति, संयम, पवित्रता और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक भी है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

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Published by Sri Mandir·December 22, 2025

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