वरुथिनी एकादशी कब है
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वरुथिनी एकादशी कब है | Varuthini Ekadashi Kab Hai 2026

जानिए इस व्रत की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!

वरुथिनी एकादशी के बारे में

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है। वर्षभर में आने वाली 24 एकादशियों में से एक है वरुथिनी एकादशी, जिसे वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित है। “वरुथिनी” शब्द का अर्थ होता है, सुरक्षा, रक्षा और वरदान। मान्यता है कि यह व्रत व्यक्ति को बुरे समय, अनिष्ट, कष्ट और दुर्भाग्य से सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन में सौभाग्य लाता है।

वरुथिनी एकादशी क्या है?

वरुथिनी एकादशी पापों से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति और घर-परिवार में सुख-समृद्धि देने वाली मानी गई है। शास्त्रों में इसकी महिमा का विस्तार से वर्णन मिलता है, जिसमें बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

वरुथिनी एकादशी का धार्मिक महत्व

वरुथिनी एकादशी को उन व्रतों में गिना गया है जो व्यक्ति के पापों को दूर करते हैं और जीवन को शुद्ध करते हैं। पुराणों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के पाप भी समाप्त हो जाते हैं और आत्मा मोक्ष के पथ पर अग्रसर होती है। इस एकादशी का संबंध भगवान विष्णु के वामन रूप से है। भगवान का यह स्वरूप भक्तों की रक्षा करने वाला माना गया है। व्रती जब भक्ति-भाव से इस दिन पूजा करते हैं, तो उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जैसा नाम वैसा ही फल। “वरुथिनी” अर्थात रक्षा करने वाला। मान्यता है कि यह व्रत जीवन में होने वाली परेशानियों, अनिष्ट, बुरे प्रभावों और अशुभ ग्रहों से रक्षा करता है। परिवार में सुख-शांति आती है और बाधाएँ दूर होती हैं। स्त्रियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है। यह व्रत सौभाग्य, दाम्पत्य सुख और स्थिरता प्रदान करता है। पुरुषों के लिए भी यह व्रत व्यापार-धंधे, नौकरी और धन वृद्धि का कारक माना गया है।

वरुथिनी एकादशी पर दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। जरूरतमंदों की मदद करना, भोजन दान, अन्न-वस्त्र दान और गाय-सेवा विशेष शुभ मानी जाती है।

वरुथिनी एकादशी कब है? जानें शुभ मुहूर्त

  • वर्ष 2026 में वरूथिनी एकादशी व्रत 13 अप्रैल, सोमवार को किया जाएगा।

  • एकादशी तिथि का प्रारम्भ 12 अप्रैल, रविवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 16 मिनट पर होगा।

  • एकादशी तिथि का समापन 13 अप्रैल, सोमवार को मध्यरात्रि 01 बजकर 08 मिनट पर होगा।

  • वरूथिनी एकादशी व्रत का पारण 14 अप्रैल को प्रातः 06 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

  • पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर होगा।

वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें, और नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • अब अपनी श्रद्धा व सामर्थ्य के अनुसार फलाहार या निर्जला व्रत रखने के संकल्प लें।

  • शुद्ध जल से आसन और पूजा स्थान की शुद्धि करें।

  • भगवान विष्णु या वामन देव की तस्वीर/प्रतिमा स्थापित करें।

  • दीया, गंगाजल, अक्षत, फूल, तुलसी पत्ते, धूप-दीप, भोग सामग्री आदि रखें।

  • अब भगवान के सन्मुख धूप-दीप जलाकर उनकी उपासना करें।

  • इसके पश्चात् चंदन, अक्षत, तुलसी पत्र और फूल चढ़ाएँ।

  • अब भगवान को पंचामृत व नैवेद्य अर्पित करें।

  • इसके बाद “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।

  • इसके अलावा आप विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा या वामन स्तुति पढ़ सकते हैं।

  • व्रत के दौरान एकादशी कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • अब विष्णु जी की आरती करें, और पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।

  • अगले दिन द्वादशी में निर्धारित समय पर पारण करें।

वरुथिनी एकादशी के लाभ

धन-लाभ और आर्थिक स्थिरता

इस दिन पीले फूल और तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन संबंधी रुकावटें दूर होती हैं।

परिवार में सुख-शांति

व्रत रखने से घर में सामंजस्य बढ़ता है, लड़ाई-झगड़े दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

स्वास्थ्य लाभ

मान्यता है कि इस दिन विष्णु मंत्र जप करने से मानसिक तनाव, बेचैनी और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।

पापों का नाश

शास्त्रों में लिखा है कि इस व्रत से व्यक्ति के पाप क्षय होते हैं और जीवन की कठिनाइयाँ कम होती हैं।

विवाह और दांपत्य सुख

इस दिन व्रत करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और दांपत्य जीवन मधुर होता है। अविवाहित भक्तों के लिए भी यह व्रत शुभ फलदायी माना जाता है।

करियर और व्यापार में उन्नति

व्यापार में रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं। नौकरी में तरक्की और नए अवसर मिलते हैं।

वरुथिनी एकादशी में क्या करें क्या न करें?

क्या करें

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
  • भगवान विष्णु की पूरी श्रद्धा से पूजा करें।
  • व्रत कथा अवश्य सुनें।
  • जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र दान करें।
  • पूरे दिन मन को शांत और पवित्र रखें।
  • पारण सही शुभ मुहूर्त में ही करें।

क्या न करें

  • क्रोध, झगड़ा या नकारात्मक बातें न करें।
  • मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • किसी का मन न दुखाएँ और झूठ न बोलें।
  • किसी के साथ बुरा कार्य या छल-कपट न करें।
  • पारण समय का ध्यान रखें, वरना यह व्रत के फल को कम कर सकता है।

वरुथिनी एकादशी का व्रत जीवन को पवित्र करने वाला और मन को शांति देने वाला माना गया है। 2026 में यह पावन तिथि 13–14 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र जप, कथा सुनना, फलों या निर्जल व्रत का पालन करना तथा दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना गया है।

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Published by Sri Mandir·December 4, 2025

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