
जानिए इस व्रत की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!
हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 24 और हर मास में कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष के दो एकादशी व्रत किए जाते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। आइए विस्तार से समझते हैं कि कामदा एकादशी क्या है, इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व क्या है, पूजा विधि क्या है, और इस दिन कौन-कौन से उपाय करने चाहिए।
कामदा एकादशी को जातक की सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली एकादशी कहा जाता है। ‘कामदा’ शब्द का अर्थ ही होता है ‘कामनाओं को पूरा करने वाली’। यह व्रत मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, संतान संबंधित शुभकामनाओं और जीवन में स्थिरता के लिए भी अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं, मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में जो भी रुकावटें आती हैं, वे दूर होने लगती हैं। यहीं कारण है कि हर वर्ष बड़ी संख्या में भक्त कामदा एकादशी का पालन करते हैं।
कामदा एकादशी का महत्व इसलिए अत्यंत बड़ा माना जाता है क्योंकि इससे जुड़ी पौराणिक कथा स्वयं यह सिद्ध करती है कि यह व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला और पापों का नाश करने वाला है।
प्राचीन काल में ‘भोगीपुर’ नामक एक अत्यंत समृद्ध नगर था, जहाँ पुंडरीक नामक राजा राज्य करता था। यह नगर संगीत, नृत्य और कलाओं से भरा हुआ था। वहाँ कई गंधर्व और अप्सराएँ रहा करते थे। इनमें ललित और ललिता नामक गंधर्व दंपत्ति रहते थे, जिनका आपसी प्रेम अद्भुत था। दोनों एक पल के लिए भी एक-दूसरे से अलग नहीं रह पाते थे।
एक दिन राजा की सभा में ललित एक मधुर गायन प्रस्तुत कर रहा था। किंतु गायन के बीच उसे अचानक अपनी प्रिया ललिता का स्मरण हो गया। मन विचलित होने से उसकी लय टूट गई और सुर बिगड़ गए। सभा में मौजूद कर्कट नामक नाग ने तुरंत यह बात समझ ली और राजा से कह दिया कि ललित का ध्यान गान पर नहीं बल्कि अपनी पत्नी पर था।
यह सुनकर राजा क्रोध से भर उठा और बोला "अरे मूर्ख! तू मेरे सामने खड़ा होकर अपनी स्त्री का ध्यान करता है? जा! तुझे मैं राक्षस योनि का श्राप देता हूँ!”
जैसे ही श्राप दिया गया, ललित का दिव्य गंधर्व रूप समाप्त होकर वह एक भयानक विशालकाय राक्षस बन गया। उसके मुख से अग्नि निकलने लगी, शरीर कई योजन का हो गया और वह क्रूर रूप में जंगलों में भटकने लगा। यह देखकर ललिता का हृदय टूट गया। वह अपने पति के पीछे-पीछे भटकती रही और सोचने लगी कि वह अपने प्रिय पति को इस श्राप से कैसे मुक्त कराए।
इसी दुखभरी यात्रा के दौरान ललिता एक दिन श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुँची। उन्होंने दुखी मन से अपनी पूरी व्यथा सुनाई और पति को राक्षस योनि से मुक्त करने का मार्ग पूछा। ऋषि ने करुणा से भरकर कहा “हे गंधर्व कन्या! शीघ्र ही चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। यदि तुम सच्ची श्रद्धा से इस व्रत को करो और इसका फल अपने पति को अर्पित करो, तो वह इस भयंकर श्राप से मुक्त हो जाएगा।”
यह सुनकर ललिता के मन में आशा का दीप जल उठा। उसने निश्चय किया कि वह पूर्ण निष्ठा और नियम के साथ यह व्रत करेगी।
जब एकादशी का पावन दिन आया, तो ललिता ने विधि-विधान से व्रत रखा, भगवान विष्णु का ध्यान किया और पूरे दिन उपवास व पूजा में बिताया। द्वादशी के दिन उसने ब्राह्मणों को भोजन करवाकर अपने व्रत का पुण्य-फल अपने पति को समर्पित करते हुए भगवान विष्णु से प्रार्थना की “हे प्रभु! मेरे इस व्रत का फल मेरे पति को प्राप्त हो और वह इस राक्षस योनि से मुक्त हो जाए।”
जैसे ही ललिता ने व्रत-फल अर्पित किया, उसी क्षण एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ। ललित का राक्षसी रूप समाप्त हो गया और वह पुनः पहले जैसा सुंदर गंधर्व बन गया। दोनों आनंदित होकर भगवान को प्रणाम करते हुए स्वर्गलोक के विमान में सवार होकर वापस अपने दिव्य जीवन में लौट गए।
वर्ष 2026 में कामदा एकादशी व्रत 29 मार्च, रविवार को किया जाएगा।
एकादशी तिथि का प्रारम्भ 28 मार्च, शनिवार को सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर होगा।
एकादशी तिथि का समापन 29 मार्च, रविवार को प्रातःकाल 07 बजकर 46 मिनट पर होगा।
कामदा एकादशी व्रत का पारण 30 मार्च को प्रातः 05 बजकर 52 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 07 बजकर 09 मिनट पर होगा।
ब्रह्म मुहूर्त में उठें, और नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
अब अपनी श्रद्धा व सामर्थ्य के अनुसार फलाहार या निर्जला व्रत रखने के संकल्प लें।
शुद्ध जल से आसन और पूजा स्थान की शुद्धि करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएँ और पीले वस्त्र अर्पित करें।
अब उन्हें पीले पुष्प, तुलसी दल, कुमकुम, अक्षत, धूप और दीप अर्पित करें।
नैवेद्य में पीला फल, मिष्ठान व तुलसी पत्र अर्पित करें।
अब कामदा एकादशी की कथा पढ़ें/सुनें।
यदि संभव हो तो श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, या फिर किसी भी विष्णु मंत्र का 108 बार जाप करें।
इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें, और पूजा में। हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
अगले दिन द्वादशी के शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें।
आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने का उपाय
जो जातक आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, वे कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का बीज मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का 5 माला जाप करें। धन समृद्धि की प्राप्ति के लिए जातक कामदा एकादशी पर किसी निर्धन व्यक्ति को अन्न, वस्त्र, धन व अन्य वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं।
विवाह संबंधी बाधाएं दूर करने का उपाय
मान्यता है कि कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु को दो साबुत हल्दी अर्पित करने से विवाह में आने वाली अड़चनों से छुटकारा मिलता है। हल्दी का दान करने से भी विवाह संबंधी रुकावटें दूर होती हैं। इसके साथ ही जातक भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ केशवाय नमः’ का 108 बार जाप करें। भगवान विष्णु की कृपा से निश्चय ही शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।
कार्यक्षेत्र में आ रही बाधाएं दूर करने के उपाय
नौकरी या व्यवसाय में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को 11 पीले रंग के फूल चढ़ाएं। पीला रंग श्री हरि को अति प्रिय माना जाता है, साथ ही ये रंग संपन्नता व सफलता का प्रतीक भी है। कामदा एकादशी व्रत के अगले दिन इन फूलों को जल में विसर्जित कर दें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और कार्यक्षेत्र में प्रगति होगी।
पाप से मुक्ति प्राप्त करने के उपाय
कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने मात्र से मनुष्य के पिछले जन्मों और इस जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को बताया था कि इसका फल हजारों वर्षों तक किए गए तप के समान होता है।
मनोकामना पूर्ति के लिए उपाय
‘कामदा’ नाम ही बताता है कि यह एकादशी कामनाओं को पूर्ण करती है। चाहे मन में संतान का भाव हो, विवाह की इच्छा हो, मानसिक शांति की चाह हो या आर्थिक उन्नति, यह व्रत हर प्रकार की सकारात्मक इच्छाओं को पूरा करने वाला माना गया है।
क्या करें?
प्रातः जल्दी उठें और सात्विकता का पालन करें।
सत्य बोलें और मन को शांत रखें।
जरूरतमंदों को दान करें। इससे व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
माता-पिता, बड़ों और गुरु का आशीर्वाद लें।
व्रत के पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण करते रहें।
क्या न करें?
कामदा एकादशी के दिन नकारात्मक बातें करने, झगड़ा और क्रोध से दूर रहें।
इस दिन मांस, शराब, लहसुन-प्याज का सेवन पूरी तरह वर्जित माना जाता हैं।
किसी भी प्रकार के छल, कपट व झूठ से बचें और दूसरों को कष्ट न पहुंचाएं।
ये थी ‘कामदा एकादशी’ के बारे में विशेष जानकारी! हमारी कामना है कि भगवान विष्णु की कृपा आप व आपके प्रियजनों पर सदा बनी रहे। ऐसी ही धार्मिक व रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।
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