दशमी श्राद्ध (Dashami Shradh) Kya Hai, Date, Muhurat, Kaise Kare

दशमी श्राद्ध

जानें दशमी श्राद्ध क्या है, इसकी तारीख, शुभ मुहूर्त और इसे सही तरीके से करने की विधि


दशमी श्राद्ध (Dashami Shradh)

दशमी श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने का एक विशेष समय होता है। इस दौरान, लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न प्रकार के श्राद्ध कर्म करते हैं। दशमी तिथि पर भी श्राद्ध किया जाता है।

दशमी श्राद्ध क्या होता है? (What is Dashami Shradh)

दशमी श्राद्ध, दिवंगत आत्माओं के लिए दशमी तिथि को किया जाने वाला श्राद्ध है। यह श्राद्ध उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो। आइए जानते हैं इस साल दशमी तिथि कब है, इसका महत्व क्या है।

दशमी श्राद्ध कब है? (Dashami Shradh Date)

पितृ पक्ष की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इस साल पितृ पक्ष में दशमी तिथि का श्राद्ध 26 सितंबर, 2024 दिन गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दिया जाता है।

दशमी श्राद्ध मुहूर्त (Dashami Shradh Muhurat)

  • कुतुप मूहूर्त - 11:25 AM से 12:13 PM, अवधि - 48 मिनट्स
  • रौहिण मूहूर्त - 12:13 PM से 01:01 PM, अवधि - 48 मिनट्स
  • अपराह्न काल - 01:01 PM से 03:25 PM, अवधि - 02 घण्टे 24 मिनट्स
  • दशमी तिथि प्रारम्भ - सितंबर 26, 2024 को 12:25 PM बजे
  • दशमी तिथि समाप्त - सितंबर 27, 2024 को 01:20 PM बजे

दशमी श्राद्ध कैसे करें? (How to do Dashami Shradh)

  • दशमी श्राद्ध के दिन दान के साथ-साथ पितरों के लिए भगवत गीता के दसवें अध्याय का पाठ भी करना चाहिए।
  • इस दिन 10 ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप दस ब्राह्मणों को भोजन नहीं करा पाते हैं तो कम से कम एक ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं।
  • श्राद्ध के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शरीर को शुद्ध किया जाता है। स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • श्राद्ध करने के लिए स्थान साफ-सुथरा और स्वच्छ होना चाहिए।
  • कुश, जल, तिल, गंगाजल, दूध, घी, शहद की जलांजलि देने के बाद दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं।
  • श्राद्ध से पहले पितरों का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
  • श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाता जाता है।
  • गरीबों को दान देना शुभ माना जाता है।
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे, कुत्ते और फिर चीटियों को खिलाएं।
  • श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, शराब पीना, मांस खाना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से पितृ नाराज हो जाते हैं।
  • श्राद्ध में मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, मसूर की दाल, सरसों का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।

दशमी श्राद्ध का महत्व (Dashami Shradh Ka Mahatav)

पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए दशमी श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किए गए श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। दशमी श्राद्ध करने से परिवार में शांति और समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों को वही भोजन कराना चाहिए जो उन्हें पसंद हो।

दशमी श्राद्ध से जुड़ी कुछ बातें

  • दशमी श्राद्ध, पितृ पक्ष श्राद्धों में से एक है।
  • दशमी श्राद्ध करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रौहिण मुहूर्त होता है।
  • इस दिन दान-पुण्य के साथ पितरों के लिए भागवत गीता के दसवें अध्याय का पाठ भी करना चाहिए।
  • दशमी श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।
  • दशमी श्राद्ध, हमारे पूर्वजों के सम्मान के लिए किया जाता है। यह हमें उदारता की भावना अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

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