
इन मंत्रों का जाप न सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति लाता है, बल्कि समृद्धि, ज्ञान और शांति का आशीर्वाद भी प्रदान करता है।
ब्रह्मा जी के 108 नाम और मंत्र का जाप व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। इन नामों और मंत्रों का उच्चारण मानसिक शांति, ज्ञान की प्राप्ति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। ब्रह्मा जी के इन मंत्रों से जीवन में समृद्धि, सुख, और समग्र कल्याण की प्राप्ति होती है। यह मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं।
हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति में भगवान ब्रह्मा जी को सृष्टि के सृजनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। वह सृष्टि के जन्मदाता हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड के हर कण को अस्तित्व प्रदान किया। देवताओं, दानवों और सभी जीवों के पितामाह के रूप में पूजे जाने वाले ब्रह्मा जी के रचनात्मक हाथों से संसार का हर तत्व आकार लेता है, और उनकी ऊर्जा से जीवन का संचार होता है। यह ब्रह्मांड, यह सृष्टि, ऋतुएं, वनस्पति और हर प्राणी, ब्रह्मा जी के अनंत रूपों का हिस्सा हैं।
शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्म वह है जो सत्व, रज और तम—इन तीन गुणों से परे, निराकार और सर्वव्यापी होता है। यही कारण है कि ब्रह्मा को उन गुणों का संचारक और साकार रूप माना जाता है, जिससे सृष्टि का सृजन संभव हो पाता है। इसलिए, उन्हें ब्रह्मा के नाम से पुकारा जाता है।
पुराणों में भगवान ब्रह्मा जी के रूप का विवरण इस प्रकार किया गया है: उनके चार मुख और चार हाथ होते हैं, जिनमें उन्होंने वरमुद्रा, अक्षर सूत्र, वेद और कमण्डल धारण को किया हुआ है।
भगवान ब्रह्मा जी के रूपों की तरह उनके नामों में भी जीवन के गूढ़ अर्थ निहित हैं। इन नामों का उच्चारण मात्र से व्यक्ति को मानसिक शांति, ज्ञान, बुद्धि और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है, जो उसे जीवन की कठिन परिस्थितियों में स्थिर और संतुलित रहने की क्षमता प्रदान करते हैं।
भगवान ब्रह्मा की अष्टोत्तर शतनामावली का जाप, बौद्धिक क्षमता और आंतरिक बल को बढ़ाता है। इन 108 पवित्र नामों का उच्चारण करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। यह मंत्र शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है, और ब्रह्मा जी की कृपा से व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन आता है। इस जाप से ज्ञान, धैर्य और विवेक में वृद्धि होती है, जिससे जीवन में समर्पण और संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है। साथ ही, यह नामावली भक्तों को आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन करती है।
| S. No | मंत्र |
| 1 | ॐ ब्रह्मणे नमः। |
| 2 | ॐ गायत्रीपतये नमः। |
| 3 | ॐ सावित्रीपतये नमः। |
| 4 | ॐ सरस्वतिपतये नमः। |
| 5 | ॐ प्रजापतये नमः। |
| 6 | ॐ हिरण्यगर्भाय नमः। |
| 7 | ॐ कमण्डलुधराय नमः। |
| 8 | ॐ रक्तवर्णाय नमः। |
| 9 | ॐ ऊर्ध्वलोकपालाय नमः। |
| 10 | ॐ वरदाय नमः। |
| 11 | ॐ वनमालिने नमः। |
| 12 | ॐ सुरश्रेष्ठाय नमः। |
| 13 | ॐ पितमहाय नमः। |
| 14 | ॐ वेदगर्भाय नमः। |
| 15 | ॐ चतुर्मुखाय नमः। |
| 16 | ॐ सृष्टिकर्त्रे नमः। |
| 17 | ॐ बृहस्पतये नमः। |
| 18 | ॐ बालरूपिणे नमः। |
| 19 | ॐ सुरप्रियाय नमः। |
| 20 | ॐ चक्रदेवाय नमः। |
| 21 | ॐ भुवनाधिपाय नमः। |
| 22 | ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः। |
| 23 | ॐ पीताक्षाय नमः। |
| 24 | ॐ विजयाय नमः। |
| 25 | ॐ पुरुषोत्तमाय नमः। |
| 26 | ॐ पद्महस्ताय नमः। |
| 27 | ॐ तमोनुदे नमः। |
| 28 | ॐ जनानन्दाय नमः। |
| 29 | ॐ जनप्रियाय नमः। |
| 30 | ॐ ब्रह्मणे नमः। |
| 31 | ॐ मुनये नमः। |
| 32 | ॐ श्रीनिवासाय नमः। |
| 33 | ॐ शुभङ्कराय नमः। |
| 34 | ॐ देवकर्त्रे नमः। |
| 35 | ॐ स्रष्ट्रे नमः। |
| 36 | ॐ विष्णवे नमः। |
| 37 | ॐ भार्गवाय नमः। |
| 38 | ॐ गोनर्दाय नमः। |
| 39 | ॐ पितामहाय नमः। |
| 40 | ॐ महादेवाय नमः। |
| 41 | ॐ राघवाय नमः। |
| 42 | ॐ विरिञ्चये नमः। |
| 43 | ॐ वाराहाय नमः। |
| 44 | ॐ शङ्कराय नमः। |
| 45 | ॐ सृकाहस्ताय नमः। |
| 46 | ॐ पद्मनेत्राय नमः। |
| 47 | ॐ कुशहस्ताय नमः। |
| 48 | ॐ गोविन्दाय नमः। |
| 49 | ॐ सुरेन्द्राय नमः। |
| 50 | ॐ पद्मतनवे नमः। |
| 51 | ॐ मध्वक्षाय नमः। |
| 52 | ॐ कनकप्रभाय नमः। |
| 53 | ॐ अन्नदात्रे नमः। |
| 54 | ॐ शम्भवे नमः। |
| 55 | ॐ पौलस्त्याय नमः। |
| 56 | ॐ हंसवाहनाय नमः। |
| 57 | ॐ वसिष्ठाय नमः। |
| 58 | ॐ नारदाय नमः। |
| 59 | ॐ श्रुतिदात्रे नमः। |
| 60 | ॐ यजुषां पतये नमः। |
| 61 | ॐ मधुप्रियाय नमः। |
| 62 | ॐ नारायणाय नमः। |
| 63 | ॐ द्विजप्रियाय नमः। |
| 64 | ॐ ब्रह्मगर्भाय नमः। |
| 65 | ॐ सुतप्रियाय नमः। |
| 66 | ॐ महारूपाय नमः। |
| 67 | ॐ सुरूपाय नमः। |
| 68 | ॐ विश्वकर्मणे नमः। |
| 69 | ॐ जनाध्यक्षाय नमः। |
| 70 | ॐ देवाध्यक्षाय नमः। |
| 71 | ॐ गङ्गाधराय नमः। |
| 72 | ॐ जलदाय नमः। |
| 73 | ॐ त्रिपुरारये नमः। |
| 74 | ॐ त्रिलोचनाय नमः। |
| 75 | ॐ वधनाशनाय नमः। |
| 76 | ॐ शौरये नमः। |
| 77 | ॐ चक्रधारकाय नमः। |
| 78 | ॐ विरूपाक्षाय नमः। |
| 79 | ॐ गौतमाय नमः। |
| 80 | ॐ माल्यवते नमः। |
| 81 | ॐ द्विजेन्द्राय नमः। |
| 82 | ॐ दिवानाथाय नमः। |
| 83 | ॐ पुरन्दराय नमः। |
| 84 | ॐ हंसबाहवे नमः। |
| 85 | ॐ गरुडप्रियाय नमः। |
| 86 | ॐ महायक्षाय नमः। |
| 87 | ॐ सुयज्ञाय नमः। |
| 88 | ॐ शुक्लवर्णाय नमः। |
| 89 | ॐ पद्मबोधकाय नमः। |
| 90 | ॐ लिङ्गिने नमः। |
| 91 | ॐ उमापतये नमः। |
| 92 | ॐ विनायकाय नमः। |
| 93 | ॐ धनाधिपाय नमः। |
| 94 | ॐ वासुकये नमः। |
| 95 | ॐ युगाध्यक्षाय नमः। |
| 96 | ॐ स्त्रीराज्याय नमः। |
| 97 | ॐ सुभोगाय नमः। |
| 98 | ॐ तक्षकाय नमः। |
| 99 | ॐ पापहर्त्रे नमः। |
| 100 | ॐ सुदर्शनाय नमः। |
| 101 | ॐ महावीराय नमः। |
| 102 | ॐ दुर्गनाशनाय नमः। |
| 103 | ॐ पद्मगृहाय नमः। |
| 104 | ॐ मृगलाञ्छनाय नमः। |
| 105 | ॐ वेदरूपिणे नमः। |
| 106 | ॐ अक्षमालाधराय नमः। |
| 107 | ॐ ब्राह्मणप्रियाय नमः। |
| 108 | ॐ विधये नमः। |
भगवान ब्रह्मा की अष्टोत्तर शतनामावली का जाप करने का तरीका सरल और प्रभावशाली है। सबसे पहले, प्रातःकाल उठकर अपने सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं। फिर घर के मंदिर को गंगा जल से शुद्ध करके वहां दीप प्रज्वलित करें। इसके बाद, शांति से बैठकर मन को एकाग्र करें और पूरी श्रद्धा से ब्रह्मा जी के नामों का उच्चारण करें।
इन मंत्रों का नियमित जाप आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा और भगवान ब्रह्मा की कृपा से आपके जीवन में समृद्धि और शांति आएगी। हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान सदैव अपनी कृपा दृष्टि आपके परिवार पर बनाए रखें।
Did you like this article?

जानें महत्व और पाएं आरती का पूरा लाभ

जानें महत्त्व और पूजा के लाभ

दुर्गा कवच: दुर्गा कवच का पाठ कैसे करें और इसके फायदे जानें। देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए इस शक्तिशाली कवच का नियमित पाठ करें और जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त करें।