image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

सीता चालीसा

मर्यादा, सहनशीलता और पतिव्रता धर्म की प्रतीक मां सीता की स्तुति करें सीता चालीसा से। इसके पाठ से मिलती है भक्ति की गहराई और जीवन में आत्मिक संतुलन।

सीता चालीसा के बारे में

सीता चालीसा माता सीता की मर्यादा, समर्पण और सहनशीलता को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है। इसे श्रद्धा से पढ़ने पर मन को धैर्य, संयम और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। इस लेख में आपको सीता चालीसा का पाठ, इसका महत्व, पाठ विधि और इससे मिलने वाले लाभों की जानकारी मिलेगी।

सीता चालीसा क्या है?

माता सीता का जीवन आदर्श पत्नी, आदर्श पुत्री, आदर्श माता और त्याग का प्रतीक माना जाता है। सीता जी का चरित्र केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी जनमानस के लिए प्रेरणा है। 'सीता चालीसा' में माता जानकी की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें माता सीता के जन्म, उनका विवाह, भगवान श्री राम के जीवन में उनका आदर्श पत्नीधर्म, वनवास में उनका धैर्य और लंकेश्वर रावण के द्वारा हरण के समय भी उनके पतिव्रता धर्म का पालन का भक्तिभाव से वर्णन किया गया है।

वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और अन्य ग्रंथों में माता सीता के त्याग, संयम और आदर्श स्त्री रूप की विस्तार से चर्चा की गई है। सीता चालीसा में उन्हीं प्रसंगों का सार है, जिससे भक्त माता के गुणों से प्रेरित होकर अपने जीवन में धैर्य, शक्ति और सहनशीलता ला सकते हैं। ये चालीसा जातक को विपरीत परिस्थितियों में भी विश्वास, सत्य और धर्म की राह पर चलने की शिक्षा देता है।

सीता चालीसा का पाठ क्यों करें?

माता सीता त्याग, संयम और पतिव्रता धर्म की प्रतीक हैं। उनका स्मरण करने और उनके चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। इसके अलावा सीता चालीसा का पाठ करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और पारिवारिक कलह समाप्त होती है।

विवाहित स्त्रियों के लिए यह चालीसा सौभाग्य और अखंड सुहाग का आशीर्वाद प्रदान करने वाला माना जाता है। इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि माता सीता को समर्पित इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाले संकट व विघ्न दूर होते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन दंपतियों को संतान की इच्छा होती है, उनके लिए भी सीता चालीसा का पाठ शीघ्र मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है। सीता चालीसा में वर्णित माता सीता का चरित्र हमें ये भी प्रेरणा देता है कि अपमान, अन्याय और विषम परिस्थितियों में भी आत्मसम्मान और धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए।

सीता चालीसा

॥ दोहा॥

बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम,

राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥

कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम,

मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥

॥ चौपाई ॥

राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई ॥

चरण कमल बन्दों सिर नाई,

सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥

जनक दुलारी राघव प्यारी,

भरत लखन शत्रुहन वारी ॥

दिव्या धरा सों उपजी सीता,

मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥

सिया रूप भायो मनवा अति,

रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥

भारी शिव धनु खींचै जोई,

सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥

भूपति नरपति रावण संगा,

नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥

जनक निराश भए लखि कारन ,

जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥

यह सुन विश्वामित्र मुस्काए,

राम लखन मुनि सीस नवाए ॥

आज्ञा पाई उठे रघुराई,

इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥

जनक सुता गौरी सिर नावा,

राम रूप उनके हिय भावा ॥

मारत पलक राम कर धनु लै,

खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥

जय जयकार हुई अति भारी,

आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥

सिय चली जयमाल सम्हाले,

मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥

मंगल बाज बजे चहुँ ओरा,

परे राम संग सिया के फेरा ॥

लौटी बारात अवधपुर आई,

तीनों मातु करैं नोराई ॥

कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा,

मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥

कौशल्या सूत भेंट दियो सिय,

हरख अपार हुए सीता हिय ॥

सब विधि बांटी बधाई,

राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥

मंद मती मंथरा अडाइन,

राम न भरत राजपद पाइन ॥

कैकेई कोप भवन मा गइली,

वचन पति सों अपनेई गहिली ॥

चौदह बरस कोप बनवासा,

भरत राजपद देहि दिलासा ॥

आज्ञा मानि चले रघुराई,

संग जानकी लक्षमन भाई ॥

सिय श्री राम पथ पथ भटकैं,

मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥

राम गए माया मृग मारन,

रावण साधु बन्यो सिय कारन॥

भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो,

लंका जाई डरावन लाग्यो ॥

राम वियोग सों सिय अकुलानी,

रावण सों कही कर्कश बानी ॥

हनुमान प्रभु लाए अंगूठी,

सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी॥

अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा,

महावीर सिय शीश नवावा॥

सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती,

भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥

चढ़ि विमान सिय रघुपति आए,

भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥

अवध नरेश पाई राघव से,

सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥

रजक बोल सुनी सिय बन भेजी,

लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥

बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो,

लवकुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥

विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं,

दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥

लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी,

रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥

भूलमानि सिय वापस लाए,

राम जानकी सबहि सुहाए ॥

सती प्रमाणिकता केहि कारन,

बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥

अवनि सुता अवनी मां सोई,

राम जानकी यही विधि खोई ॥

पतिव्रता मर्यादित माता,

सीता सती नवावों माथा ॥

॥ दोहा ॥

जनकसुत अवनिधिया राम प्रिया लवमात,

चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात ॥

सीता चालीसा पाठ की विधि और नियम

सीता चालीसा का पाठ श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। पाठ करते समय नीचे दी गई विधियों का पालन करें:

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ करके वहाँ माता सीता या राम-सीता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • लाल या पीले वस्त्र पहनकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • दीपक जलाएं, धूप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
  • माता सीता का ध्यान करते हुए एकाग्र मन से चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ के बाद माता से अपनी मनोकामना निवेदन करें।
  • हर मंगलवार, शुक्रवार या शुक्ल पक्ष की नवमी को पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • यदि संभव हो तो नवमी या रामनवमी के अवसर पर विशेष पूजा करके पाठ करें।

सीता चालीसा के लाभ

सीता चालीसा के पाठ से अनेक लाभ होते हैं, जैसे:

  • जीवन में धैर्य, संयम और सहनशीलता आती है।

  • अविवाहित जातकों के विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।

  • विवाहित लोगों के जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।

  • स्त्रियों के लिए यह चालीसा सौभाग्य और अखंड सुहाग प्रदान करने वाला माना जाता है।

  • मानसिक तनाव, चिंता और भय दूर होता है।

  • पारिवारिक कलह समाप्त होती है और घर में सुख-शांति आती है।

  • संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह चालीसा कल्याणकारी मानी जाती है।

ये थी सीता चालीसा से जुड़ी विशेष जानकारी। आप भी श्रद्धापूर्वक इस चालीसा का पाठ करें। हमारी कामना है कि माता सीता की कृपा से आपके जीवन सुख-समृद्धि व सौभाग्य बना रहे।

divider
Published by Sri Mandir·September 19, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook