बाबा रामदेव जी की भक्ति में समर्पित इस चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करें। इसके नियमित पाठ से जीवन में आता है स्वास्थ्य, समृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति।
जानकारी अनुसार, राजस्थान में पीर बाबा के नाम से पूजनीय रामदेव बाबा के प्रति लोगों की श्रद्धा अटूट है। माना जाता है कि इनकी चालीसा का पाठ जीवन के दुख-दर्द दूर करता है और सुख-समृद्धि लाता है। आखिर क्या है रामदेव चालीसा, कैसे करें इस चालीसा का पाठ और क्या है पूजा की संपूर्ण विधि तो जरूर पढ़ें यह आर्टिकल। आपको मिलेगा हर सवाल का जवाब।
रामशा पीर, रामदेव पीर और रामदेव बाबा नाम से प्रसिद्धि प्रभु रामदेव काफी लोकप्रिय हैं। रामदेव चालीसा श्रद्धापूर्ण भक्ति गीत है, जो लोकदेवता और जन-जन के आराध्य बाबा रामदेव जी को समर्पित है। यह चालीसा रामदेवके जीवन, चमत्कारों और गुणगान का वर्णन करती है। भक्तजन रामदेव चालीसा का पाठ विशेष अवसरों, व्रत, पूजा और रामदेव जी के पर्वों पर करते हैं। मान्यता है कि इसका नियमित पाठ करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की समस्याओं, जैसे रोग, आर्थिक तंगी, और पारिवारिक क्लेश से भी मुक्ति मिलती है।
रामदेव चालीसा भगवान रामदेव जी को समर्पित एक पवित्र भक्ति स्तुति है, जिसे पढ़ने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। यह चालीसा संकटों को हरने वाली, सुख-समृद्धि को बढ़ाने वाली और भाग्य को जागृत करने वाली मानी जाती है। माना जाता है कि इसका नियमित पाठ करने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और जीवन में शांति तथा संतोष का अनुभव होता है। जो लोग निरंतर विपत्तियों से घिरे रहते हैं, उनके लिए रामदेव चालीसा संजीवनी समान मानी जाती है। वहीं, मानसिक तनाव, भय और चिंता से राहत मिलती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस चालीसा के पाठ से रोगों से मुक्ति, संतान की प्राप्ति और आर्थिक संकटों का समाधान भी संभव है।
दोहा
श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गणेश मनाय।
कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय॥
द्वार केश से आय कर, लिया मनुज अवतार।
अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार॥
जय-जय रामदेव सुरराया, अजमल पुत्र अनोखी माया।
विष्णु रूप सुर नर के स्वामी, परम प्रतापी अन्तर्यामी॥
ले अवतार अवनि पर आये, तंवर वन्श अवतंश कहाये।
संतजनों के कारज सारे, दानव दैत्य दुष्ट संहारे॥
परच्या प्रथम पिता को दीन्हा, दूध परीड़ा मांही कीन्हा।
कुमकुम पोल दर्शाये, ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये॥
परचा दूजा जननी पाया, दूध उफनता चरा उठाया।
परचा तीजा पुरजन पाया, चिथड़ो का घोड़ा ही साया॥
परच्या चौथा भैरव मारा, भक्तगणों का कष्ट निवारा।
पंचम परच्या रत्न पाया, पुंगल जा प्रभु फन्द छुड़ाया॥
परच्या छठा विजय सिंह पाया, जला नगर शरणागत आया।
परच्या सप्तम् सुगना पाया, मुवा पुत्र हंसता भगआया॥
परच्या अष्टम् बौहित पाया,जो परदेश द्रव्य बहु लाया।
भंवर डूबती नाव उबारी, प्रगत टेर पहुंचे अवतारी॥
नवमां परच्या वीरम पाया, बनियां आ जब हाल सुनाया।
दसवां परच्या पा बिनजारा, मिश्री बनी नमक सब खारा॥
परच्या ग्यारह किरपा थारी, नमक हुआ मिश्री फिर सारी।
परच्या द्वादश ठोकर मारी, निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी॥
परच्या तेरहवां पीर परी पधारया, ल्याय कटोरा कारज सारा।
चौदहवां परच्या जाभो पाया, निजसर जल खारा कराया॥
परच्या पन्द्रह फिर बताया, राम सरोवर प्रभु खुदवाया।
परच्या सोलह हरबू पाया, दर्श पाय अतिशय हरषाया॥
परच्या सत्रह हरजी पाया, दूध थणा बकरया के आया।
सुखी नाड़ी पानी कीन्हो, आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हो॥
परच्या अठारहवां हाकिम पाया, सूते को धरती लुढ़काया।
परच्या उन्नीसवां दलजी पाया, पुत्र पाय मन में हरषाया॥
परच्या बीसवां पाया सेठाणी, आये प्रभु सुन गदगद वाणी।
तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा, उक्त उजागर अभरवर दीन्हा॥
परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया, हो अन्धा करनी फल पाया।
परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां, सातो तवा बेध प्रभु दीन्हा॥
परच्या तेईसवां बादशाह पाया, फेर भक्त को नहीं सताया।
परच्या चैबीसवां बख्शी पाया, मुवा पुत्र पल में उठ धाया॥
जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां, तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां।
भक्त टेर सुन आतुर धाते, चढ़ लीले पर जल्दी आते॥
जो जन प्रभु की लीला गावें, मनवांछित कारज फल पाएं।
यह चालीसा सुने सुनावें, ताके कष्ट सकल कट जाएं॥
जय जय जय प्रभु लीला धारी, तेरी महिमा अपरंपारी।
मैं मूर्ख क्या गुण तब गाऊं, कहां बुद्धि शारद सी लाऊं॥
नहिं बुद्धि बल घट लव लेशा, मती अनुसार रची चालीसा।
दास सभी शरण में तेरी, रखियों प्रभो लज्जा मेरी॥
|| दोहा ||
जय जय प्रभु रामदेव जी, हर बार को नमस्कार।
नन्द की लाज बचाइये, हरिए पाप भार।
दीनों के तुम बंधु हो, संताप हरो मोर।
तीनों लोकों के स्वामी, क्लेश मिटाओ थोर।
|| चौपाई ||
जय जयकार रामदेव की, विपदा हरें हमारी।
दानी सुख-संपति के, विधाता भाग्य संवारी।
बाल रूप धर अजमल घर, पुत्र बने सुखदाई।
दुखियों के रक्षक बनकर, कृपा करें सदा भाई।
रामदेव प्रभु ही स्वामी, घट-घट जानें भाव।
भक्तों के भय दूर करें, करिये कृपा अब दयाव।
जग में नाम तुम्हारा ऊँचा, नर-नारी सब गायें।
दुख हरता है नाम तुम्हारा, जग सारा अब जानें।
रूणिचा धाम है सुन्दर, तुम हो अन्तर्यामी।
कलियुग में पधारे प्रभु, अंश तुम्हारा स्वामी।
भक्तों के हो रक्षक तुम, पापियों के संहारक।
हाथों में भाला शोभे, गले में माला सुन्दरक।
अश्व सवारी पे विराजो, कृपा करो प्रभु न्यारे।
नाम तुम्हारा दे ज्ञान उजाला, दुख हरें सारे।
भक्तों के तुम भक्त बने, वास करो उर अंदर।
लीला तुमरी अपरम्पार, भय हरें सुख करंदर।
मूर्ख भी ज्ञानी हो जाएं, रोग बिना जन रहें।
संतति हो पुत्रहीनों को, मन में सुखद उमंग बहें।
दुष्ट कभी न निकट आवें, पिशाच डरें भारी।
जो नर ध्यान लगाए तेरा, पावे संतान प्यारी।
डूबी नाव उबारी तुमने, नमक को किया मिठाई।
पीरों को परचा तुमने दिखाया, किया खारा जल मीठाई।
दलजी को दिया वो पत्र, हरजी को ज्ञान दिलाया।
सुगना के दुख को हरकर, पुत्र को फिर लौटाया।
जो तेरा नाम सुमिरें, तू आगे पग धरता।
तेरी टेर लगाते जो, देर न लगती करता।
भैरव को मारा तुमने, भयानक रूप बनाकर।
जांभा को भी दर्शन दिये, आशा को बल देकर।
तेरी शरण में जो आये, इच्छा पूर्ण हो जाए।
नेत्रहीन को भी तू देखे, दुख पुगंल का हर ले जाए।
नित्य जो ये चालीसा पढ़े, घर में सुख बरसे।
भक्तिभाव से जो ध्यान करे, फल मनवांछित तरसे।
सेवक तेरा हूँ मैं प्रभु, जन्म-मरण से तारो।
लीला तेरी जय हो नाथ, मेरी नाव भी पार करो।
नन्द विनय करे प्रभु से, बनो उर में वास।
कृपा करो हे रामदेव, मिटे जन्म का त्रास।
|| दोहा ||
भक्त समझ प्रभु दौड़ आए, करी कृपा अपार।
नंद करे प्रभू से विनती, जोड करूं मैं हाथ हजार
जो चालीसा पढ़े नित्य, मन से कर सुमिराय।
सब इच्छित फल वो पाए, सुख-सम्पत्ति घर छाय।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करें।
लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और बाबा रामदेव जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
बाबा को पंचामृत या गंगाजल से स्नान कराएं (अभिषेक करें)।
पुष्प, कुमकुम, चंदन, अक्षत, फल और मिठाई अर्पित करें।
दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं, वातावरण को पवित्र बनाएं।
मन को शांत करें और बाबा रामदेव जी का ध्यान करें।
उनके मंत्रों का जाप करें और फिर श्रद्धा से रामदेव चालीसा का पाठ शुरू करें।
मन एकाग्र और नकारात्मक विचारों से मुक्त रखें।
पाठ के बाद आरती करें, भजन गाएं और भोग लगाएं।
अंत में बाबा से कृपा, सुख, शांति, समृद्धि और रक्षा की प्रार्थना करें।
व्रत, पर्व या विशेष तिथि पर पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
रामदेव चालीसा का नियमित पाठ करने से कई तरह के लाभ होते हैं, जिससे जीवन में सुख-सौभाग्य औऱ समृद्धि का वास होता है।
मन की शांति: रामदेव चालीसा का नियमित पाठ करने से चित्त और मन शांत होता है। साथ ही मानसिक तनाव में कमी आती है।
रोगों से छुटकारा: रामदेव चालीसा का नियमित पाठ करने से शरीर में होने वाले गंभीर रोगों में राहत मिलती है।
संतान सुख की प्राप्ति: रोाजना रामदेव चालीसा का नियमित पाठ करने से नि:संतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
आर्थिक समृद्धि: इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में धन और समृद्धि की बढ़ोतरी होती है।
संकटों से मुक्ति: इस पाठ से जीवन की कठिनाइयाँ और बाधाएँ धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
सकारात्मक ऊर्जा: रामदेव चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।
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