छाया ग्रह राहु की कृपा और शांति प्राप्त करने के लिए श्रद्धा से पढ़ें राहु चालीसा। इसके नियमित पाठ से ग्रहदोष, मानसिक तनाव और जीवन की रुकावटें होती हैं समाप्त।
राहु चालीसा राहु ग्रह के दोषों को शांत करने और जीवन में संतुलन लाने के लिए पढ़ा जाता है। इसे श्रद्धा से पढ़ने पर मानसिक तनाव कम होता है और बाधाओं से राहत मिलती है। इस लेख में आपको राहु चालीसा का पाठ, इसका महत्व, पाठ विधि और इससे मिलने वाले लाभों की जानकारी मिलेगी।
राहु चालीसा, रहस्यमयी और प्रभावशाली राहु ग्रह को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जो 40 छंदों में रचित है। यह चालीसा राहु देव के रूप, शक्ति और असर का गुणगान करती है।माना जाता है कि इसका नियमित पाठ राहु ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करता है और जीवन में शांति, स्थिरता व सफलता लाता है। यह चालीसा नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर, और अज्ञात बाधाओं से रक्षा करती है। बार-बार असफलता, भ्रम और मानसिक तनाव से परेशान लोग अगर राहु चालीसा का पाठ करें तो यह बेहद लाभकारी और शांतिदायक माना जाता है।
राहु चालीसा का पाठ भक्तों के जीवन में शांति, स्थिरता और सफलता लाने का एक प्रभावशाली माध्यम माना जाता है। यह चालीसा राहु ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने और शुभ फल प्राप्त करने में सहायक होती है। खासकर शनिवार के दिन इसका पाठ और राहु देव की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिनकी कुंडली में राहु ग्रह अनुकूल होता है, उन्हें जीवन में कम संघर्ष करना पड़ता है और उनके रुके हुए कार्य भी धीरे-धीरे पूर्ण होने लगते हैं। राहु चालीसा का नियमित पाठ न केवल कालसर्प दोष को शांत करता है, बल्कि राहु देव की कृपा से धन, समृद्धि, आत्मबल और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
नमो नमो श्री राहु सुखकारी।
सभी कष्टों को हरने वाले, भक्तों को सुख देने वाले॥
जयति जयति श्री राहु महाराज।
भव बंधन से करते सबका उद्धार॥
जयति जयति श्री राहु दयाला।
सदा भक्तन के संकट हारा॥
सर्पाकार, फणी धर शेषा।
राहु देव, संकट हरनेवाला॥
सिर कटे पर धड़ ना छोड़ा।
अमृत पान किया संत मोड़ा॥
राहु केतु, कालग्रह जाने।
सभी संकटों को दूर भगाने॥
सर्पाकार, छाया ग्रह माने।
सभी जनों के दुख हर जाने॥
केतु राहु संग्राम मचाया।
देवताओं को भी डराया॥
भानु ग्रास, चंद्र को धाया।
सभी ग्रहों पर प्रभाव दिखाया॥
राहु-केतु छाया ग्रह भारे।
सभी ग्रहों में राहु न्यारे॥
राहु दोष जो जनम कुंडली।
राहु चालीसा करें निरंतर॥
जीवन में सभी कष्ट मिटावे।
राहु देव कृपा बरसावे॥
भक्त जो राहु देव को ध्यावे।
सभी संकटों को हर लावे॥
राहु ग्रह का प्रभाव हटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥
कालसर्प दोष भी टारे।
राहु चालीसा जो जन गावे॥
राहु ग्रह के मंत्र जपे जो।
जीवन में सब सुख पावे सो॥
शत्रु से जो भयभीत होवे।
राहु देव का ध्यान धरावे॥
राहु देव की शरण जो आवे।
सभी कष्टों से मुक्ति पावे॥
राहु देव का ध्यान लगावे।
जीवन में सुख शांति पावे॥
राहु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥
भक्ति भाव से राहु देव को।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
सभी संकट, कष्ट मिटावे।
राहु देव कृपा बरसावे॥
राहु देव की शरण जो आवे।
जीवन में सभी सुख पावे॥
राहु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥
कृपा दृष्टि राहु देव की।
जो भी भक्त मन में ध्यावे॥
राहु देव के चरणों में।
सभी भक्त शीश नवावे॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर राहु बसे॥
राहु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में राहु भारी॥
सर्पाकार राहु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
राहु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥
कृपा दृष्टि राहु देव की।
सभी भक्तों को सुख पावे॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर राहु बसे॥
राहु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में राहु भारी॥
सर्पाकार राहु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
राहु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर राहु बसे॥
राहु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में राहु भारी॥
सर्पाकार राहु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
नमो नमो श्री राहु सुखकारी।
सभी कष्टों को हरने वाले, भक्तों को सुख देने वाले॥
जयति जयति श्री राहु महाराज।
भव बंधन से करते सबका उद्धार॥
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ नीले या काले रंग के वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और वहां राहु देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
एक दीपक में सरसों का तेल भरें और उसे प्रज्वलित करें। साथ में काले तिल अर्पित करें।
धूप और चंदन लगाकर राहु देव का ध्यान करें।
इसके पश्चात "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः" इस राहु बीज मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके लिए आप तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।
फिर राहु चालीसा का श्रद्धा और एकाग्रता के साथ पाठ करें।
पाठ के बाद राहु देव की आरती करें और काले तिल, उड़द की दाल, मूंग, काला धागा या नीले वस्त्र का दान करें।
पाठ के समय मन शांत रखें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें और एकाग्रता बनाए रखें।
अंत में शांति, सफलता और बाधा मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
राहु दोष का निवारण: राहु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और कुंडली में संतुलन लाता है।
कालसर्प दोष से राहत: कालसर्प दोष की अशुभता को शांत करके जीवन में स्थिरता लाता है।
बाधाओं और संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली रुकावटें, संकट और परेशानियाँ धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
स्वास्थ्य में सुधार: राहु के कारण उत्पन्न रोगों, मानसिक तनाव और बेचैनी में राहत मिलती है।
आर्थिक समस्याओं से छुटकारा: राहु के दुष्प्रभाव से होने वाली आर्थिक हानि में कमी आती है और समृद्धि बढ़ती है।
मानसिक शांति और संतुलन: मन को शांत, स्थिर और सकारात्मक बनाए रखने में सहायता करता है।
शत्रुओं से सुरक्षा: राहु स्तोत्र का पाठ दुश्मनों, बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
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