श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और पापों का नाश करने वाली मां महागौरी की स्तुति करें श्रद्धा से। चालीसा के पाठ से मन होता है पवित्र, और जीवन में आता है तेज, शांति व संतुलन।
महागौरी चालीसा देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को समर्पित स्तोत्र है। इसका पाठ करने से जीवन में पवित्रता, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भक्त इसे नवरात्रि में विशेष रूप से पढ़ते हैं। इस लेख में जानिए महागौरी चालीसा का महत्व, पाठ विधि और इसके पाठ से मिलने वाले लाभ।
नवरात्रि के आठवें दिन पूजी जाने वाली देवी महागौरी, माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं। उनका नाम उनकी निर्मलता, पवित्रता और उज्ज्वलता का प्रतीक है ‘महा’ का अर्थ है महान और ‘गौरी’ का अर्थ है श्वेत। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, उनका वाहन वृषभ (बैल) है और चार हाथों में त्रिशूल, डमरू, वर मुद्रा और अभय मुद्रा शोभा पाते हैं। उनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और तेजस्वी है, जो अंधकार को प्रकाश में बदलने, पापों का नाश करने और भक्तों को शुद्धता व समृद्धि देने वाला है। महागौरी चालीसा, जो 40 छंदों की एक भक्ति-प्रधान स्तुति है, माँ की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है, जो साधक को आत्मिक बल और जीवन में नई दिशा प्रदान करती है।
मन मंदिर मेरे आन बसो,
आरंभ करूं गुणगान,
गौरी मां मातेश्वरी,
दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती,
पर श्रद्धा है आपर,
प्रणाम मेरा स्विकारिये,
हे मा प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता,
आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरनागत न कभी गभराता,
गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता,
जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ,
मेरे सकल कलेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना,
सत्कर्मों से कभी हटु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,
सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,
मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु,
ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी,
फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,
थोड़े में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना,
भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना,
कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते,
सुख सुविधा को वर मै पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया,
बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा,
आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,
निराश मन मे आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले,
दया द्रष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान,
जग मे पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती,
उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया द्रष्टि जब माँ डाले,
भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय,
शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे,
दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सता गुन की हो दता आप,
हर इक मन की ग्याता आप,
काटो हमरे सकल कलेश,
निरोग रहे परिवार हमेश।
दुख संताप मिटा देना मां,
मेघ दया के बरसा देना मां,
जबही आप मौज में आय,
हठ जय मां सब विपदाएं।
जीसपे दयाल हो माता आप,
उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,
श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुन मेरे ढक देना मां,
ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता,
जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन मां तेरे,
नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम,
सब धामो को माँ प्राणम।
आपकी दया का है ना पार,
तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण मे आता,
मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो,
असम्भव को मां संभव कर दो,
आपकी दया के भारे,
सुखी बसे मेरा परिवार।
अपकी महिमा अति निराली,
भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनोकामना पुरन करती,
मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढे-सुनाया,
सुयोग्य वर वरदान मे पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ,
सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी मां विनती करूं,
आना आपके द्वार,
ऐसी मां कृपा किजिए,
हो जाए उद्धहार।
हीं हीं हीं शरण मे,
दो चरणों का ध्यान,
ऐसी मां कृपा कीजिए,
पाऊं मान सम्मान।
महागौरी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महागौरी चालीसा का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों और विधि का पालन करने से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है:
महागौरी चालीसा केवल एक भजन नहीं, बल्कि यह माँ से आत्मिक संवाद का माध्यम है। यह चालीसा जब श्रद्धा से पढ़ी जाती है, तो माँ स्वयं साधक के हृदय में वास करती हैं और उसके जीवन में उजाला भर देती हैं। नवरात्रि, विशेष अवसर या प्रतिदिन यदि थोड़े समय निकालकर इसे पढ़ा जाए, तो माँ की असीम कृपा सदा बनी रहती है।
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