
माँ कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे स्वरूप हैं, जिनकी उपासना नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इनका चालीसा पाठ विशेषकर कुंवारी कन्याओं के लिए अति फलदायी होता है।
यदि आप भी नवदुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आज के लेख में बताई गई कात्यायनी चालीसा आपके काम आ सकती है। इसके अलावा किस विधि-नियम को चालीसा के दौरान अपनाना चाहिए औऱ इससे मिलने वाले कौन से हैं अद्भुत लाभ। इन सभी प्रश्नों की जानकारी भी मिलेगी यहां तो आइए जानतें हैं।
मां कात्यायनी को शक्ति, विजय और प्रेम की देवी माना जाता है। मां कात्यायनी की आराधना से जीवन की अनेक बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। इसी तरह कात्यायनी चालीसा को पढ़ना अत्यंत फलदायी माना जाता है। कात्यायनी चालीसा एक देवी स्तुति पाठ है, जिसे दुर्गा चालीसा का ही एक अंश माना जाता है। इसमें मां कात्यायनी की महिमा, गुणगान, आशीर्वाद औऱ उनके अवतार, पराक्रम आदि का वर्णन किया गया है। यह चालीसा मां की कृपा पाने का एक सरल उपाय है, जिसे श्रद्धा और विश्वास से पढ़ने पर मनोकामना पूर्ण होती है।
यदि आपके जीवन में विवाह संबंधी परेशानी चल रही हो या फिर शत्रुओं से बहुत ज्यादा परेशान हो तो कात्यायनी चालीसा इस परेशानी का एकमात्र निवारण हो सकती है। जानकारी के अनुसार, कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। वहीं, विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के लिए यह पाठ अत्यंत फलदायी होता है। इसके नियमित पाठ से मां कात्यायनी से योग्य जीवनसाथी मिलने का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही शत्रुओं पर विजय, धन-सम्पत्ति की प्राप्ति और मन की शांति भी मिलती है। चालीसा का पाठ करने से साधकों को न केवल सांसारिक सुख मिलते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और अंत में मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
दोहा
जय कात्यायनी माँ,
जय महिषासुर मारिणी।
सुर नर मुनि आराधित,
जय मंगल करिणी॥
चौपाई
जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय महिषासुर घातिनी दानी।।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव जी ध्यावैं।
शक्ति शक्ति सब जगत बनावैं॥
रक्तदंतिका और अन्नपूर्णा।
माँ कात्यायनी हैं सम्पूर्णा॥
कात्यायन ऋषि मुनि के आश्रय।
कात्यायनी माँ सबके बासय॥
भय, संकट हरिणी तुही माता।
भक्तों के दुःख हरती आपा॥
जो कोई तेरी शरण में आवे।
मनवांछित फल वह नर पावे॥
ध्यान धार जो कोई नारी।
कात्यायनी पूर्ण सुखकारी।।
कुमारी पुजा जो नित ध्यावें।
अविवाहित जीवन न बितावे॥
हर युग में मां तू सहाय।
जो भी भक्त करे मन लाय॥
कात्यानी मां तेरी महिमा।
सतयुमग त्रेता हो या द्वापर।।
सिंह सवारी माँभवानी।
जय-जय-जय अम्बे भवानी॥
श्रद्धा और निष्ठा से किया गया कात्यायनी चालीसा के पाठ से अत्यधिक लाभ मिलते हैं।
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