बलराम अवतार

बलराम अवतार

पढ़ें भगवान कृष्ण और बलराम जी से जुड़े किस्से


भगवान बलराम कौन हैं (Who is Lord Balraam )

हिंदू धर्म में भगवान बलराम को विष्णु जी के शेषावतार के रूप में पूजा जाता है। इनको शेषनाग का अवतार भी कहते हैं। शक्ति का प्रतीक बलराम जी भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई व देवी रेवती के पति हैं। इन्हें बलभद्र, दाऊ सहित अन्य नामों से भी जानते हैं। हाथों में हल व शरीर पर नीला वस्त्र धारण किए भगवान बलराम का रूप देखने को मिलता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को इनका जन्म हुआ। इनकी जयंती हलछठ के नाम से भी प्रचलित है। इस दिन हल की जुताई से उगे अनाज को नहीं खाया जाता। इन्हें किसानों का देवता भी माना जाता है। भीम और दुर्योधन इन्हें अपना गुरु मानते थे।

बलराम अवतार का महत्व (Importance of Balram Avatar)

जगन्नाथ परंपरा में भगवान बलराम को त्रिदेव देवताओं में से एक माना जाता है। शक्ति का प्रतीक बलराम जी को एक आज्ञाकारी पुत्र, आदर्श भाई व एक अच्छा पति के रूप में भी देखा जाता है। इन्हें हमेशा एक हल के साथ देखा जाता है, इसलिए बलराम जी को किसानों का भगवान कहते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार, कृषि करने वाले लोगों को भगवान बलराम की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

बलराम अवतार की कथा (Story of Balram Avatar)

पैराणिक कथा के अनुसार, एक बार शेषनाग भगवान विष्णु जी से नाराज हो गए। विष्णु जी ने जब नाराजगी का कारण पूछा तो शेषनाग जी ने उत्तर दिया कि हे प्रभु, मैं हमेशा आपके चरणों में रहता हूं। मुझे एक पल के लिए भी विश्राम का अवसर नहीं मिलता। इस पर विष्णु जी ने कहा, मैं, तुम, हर प्राणी कर्म क्षेत्र से बंधा हुआ है, इससे कोई भी विमुक्त नहीं हो सकता। यह बात सुनकर शेषनाग जी बोले, प्रभु आप की महिमा अपरंपार है। आप चाहें तो पर्वत को राई व राई को पर्वत बना सकते हैं। शेषनाग जी की भावनाओं का सम्मान करते हुए विष्णु जी ने उन्हें वचन दिया कि द्वापर युग में शेषनाग उनके बड़े भाई के रूप में जाने जाएंगे ।

वहीं, द्वापर युग में मथुरा का राजा कंस बहुत अत्याचारी था। हालांकि, वह अपनी बहन देवकी को बहुत मानता था। उसने अपनी बहन देवकी की शादी अपने मित्र वासुदेव से करवा दी। शादी के बाद वह दोनों को विदा कर रहा था, उसी समय एक आकाशवाणी हुई। जिसमें देवकी की आठवीं संतान को कंस की मृत्यु का कारण बताया गया। आकाशवाणी सुनते ही कंस ने देवकी व वासुदेव को कारगार में कैद कर दिया।

कारावास में कंस ने एक-एक करके अपनी बहन देवकी की छह सांतानों को उनके जन्म के बाद ही मार दिया। लेकिन जब सातवीं संतान के रूप में शेषवतार भगवान बलराम मां देवती के गर्भ में आए तो भगवान श्रीहरि ने योगमाया से उन्हें माता रोहणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया। जिस कारण बलराम जी का जन्म भगवान कृष्ण के बड़े भाई के रूप में नंदबाबा के घर जन्में। बलराम जी मल्लयुद्ध, कुश्ती व गदायुद्ध में पारंगत थे। वह हमेशा हाथ में हल धारण करते थे, इसलिए उन्हें हलधर भी कहते हैं।

भगवान बलराम जी की के जन्म की एक और कथा प्रचलित है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार प्रभु श्री राम जी के छोटे भाई लक्ष्मण ने उनसे कहा, मैं आपसे छोटा हूं इसलिए आपकी सारी आज्ञा मानता हूं। इस पर श्रीराम ने उन्हें वरदान दिया कि अगले जन्म में वह उनके बड़े भाई बनेंगे। इसीलिए द्वापर युग में जब भगवान विष्णु जी ने श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया तो बलराम का जन्म उनके बड़े भाई के रूप में हुआ। इसी कारण बलराम जी को लक्ष्मण जी का स्वरूप भी कहा जाता है।

बलराम जी की पूजा विधि (Balram ji's worship method)

  • बलराम जयंती पर महिलाएं खासतौर पर अपने संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर विधि पूर्वक पूजा करती हैं। भगवान बलराम जी की पूजा विधि बहुत आसान है।

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़ा धारण कर व्रत का संकल्प लें।

  • घर में साफ सुथरे स्थान पर भगवान बलराम जी की फोटो स्थापित करें।

  • भगवान को फूल अर्पित करें, दीपक जलाएं व फल, मिष्ठान का भोग लगाएं।

  • छोटी कांटेदार या पलास की एक शाखा को जमीन या मिट्टी के गमले में गाड़ कर पूजा करें।

  • भैंस के दूध से बनी दही व सूखे महुवा के फूल को पलाश के पत्ते पर रखकर पूजा का विधान है।

  • इसी को खाकर महिलाएं व्रत का समापन करती हैं।

  • महिलाएं को शाम तक निर्जला व्रत रखना चाहिए।

बलराम जी के जीवन से जुड़े रहस्य (Mysteries related to the life of Balram ji)

  • द्वापर युग में भगवान विष्णु के 2 अवतार हुए, जिन्में एक भगवान श्री कृष्ण थे व दूसरे बलराम जी।

  • ब्रह्मा जी की सलाह पर शक्तिशाली सम्राट राजा काकुदमी ने अपनी पुत्री रेवती का विवाह बलराम से करवाया था।

  • बलराम जी ने यमुना जी को सैकड़ों छोटे टुकड़ों में बंटने का श्राप दिया था, जिस कारण आजतक यमुना जी छोटे छोटे अनेक टुकड़ों में बहती हैं।

  • बलराम जी का शस्त्र हल व मूसल है। सामान्य व्यक्ति हल को हथियार के रूप में प्रयोग नहीं कर सकता।

  • बलराम जी की पत्नी रेवती उनसे लंबाई में बहुत लंबी थीं। बलराम जी ने अपने हल के प्रभाव से रेवती की ऊंचाई 7 हाथ कर दी थी। जिसके बाद दोनों का विवाह हुआ।

  • भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से प्रेम करते थे, दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया। जब यह बात कौरवों को पता चली तो उन्होंने साम्ब को बंदी बना लिया। इसकी खबर मिलते ही बलराम क्रोधित हो गए। उन्होंने अपने हल से हस्तिनापुर की संपूर्ण धरती को खींचकर गंगा में डुबो देने की ठान ली। यह देख कौरव भयभीत हो गए, हस्तिनापुर में हाहाकार मच गया। जिसके बाद सभी ने बलराम जी से क्षमा मांगी और लक्ष्मणा को साम्ब के साथ विदा कर दिया।

बलराम और श्री कृष्ण के किस्से (Tales of Balram and Shri Krishna)

  • भगवान श्रीकृष्‍ण जी से जुड़ी कथाओं में उनके दाऊ यानी बलराम जी को व‍िश‍िष्‍ट स्‍थान द‍िया गया है।

  • बचपन से ही बलराम जी अत्यन्त गंभीर व शांत थे, जबकि कृष्ण जी बहुत शरारत करते थे। श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई का विशेष सम्मान करते थे। बलराम जी भी श्रीकृष्ण की इच्छा का हमेशा ध्यान रखते थे।

  • ब्रजलीला में शंखचूड़ का वध करके भगवान श्रीकृष्ण ने उसका शिरोरत्न भैया बलराम को उपहार के रूप में दिया था।

  • कंस की मल्लशाला में भगवान श्रीकृष्ण जी ने चाणूर को पछाड़ा तो मुष्टिक बलरामजी के प्रहार से स्वर्ग सिधारा।

  • जरासन्ध को बलराम जी अपना प्रतिद्वंदी मान बैठे थे। अगर श्रीकृष्ण जी ने मना न किया होता तो बलराम जी पहले ही आक्रमण में जरासंध को यमलोक भेज देते।

  • भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों पर रचित श्रीमद्भागवत की कथाएं बलरामजी के शौर्य की साक्षी हैं।

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