
8 अगस्त 2025 को क्या है? जानें इस दिन का पंचांग, चतुर्दशी तिथि का महत्व, वरलक्ष्मी व्रत, पूजा विधि तथा शुभ‑अशुभ समय।
8 अगस्त 2025 का दिन धार्मिक महत्व और पवित्रता से भरपूर रहेगा। इस दिन पड़ने वाले व्रत और त्योहार आस्था को गहरा करने वाले हैं, जिनके पीछे की पौराणिक मान्यताएं और रोचक कथाएं जानना दिलचस्प होगा। साथ ही, इस दिन के शुभ मुहूर्त आपके कार्यों में सफलता और सौभाग्य ला सकते हैं। इस लेख में जानिए 8 अगस्त 2025 से जुड़ी पूरी और खास जानकारी, जो इस दिन को विशेष बनाती है।
8 अगस्त 2025 शुक्रवार है और यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन वरलक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है, जिसे विशेषकर धन, समृद्धि और ऋण मुक्ति हेतु पूजा जाता है।
तिथि: चतुर्दशी (शुक्ल पक्ष)
आरंभ: 7 अगस्त दोपहर 2:28 बजे से
समाप्ति: 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे तक
नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा (2:28 PM तक), फिर श्रवण
योग: आयुष्मान योग (लगभग प्रातः 4:09 बजे से अगले दिन तक)
करण: वणिज (2:12 PM तक), फिर विष्टि
वार: शुक्रवार
शुक्रवार को चतुर्दशी तिथि के संयोग से वरलक्ष्मी व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह व्रत माँ लक्ष्मी का पूजन, धन लाभ, ऋण‑मुक्ति और वैभव वृद्धि हेतु महत्वपूर्ण होता है। इस दिन की गई पूजा विधिपूर्वक करने से जीवन में धन‑संपत्ति की वृद्धि होती है।
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें
मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें
लाल चुनरी, पुष्प, फल और नैवेद्य अर्पित करें
लक्ष्मी स्तुति, वरलक्ष्मी व्रत कथा या लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें
दीप, धूप व अगरबत्ती से पूजा करें
व्रतधारी फलाहार या उपवास रखें
शाम को आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें
जरूरतमंदों में फल, अनाज या वस्त्र दान करें
राहुकाल: लगभग 10:26 AM से 12:04 PM तक
गुलिक काल: लगभग 7:08 AM से 8:47 AM तक
यमघंट काल: लगभग 3:22 PM से 5:01 PM तक
शुभ मुहूर्त: दोपहर 11:38 AM से 12:30 PM तक पूजन और कथा‑पाठ हेतु उत्तम समय
8 अगस्त 2025 का दिन श्रावण शुक्ल चतुर्दशी और शुक्रवार के शुभ संयोग के साथ आता है, जो वरलक्ष्मी व्रत हेतु अत्यंत अनुकूल है। इस दिन माँ लक्ष्मी की आराधना, व्रत-वंधन और दान-पुण्य से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। व्रत के माध्यम से मानसिक शांति, समृद्धि और ऋण-मुक्ति संभव होती है।
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