
4 नवंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, धनतेरस (गोवत्स द्वादशी) की पूजा, शुभ-अशुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व से जुड़ी खास जानकारी।
4 नवंबर 2025 का दिन आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। इस दिन किए गए शुभ कर्म, उपवास और पूजा व्यक्ति के जीवन में संतुलन और शांति लाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन आत्मिक शक्ति बढ़ाने और ईश्वर से जुड़ाव गहरा करने के लिए विशेष माना जाता है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 4 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है? 4 नवंबर 2025, मंगलवार के दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। यह दिन वैकुण्ठ चतुर्दशी, मणिकर्णिका स्नान, और चौमासी चौदस जैसे महत्वपूर्ण पर्वों से जुड़ा हुआ है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन दोनों देवता एक साथ पूजित होते हैं, जिससे साधक को अक्षय पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पंचांग विवरण
तिथि: शुक्ल पक्ष चतुर्दशी – रात 10:37 बजे तक
नक्षत्र: रेवती – दोपहर 12:32 बजे तक
योग: वज्र – दोपहर 3:43 बजे तक
करण: गर – दोपहर 12:21 बजे तक
वार: मंगलवार (हनुमान जी का दिन)
मास: कार्तिक (शरद ऋतु)
विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्ववासु)
सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: मीन
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: उत्तर दिशा
महत्त्व और पर्व
वैकुण्ठ चतुर्दशी
वैकुण्ठ चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त पूजा का दिन माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने शिवलिंग पर सहस्र कमल अर्पित किए थे। जो व्यक्ति इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु और शिव की आराधना करता है, उसे वैकुण्ठ (मोक्ष) की प्राप्ति होती है।
मणिकर्णिका स्नान
इस दिन वाराणसी स्थित मणिकर्णिका घाट पर स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को मुक्ति की प्राप्ति होती है।
चौमासी चौदस
यह दिन चार महीने के व्रत (चातुर्मास) का अंतिम दिन माना जाता है। इस दिन साधु-संत अपने व्रत का समापन करते हैं और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने हेतु विशेष पूजा करते हैं।
पूजा और व्रत विधि
प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर या मंदिर में भगवान विष्णु और शिवलिंग की संयुक्त पूजा करें।
दीपक जलाकर तुलसीदल, कमल और बिल्वपत्र अर्पित करें।
“ॐ नमो नारायणाय” तथा “ॐ नमः शिवाय” मंत्रों का जाप करें।
दिन भर उपवास या फलाहार करें और शाम को आरती करें।
शुभ-अशुभ समय
शुभ मुहूर्त: 11:20 AM से 12:04 PM
राहुकाल: 2:29 PM से 3:53 PM
गुलिक काल: 11:42 AM से 1:06 PM
यमघंट काल: 8:55 AM से 10:19 AM
सूर्य और चंद्र विवरण
सूर्योदय: 6:08 AM
सूर्यास्त: 5:16 PM
चंद्रोदय: 4:12 PM
चंद्रास्त: 4:30 AM
निष्कर्ष
4 नवंबर 2025 का दिन वैकुण्ठ चतुर्दशी और मणिकर्णिका स्नान जैसे पवित्र पर्वों के कारण अत्यंत शुभ है। यह दिन भगवान विष्णु और शिव की आराधना का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है। इस दिन पूजा, स्नान और दान से जीवन में शुभ फल, पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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