
26 सितंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, नवरात्रि के पाँचवें दिन की महत्ता, देवी कूष्माण्डा की पूजा विधि, उपांग ललिता व्रत और शुभ-अशुभ समय की जानकारी।
26 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक और पारंपरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। शुक्रवार को नवरात्रि का पांचवां दिन और चतुर्थी तिथि है। इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा, उपांग ललिता व्रत और घटस्थापना कलश घास पूजन का विशेष महत्व है। इस लेख में पढ़ें 26 सितंबर 2025 से जुड़ी संपूर्ण जानकारी, जो इसे खास बनाती है।
26 सितंबर 2025, शुक्रवार का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ रहेगा। यह नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस अवसर पर चतुर्थी तिथि रहेगी और मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होगा। इस दिन उपांग ललिता व्रत भी रखा जाता है। कई स्थानों पर इसे घटस्थापना कलश घास पूजन से भी जोड़ा जाता है।
मां कुष्मांडा का स्वरूप और महत्व
मां कुष्मांडा को सृष्टि की आदिस्वरूपा और ऊर्जा की देवी माना गया है। ऐसा विश्वास है कि अपनी मंद मुस्कान से उन्होंने ब्रह्मांड की रचना की थी। मां कुष्मांडा की पूजा करने से साधक को आरोग्य, दीर्घायु, सुख और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
पर्व और व्रत
नवरात्रि का पांचवा दिन – मां कुष्मांडा पूजा
उपांग ललिता व्रत
घटस्थापना कलश घास पूजन का महत्व
शुभ मुहूर्त
कुष्मांडा पूजा का समय: 06:20 AM से 09:00 AM
उपांग ललिता व्रत पूजन: 11:40 AM से 01:20 PM
राहुकाल
यमघण्टकाल
आज का नवरात्रि रंग
विशेष परंपराएं
भक्तजन मां कुष्मांडा की पूजा कर आरोग्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
उपांग ललिता व्रत में महिलाएं विशेष रूप से माता की आराधना करती हैं और व्रत रखती हैं।
इस दिन हरे वस्त्र पहनना शुभ माना गया है और इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
धार्मिक मान्यता
मां कुष्मांडा की उपासना करने से साधक को रोग, शोक और संकट से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि मां की कृपा से धन, ऐश्वर्य और बल की वृद्धि होती है। वहीं, उपांग ललिता व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य बना रहता है।
निष्कर्ष
26 सितंबर 2025, शुक्रवार का दिन नवरात्रि का पांचवां दिन होने के कारण बेहद पावन रहेगा। इस दिन चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा की पूजा और उपांग ललिता व्रत का विशेष महत्व है। श्रद्धालु हरे वस्त्र धारण कर मां की आराधना करेंगे और जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करेंगे। यह दिन साधकों और भक्तों के लिए देवी कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है।
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