22 अगस्त 2025 को क्या है?
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22 अगस्त 2025 को क्या है?

22 August 2025 Ko Kya Hai? जानिए भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि, इस दिन के व्रत, पूजा विधि और धार्मिक महत्व की पूरी जानकारी।

आज के दिन के बारे में

22 अगस्त 2025 का दिन धार्मिक महत्व और शुभ संयोगों से भरपूर है। इस दिन कौन-कौन से व्रत और पर्व मनाए जाएंगे, इनके पीछे की पौराणिक मान्यताएं क्या कहती हैं और कौन से विशेष मुहूर्त आपके लिए लाभकारी रहेंगे, यह जानना रोचक होगा। इस लेख में जानिए 22 अगस्त 2025 से जुड़ी पूरी और खास जानकारी, जो इस दिन को खास बनाती है।

22 अगस्त 2025 को क्या है?

क्या आप जानना चाहते हैं कि 22 अगस्त 2025 को कौन-सा व्रत, पर्व या तिथि है? यह दिन धार्मिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है? आइए जानते हैं। दरअसल 22 अगस्त 2025 को शुक्रवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (दोपहर 11:56 बजे तक) और उसके बाद अमावस्या तिथि है। यह दिन विशेष रूप से पितरों की पूजा, तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए महत्वपूर्ण है। इसे पिठोरी अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है। इस अवसर पर पितृ शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति हेतु व्रत, दान और पूजा का विशेष महत्व है।

पंचांग विवरण

  • तिथि: चतुर्दशी (दोपहर 11:56 बजे तक), फिर अमावस्या

  • नक्षत्र: आश्लेषा (दोपहर 12:16 बजे तक), फिर मघा

  • योग: वरीयान योग (दोपहर 2:35 बजे तक), फिर परिघ योग

  • वार: शुक्रवार

धार्मिक महत्व

पिठोरी अमावस्या का दिन पितरों को तृप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि लाने का उत्तम अवसर है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से पितृ दोष का निवारण होता है और परिवार में शांति, संतोष तथा उन्नति आती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पूर्वजों की स्मृति में पुण्य कर्म करना चाहते हैं।

पूजन विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. नदी, सरोवर या पवित्र जल में स्नान करें और तर्पण करें।

  3. पितरों को तिल, जल और अन्न अर्पित करें।

  4. ब्राह्मणों को भोजन और दान दें।

  5. संध्या के समय दीपदान करें और पितरों के नाम से प्रार्थना करें।

राहुकाल व शुभ मुहूर्त

  • राहुकाल: सुबह 10:54 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक

  • शुभ मुहूर्त: प्रातः 7:00 से 9:00 बजे और दोपहर 12:00 से 1:00 बजे तक

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:33 बजे से 5:21 बजे तक

निष्कर्ष

22 अगस्त 2025 को चतुर्दशी और अमावस्या तिथि का संगम पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए अत्यंत शुभ अवसर प्रदान करता है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से किए गए कर्म न केवल पितरों की आत्मा को शांति देते हैं, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य भी लाते हैं।

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Published by Sri Mandir·August 12, 2025

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