19 नवंबर 2025 को क्या है?
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19 नवंबर 2025 को क्या है?: जानें आज का व्रत त्योहार

जानिए मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि, एकादशी पारण, शुभ मुहूर्त और आज के व्रत-त्योहार की खास जानकारी।

आज के दिन के बारे में

19 नवंबर 2025 का दिन श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य और व्रत शुभ फल प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति आज के दिन ईश्वर का ध्यान करता है, उसके जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है।

19 नवंबर 2025 को क्या है?

क्या आप जानना चाहते हैं कि 19 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है? 19 नवंबर 2025, बुधवार के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन बाला जयन्ती, दर्श अमावस्या और विंछुड़ो योग पड़ते हैं। यह दिन विशेष रूप से अमावस्या स्नान, पितृ तर्पण और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। साथ ही, यह हेमंत ऋतु का प्रारंभिक काल है, जब देव-पूजन और साधना का प्रभाव अत्यधिक होता है।

पंचांग विवरण

  • तिथि: कृष्ण पक्ष चतुर्दशी – सुबह 9:43 बजे तक

  • नक्षत्र: स्वाती – सुबह 7:59 बजे तक, तत्पश्चात विशाखा

  • योग: सौभाग्य – सुबह 9:01 बजे तक

  • करण: शकुनि – सुबह 9:43 बजे तक

  • वार: बुधवार

  • मास: कार्तिक (अमान्त), मार्गशीर्ष (पूर्णिमान्त)

  • विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)

  • शक संवत: 1947 (विश्वावसु)

  • सूर्य राशि: वृश्चिक

  • चंद्र राशि: तुला

  • आयन: दक्षिणायन

  • ऋतु: हेमंत

  • दिशाशूल: उत्तर दिशा

सूर्य और चंद्र विवरण

  • सूर्योदय: सुबह 6:19 बजे

  • सूर्यास्त: शाम 5:10 बजे

  • चंद्रोदय: सुबह 5:22 बजे

  • चंद्रास्त: शाम 4:19 बजे

शुभ-अशुभ समय

  • अभिजीत मुहूर्त: नहीं

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:53 बजे से 2:35 बजे तक

  • राहुकाल: दोपहर 12:06 बजे से 1:26 बजे तक

  • गुलिक काल: सुबह 10:47 बजे से 12:06 बजे तक

  • यमगंड काल: सुबह 8:07 बजे से 9:27 बजे तक

  • अमृत काल: रात 1:05 बजे से 2:53 बजे (20 नवंबर) तक

  • निशीथ काल: रात 11:40 बजे से 12:34 बजे तक

पर्व और व्रत

1. बाला जयन्ती

यह दिन देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। माता बाला को त्रिपुरासुंदरी का बाल रूप माना गया है। इस दिन उपवास, देवी की आराधना, और "ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बाले नमः" मंत्र का जाप अत्यंत फलदायक माना गया है।

2. दर्श अमावस्या (अमावस्या तिथि का आगमन)

कार्तिक अमावस्या का यह दिन पितरों के लिए तर्पण, दीपदान और स्नान का विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

पूजा और व्रत विधि

  • प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें।

  • घर या मंदिर में देवी बाला और भगवान शिव की पूजा करें।

  • दीपक जलाएं, धूप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।

  • “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बाले नमः” या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

  • पितरों के निमित्त तर्पण और गरीबों को अन्न, वस्त्र दान करें।

  • शाम के समय दीपदान अवश्य करें।

ज्योतिषीय महत्त्व

इस दिन स्वाती और विशाखा नक्षत्र का संयोग व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक समृद्धि दोनों के लिए शुभ माना गया है। वृश्चिक सूर्य और तुला चंद्रमा का संयोग मानसिक स्थिरता और आत्मबल बढ़ाने वाला होता है।

19 नवंबर 2025, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ दिन है। इस दिन बाला जयन्ती और अमावस्या तर्पण के अवसर पर उपवास, पूजा, दान और दीपदान करने से व्यक्ति को देवी कृपा, पितृ शांति और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मचिंतन और साधना के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना गया है।

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Published by Sri Mandir·November 12, 2025

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