17 अक्टूबर 2025 को क्या है?
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17 अक्टूबर 2025 को क्या है?

17 अक्टूबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, व्रत और पूजा का महत्व, शुभ-अशुभ समय और आराधना से जुड़ी खास जानकारी।

आज के दिन के बारे में

17 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किए गए व्रत, पूजा और दान से पापों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन देवी-देवताओं की आराधना, ध्यान और शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत मंगलकारी है। इस लेख में जानिए 17 अक्टूबर 2025 के धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।

17 अक्टूबर 2025 को क्या है?

क्या आप जानना चाहते हैं कि 17 अक्टूबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है? 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार का दिन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है, जिसे रमा एकादशी कहा जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इसके साथ ही आज के दिन गोवत्स द्वादशी और तुला संक्रांति का विशेष योग भी बन रहा है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है।

पंचांग विवरण

  • तिथि: कृष्ण पक्ष एकादशी – सुबह 11:13 बजे तक
  • नक्षत्र: मघा – दोपहर 1:59 बजे तक
  • योग: शुक्ल – सुबह 1:48 बजे तक
  • करण: बालव – सुबह 11:14 बजे तक
  • वार: शुक्रवार (शुक्र देव का दिन)

त्योहार और महत्व

1. रमा एकादशी

रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के रमा स्वरूप (लक्ष्मीजी) को समर्पित है। यह व्रत समस्त एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन उपवास रखकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से धन, सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2. गोवत्स द्वादशी

इस दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा की जाती है। यह पूजा धर्म, समृद्धि और पारिवारिक कल्याण के लिए की जाती है। गोमाता को चारा, गुड़ और जल अर्पित करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

3. तुला संक्रांति

जब सूर्य कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करता है, तो उसे तुला संक्रांति कहा जाता है। यह दिन दान-पुण्य, स्नान और सूर्य आराधना के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है।

पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
  • तुलसी पत्र, पीले पुष्प और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रमा रमाय नमः” मंत्रों का जाप करें।
  • शाम के समय विष्णु आरती करें और दान करें।
  • रात्रि में भगवान के नाम का स्मरण करते हुए उपवास का पालन करें।

शुभ-अशुभ समय

  • शुभ मुहूर्त: 11:21 AM से 12:07 PM
  • राहुकाल: 10:18 AM से 11:44 AM
  • गुलिक काल: 7:25 AM से 8:51 AM
  • यमघण्ट काल: 2:37 PM से 4:03 PM

सूर्य और चंद्र

  • सूर्योदय: 5:58 AM
  • सूर्यास्त: 5:30 PM
  • चंद्रोदय: 2:09 AM
  • चंद्रास्त: 3:12 PM

ग्रह और राशि

  • सूर्य राशि: कन्या
  • चंद्र राशि: सिंह
  • दिशाशूल: पश्चिम दिशा
  • ऋतु: शरद
  • अयन: दक्षिणायन

निष्कर्ष

17 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है। इस दिन रमा एकादशी व्रत, गोवत्स द्वादशी और तुला संक्रांति का पावन संगम बन रहा है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करता है, उसे सौभाग्य, धन-वैभव और पापों से मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य लाभ के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

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Published by Sri Mandir·October 8, 2025

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