
जानिए इस दिन का पंचांग, प्रदोष व्रत (शुक्र प्रदोष) की पूजा विधि, शुभ-अशुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व से जुड़ी खास जानकारी।
17 नवंबर 2025 का दिन धार्मिक आस्था और पुण्य कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किए गए व्रत, जप और दान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार, आज के दिन की भक्ति से भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 17 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या पर्व है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है? 17 नवंबर 2025, सोमवार के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। यह दिन विशेष रूप से सोम प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाता है। जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन मंडला पूजा प्रारंभ भी होती है, जो दक्षिण भारत में विशेष धार्मिक महत्व रखती है।
तिथि: त्रयोदशी (कृष्ण पक्ष) – पूर्ण रात्रि तक
वार: सोमवार
नक्षत्र: चित्रा – सुबह 5:02 बजे तक
योग: प्रीति – सुबह 7:23 बजे तक
करण: गर – शाम 5:59 बजे तक
मास: कार्तिक (अमान्त) / मार्गशीर्ष (पूर्णिमांत)
विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
सूर्य राशि: वृश्चिक
चंद्र राशि: कन्या (दोपहर 3:35 बजे तक), तत्पश्चात तुला
ऋतु: हेमंत
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: पूर्व दिशा
सूर्योदय: सुबह 6:17 बजे
सूर्यास्त: शाम 5:10 बजे
चंद्रोदय: सुबह 3:36 बजे
चंद्रास्त: दोपहर 3:12 बजे
सोम प्रदोष व्रत
यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। जब प्रदोष तिथि सोमवार को आती है, तब इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। इस दिन उपवास और पूजा करने से शिव-पार्वती की कृपा मिलती है तथा पापों का नाश होता है। भक्त सायंकाल प्रदोष काल (सूर्यास्त से 1.5 घंटे पहले और बाद) में शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध और गंगाजल अर्पित करते हैं।
मंडला पूजा प्रारंभ
यह दिन दक्षिण भारत, विशेषकर केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर से जुड़ा हुआ है। इस दिन से 41 दिन की मंडला पूजा अवधि प्रारंभ होती है, जिसके दौरान श्रद्धालु ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान अयप्पा की आराधना करते हैं।
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शिवलिंग या शिव-पार्वती की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
फलाहार रखें या निर्जल व्रत करें।
प्रदोष काल में आरती करें और दान-पुण्य करें।
शुभ मुहूर्त: 11:23 AM – 12:05 PM
राहुकाल: 7:39 AM – 9:00 AM
गुलिक काल: 1:05 PM – 2:27 PM
यमघंट काल: 10:22 AM – 11:44 AM
17 नवंबर 2025 का दिन सोम प्रदोष व्रत के कारण अत्यंत शुभ है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, मंडला पूजा की शुरुआत होने से यह दिन भक्तिभाव और तपस्या का प्रतीक बन जाता है। इस दिन का व्रत और पूजन व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
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