
जानिए इस दिन की अष्टमी तिथि, अष्टमी व्रत का महत्व, पंचांग, नक्षत्र, शुभ-अशुभ समय, योग, करिणा और इस दिन के धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
17 दिसंबर 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है। इस तिथि पर किए गए पूजा-पाठ, व्रत और दान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और घर-परिवार में सुख-शांति का वातावरण बनता है। माना जाता है कि इस दिन की भक्ति और साधना मन को स्थिरता देती है और शुभ फल प्राप्त करने में सहायक होती है।
17 दिसंबर 2025, बुधवार को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का संयोग बन रहा है। यह दिन धार्मिक रूप से शांत, संयम और पूजा-पाठ के लिए उत्तम माना जाता है। पौष मास के चलते इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह काल देव-पूजन और दान-पुण्य के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार आज सूर्य धनु राशि में और चंद्र तुला राशि में स्थित रहेंगे, जिससे दिन के प्रभाव में संतुलन और सकारात्मकता का संचार होता है।
चंद्रोदय-चंद्रास्त
हालाँकि इस दिन कोई प्रमुख त्यौहार नहीं है, लेकिन त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की उपासना और नकारात्मक ऊर्जा शमन के लिए शुभ मानी जाती है।
शिव पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
सुकर्मा योग शुभ कार्यों के लिए अनुकूल
पौष मास में दान का विशेष फल
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
भगवान शिव को जल, बिल्वपत्र, धूप-दीप अर्पित करें
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें
संध्या समय दीपदान करना शुभ माना जाता है
17 दिसंबर 2025 का दिन शांत, संतुलित और आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक ऊर्जा देने वाला है। त्रयोदशी तिथि, विशाखा नक्षत्र और सुकर्मा योग इस दिन को पूजा, मनन, ध्यान और दान के लिए शुभ बनाते हैं।
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