
जानिए इस दिन का पंचांग, देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह, शुभ-अशुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व से जुड़ी खास जानकारी।
15 नवंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किए गए व्रत, पूजा और दान से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। माना जाता है कि इस दिन की भक्ति से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 15 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या त्योहार है और यह दिन धार्मिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है? 15 नवंबर 2025, शनिवार के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत मनाया जाता है, जो वर्ष की प्रमुख एकादशियों में से एक है। यह एकादशी भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है और माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से अनंत जन्मों के पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तिथि: कृष्ण पक्ष एकादशी – 2:38 AM तक (16 नवंबर तक)
नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी – रात 11:36 बजे तक
योग: वैधृति – सुबह 6:26 बजे तक
करण: बव – दोपहर 1:42 बजे तक
वार: शनिवार (शनिदेव का दिन)
मास: कार्तिक (शरद ऋतु)
विक्रम संवत: 2082 (कालियुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: कन्या
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: पूर्व दिशा
उत्पन्ना एकादशी
यह एकादशी अत्यंत पवित्र और पुण्यदायिनी मानी जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत का महात्म्य बताया था। इस दिन व्रत करने से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त करता है। उत्पन्ना एकादशी को उपवास, जागरण और भगवान विष्णु की भक्ति करने का विशेष महत्व है।
शनिवार का महत्व
इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है। शनिदेव को तेल अर्पित कर, “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करने से ग्रहदोष और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है।
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाकर तुलसीदल, पुष्प, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
दिनभर उपवास रखें - केवल फलाहार या जल ग्रहण करें।
रात्रि में श्रीहरि का भजन-कीर्तन करें और जागरण करें।
अगले दिन प्रातःकाल दान-पुण्य कर व्रत का पारण करें।
शुभ मुहूर्त: 11:22 AM से 12:04 PM
राहुकाल: 9:25 AM से 10:45 AM
गुलिक काल: 6:44 AM से 8:04 AM
यमघंट काल: 1:26 PM से 2:46 PM
सूर्योदय: 6:44 AM
सूर्यास्त: 5:27 PM
चंद्रोदय: 3:08 AM (16 नवंबर)
चंद्रास्त: 2:37 PM
सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: कन्या
ऋतु: शरद
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: पूर्व दिशा
इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है।
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
ग्रहदोष और शनिदोष से मुक्ति मिलती है।
जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की वृद्धि होती है।
15 नवंबर 2025 का दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत के कारण अत्यंत पवित्र है। यह तिथि धर्म, भक्ति और तप का संदेश देती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना, उपवास और जागरण करने से भक्त को अक्षय पुण्य, पापमुक्ति और मोक्ष का लाभ मिलता है। शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
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