14 सितंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, आश्विन कृष्ण सप्तमी, सप्तमी व्रत और श्रीराम जन्मोत्सव का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
14 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक रूप से खास है। इस दिन चतुर्दशी श्राद्ध किया जाएगा, जो पितरों की तृप्ति और आशीर्वाद पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन तर्पण और दान करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 14 सितंबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है तथा यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
14 सितंबर 2025 रविवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन सप्तमी श्राद्ध का आयोजन किया जाएगा। पितृपक्ष में सप्तमी श्राद्ध का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
पंचांग विवरण
तिथि प्रारंभ: सप्तमी तिथि – 14 सितंबर प्रातः 8:22 बजे से
तिथि समाप्त: अष्टमी तिथि – 15 सितंबर प्रातः 9:11 बजे तक
नक्षत्र: रेवती – 6:01 PM तक, इसके बाद अश्विनी नक्षत्र प्रारंभ
योग: सिद्धि – 8:55 PM तक, इसके बाद व्यतीपात योग
करण: गर – 8:22 AM तक, इसके बाद वणिज
वार: रविवार (सूर्यदेव का दिन)
सप्तमी श्राद्ध का महत्व
सप्तमी श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस दिन जिन पितरों की मृत्यु सप्तमी तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों के लिए किया गया श्राद्ध, तर्पण और दान उन्हें तृप्त करता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
श्राद्ध विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
तिल, कुश, जल और पुष्प से पितरों का आह्वान करें।
पिंडदान और तर्पण करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
परिवार के साथ पितरों की स्मृति में कथा-पाठ करें।
शुभ-अशुभ समय
अभिजीत मुहूर्त: 11:31 AM से 12:20 PM
राहुकाल: 4:35 PM से 6:08 PM
गुलिक काल: 3:02 PM से 4:35 PM
यमघंट काल: 12:19 PM से 1:52 PM
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: 5:43 AM
सूर्यास्त: 6:04 PM
चंद्रोदय: 9:14 PM
चंद्रास्त: 10:52 AM
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: सिंह
चंद्र राशि: मेष
दिशाशूल: पश्चिम दिशा
ऋतु: वर्षा
आयन: दक्षिणायन
निष्कर्ष
14 सितंबर 2025 का दिन पितृपक्ष की दृष्टि से अत्यंत विशेष है। इस दिन सप्तमी श्राद्ध किया जाएगा, जिसका धार्मिक और पौराणिक महत्व बहुत बड़ा है। श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद घर-परिवार पर बना रहता है।
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