11 सितंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, आश्विन कृष्ण चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी व्रत और चतुर्थी श्राद्ध का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
11 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक आस्था और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन कौन से व्रत और पर्व मनाए जाएंगे, उनके पीछे की मान्यताएं क्या कहती हैं और कौन से शुभ मुहूर्त आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं, यह जानना दिलचस्प होगा। इस लेख में जानिए 11 सितंबर 2025 से जुड़ी पूरी और खास जानकारी, जो इस दिन को विशेष महत्व देती है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 11 सितंबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है तथा यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
11 सितंबर 2025, गुरुवार का दिन है और यह अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भरणी श्राद्ध (महा भरणी श्राद्ध) मनाया जाएगा। पितृ पक्ष में आने वाला यह श्राद्ध विशेष महत्व रखता है क्योंकि भरणी नक्षत्र के स्वामी स्वयं यमराज माने जाते हैं। इस कारण इस दिन पितरों की शांति और मोक्ष के लिए किया गया श्राद्ध अत्यंत फलदायी माना गया है।
पंचांग विवरण
तिथि प्रारंभ: चतुर्थी तिथि – 6:30 PM तक
नक्षत्र: भरणी नक्षत्र प्रारंभ – 11 सितम्बर 1:58 PM, समाप्त – 12 सितम्बर 11:58 AM
योग: गंड – रात 11:59 PM तक
करण: तैतिल – सुबह 7:51 AM तक
वार: गुरुवार (बृहस्पति का दिन)
शुभ-अशुभ समय
श्राद्ध अनुष्ठान के लिए शुभ समय (अपराह्न काल): 11:53 AM से 4:02 PM तक
कुतुप मुहूर्त: 11:53 AM से 12:42 PM
रौहिण मुहूर्त: 12:42 PM से 1:32 PM
अपराह्न काल: 1:32 PM से 4:02 PM
राहुकाल: 1:32 PM से 3:07 PM
गुलिक काल: 9:46 AM से 11:21 AM
यमघंट काल: 6:11 AM से 7:46 AM
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: 5:41 AM
सूर्यास्त: 6:08 PM
चंद्रोदय: 7:10 PM
चंद्रास्त: 7:02 AM
भरणी श्राद्ध का महत्व
भरणी श्राद्ध को महा भरणी श्राद्ध भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष में अत्यंत शुभ और फलदायी श्राद्ध माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध, गया में किए गए श्राद्ध के समान फल प्रदान करता है। इसे चौथ भरणी या भरणी पंचमी भी कहा जाता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि भरणी नक्षत्र चतुर्थी या पंचमी तिथि पर पड़ रहा है।
भरणी श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनके आशीर्वाद की कृपा बनी रहती है। धर्मसिन्धु ग्रंथ में वर्णन है कि इसे हर वर्ष किया जा सकता है, न कि केवल किसी एक विशेष अवसर पर।
पूजा विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पितरों का स्मरण कर तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करें।
ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
भोजन, अन्न और दान पितरों के नाम से दान करें।
अपराह्न काल (दोपहर बाद) में ही श्राद्ध करना सबसे शुभ माना गया है।
निष्कर्ष
11 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत विशेष है क्योंकि इस दिन भरणी श्राद्ध मनाया जाएगा। पितृ पक्ष में किया गया यह श्राद्ध न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति देता है, बल्कि परिवार को सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्रदान करता है।
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