
11 अगस्त 2025 को क्या है? जानें इस दिन का पंचांग, प्रमुख व्रत, त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान जो इस दिन किए जाते हैं।
11 अगस्त 2025 का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन के शुभ योग, पूजा-पाठ और व्रतों का विशेष फल मिलता है। इस लेख में जानिए 11 अगस्त के धार्मिक महत्व, खास परंपराएं और पूजा के सही समय से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
11 अगस्त 2025, सोमवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि सुबह 10:34 बजे तक द्वितीया तिथि रहेगी, जिसके बाद तृतीया तिथि का आरंभ होगा। यह तिथि गणेश पूजन और पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने के लिए शुभ मानी जाती है। सोमवार होने के कारण इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। शिवजी की आराधना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।
तिथि: कृष्ण पक्ष द्वितीया – 10:34 AM तक, उसके बाद तृतीया
नक्षत्र: शतभिषा – 1:00 PM तक, फिर पूर्वभाद्रपदा
योग: अतिगण्ड – 9:33 PM तक, फिर सुकर्मा
करण: गरिज – 10:34 AM तक, फिर वणिज – 9:39 PM तक, उसके बाद विष्टि
वार: सोमवार
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को भौम और सोम तृतीया व्रत का विशेष महत्व है। सोमवार को आने वाली तृतीया पर शिवजी और माता पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह दिन पितरों की स्मृति में तर्पण एवं श्राद्ध के लिए भी शुभ माना जाता है।
प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और शिव-पार्वती की आरती करें।
यदि पितृ तर्पण करना हो, तो विधिवत तिल, जल और पिंडदान करें।
व्रत रखने वाले अगले दिन प्रातः पारण करें और ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं।
राहुकाल: सुबह 7:42 से 9:18 बजे तक
गुलिक काल: दोपहर 2:08 से 3:45 बजे तक
यमघंट काल: 10:55 से 12:32 बजे तक
शुभ समय: ब्राह्म मुहूर्त 4:29 से 5:17 बजे तक, अभिजीत मुहूर्त 12:06 से 12:57 बजे तक
11 अगस्त 2025 का दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वितीया और तृतीया का अद्भुत संगम लेकर आता है। सोमवार के दिन शिव पूजन और पितृ तर्पण का विशेष फल प्राप्त होता है। यह दिन धार्मिक अनुष्ठान, व्रत पालन और पारिवारिक कल्याण के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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