ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है तो उसे जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ज्योतिषियों के अनुसार, जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच जब सभी ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष नामक योग का निर्माण होता है। माना जाता है कि इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को कई तरह के संकेत जैसे- सपने में मरे हुए लोग व सांप दिखते हैं, मानसिक अस्थिरता के अलावा स्वास्थ्य भी खराब रह सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए काल सर्प दोष शांति पूजा बहुत फायदेमंद मानी जाती है। हमारे शास्त्रों के अनुसार, जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष होता है, वे श्राद्ध पक्ष के दौरान इसके निवारण के लिए उपाय और पूजा करके शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं और इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं। महालया अमावस्या, जिसे सर्व पितृ अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है, पितृ पक्ष का अंतिम दिन है। इस अमावस्या पर पूजा करना काल सर्प दोष, पितृ दोष या किसी भी अशुभ ग्रह के प्रभाव को दूर करने के लिए सबसे प्रभावी माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस अमावस्या पर काल सर्प दोष शांति पूजा करने से भक्तों को निर्भयता प्राप्त होती है और उन्हें मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद मिलती है। ज्योतिर्लिंग पर की जाने वाली इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग है और इसे स्वयंभू लिंग माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, काल सर्प दोष व्यक्ति के पिछले कर्मों के कारण होता है और शास्त्रों में कहा गया है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। चूंकि काल सर्प दोष पिछले कर्मों से संबंधित है और यह मंदिर पापों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए ओंकारेश्वर में यह पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इसलिए महालया अमावस्या पर श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में काल सर्प दोष शांति पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।