सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह शुक्र ग्रह से जुड़ा होता है। शुक्र को धन, सुख, वैभव और समृद्धि का कारक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार की सकारात्मक ऊर्जा समृद्धि को आकर्षित करती है और आर्थिक परिस्थितियों को बेहतर दिशा देती है और जब यही शुक्रवार प्रदोष काल के साथ आता है, तो यह समय और भी विशेष माना जाता है। प्रदोष काल वह समय माना जाता है जब मन की प्रार्थना जल्दी सुनी जाती है और ऊर्जा शांत होने लगती है। इस समय की गई पूजा भीतर शांति और स्पष्टता की भावना उत्पन्न करती है।
इसी कारण, इस दिन की पूजा सिर्फ धन प्राप्ति तक सीमित नहीं होती, बल्कि धन को सुरक्षित और स्थिर रखने की भावना भी जुड़ी होती है क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि हम मेहनत करते हैं, पैसा आता है, पर टिकता नहीं। इसलिए शुक्रवार प्रदोष काल की ऊर्जा में की जाने वाली माँ लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भैरव रक्षा पूजा विशेष मानी जाती है। सनातन धर्म के अनुसार माँ लक्ष्मी समृद्धि का प्रतीक हैं, भगवान कुबेर धन की व्यवस्था और सुरक्षा का दायित्व रखते हैं, और भैरव जीवन में आने वाली बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा की प्रदान करते हैं। इन तीनों की संयुक्त पूजा व्यक्ति को यह अनुभव कराती है कि उसके प्रयास व्यर्थ नहीं जा रहे।
इस विशेष लक्ष्मी–कुबेर–भैरव रक्षा पूजा में शुक्रवार प्रदोष काल के दौरान वैदिक विधियों से पूजा सम्पन्न की जाती है। इस अनुष्ठान में 11,000 कुबेर मंत्र जाप किया जाएगा जिससे धन और अवसरों के प्रति स्पष्टता की भावना बढ़ती है। इसके बाद श्री सूक्त हवन के माध्यम से माँ लक्ष्मी से घर में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान किया जाएगा। अंत में भैरव रक्षा कवच पाठ संपन्न होगा, जिससे व्यक्ति अपने धन और मेहनत की रक्षा के लिए दिव्य कृपा का आह्वान कर सकता है।
श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह पूजा उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में समृद्धि, स्थिरता और सुरक्षा के संतुलन की तलाश में हैं, तो देर न करें अभी भाग लें।