सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इस माह में पड़ने वाली अमावस्या को कार्तिक अमावस्या कहा जाता है और धार्मिक अनुष्ठान के लिए यह तिथि शुभ मानी जाती है। पुराणों के अनुसार, अमावस्या का दिन नकारात्मक ऊर्जाएं अपने चरम पर होती है, यही कारण है कि इस दिन विनाशकारी शक्तियों का नाश करने वाली देवी दुर्गा की पूजा शुभ मानी जाती है। मां पार्वती का अवतार मानी जाने वाली देवी दुर्गा शक्ति और रक्षक ऊर्जा का प्रतीक हैं। वह दिव्य शक्ति का शुद्ध रूप हैं, जो अपने भक्तों को बुराइयों से बचाती हैं और शक्ति प्रदान करती हैं। पौराणिक कथानुसार, महिषासुर नाम के एक असुर को भगवान ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था। जिसके चलते उसने तीनों लोकों में हमला कर दिया और देवताओं को पराजित कर दिया। इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा जी से मदद मांगी। महिषासुर को केवल एक स्त्री ही हरा सकती थी। इसलिए त्रिदेवों ने अपनी दिव्य शक्तियों से मां दुर्गा को उत्पन्न किया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध चला। इस दौरान महिषासुर ने मां दुर्गा को भ्रमित करने के लिए कई रूप धारण किए लेकिन अंततः उसने जब भैंसे का रूप धारण किया तो मां दुर्गा मौके का फायदा उठाते हुए अपने त्रिशूल से महिषासुर का वध किया और तीनों लोकों में एक बार फिर से शांति स्थापित की। यह कथा बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अराजकता पर व्यवस्था की विजय का प्रतीक है।
यही कारण है कि माना जाता है कि अमावस्या के दिन मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। हिंदु धर्म में, मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवार्ण मंत्र का जाप को सबसे प्रभावशाली माना गया है। यदि इस मंत्र का जाप कार्तिक अमावस्या पर किया जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकते हैं। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या पर नवार्ण मंत्र का जाप करने से मां दुर्गा का दिव्य आशीष प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। यदि नवार्ण मंत्र के जाप के साथ दुर्गा सप्तशती एवं नव चंडी महाहवन भी किया जाए तो यह अंत्यत और कई गुना अत्यधिक फलदायी हो सकता है। कहा जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से एक दैवीय ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और देवी दुर्गा द्वारा मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन पवित्र अनुष्ठानों को एक भव्य महानुष्ठान के रूप में आठ ब्राह्मणों द्वारा संपन्न किया जाएगा। वहीं, शुक्रवार का दिन माँ दुर्गा को समर्पित होता है, जिससे इस दिन किए गए इन अनुष्ठानों का लाभ और भी बढ़ जाता है। ऐसे में कार्तिक अमावस्या और शुक्रावार के शुभ संयोग पर काशी (वाराणसी) के प्रतिष्ठित श्री दुर्गा कुंड मंदिर में 1,25,000 नवार्ण मंत्र जाप, दुर्गा सप्तशती और नव चंडी महा हवन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और माँ दुर्गा द्वारा सफलता और मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।