हिंदू धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस महीने का नाम भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर रखा गया है, क्योंकि उनका जन्म इस शुभ महीने में राक्षस तारकासुर को हराने के लिए हुआ था। इसी माह में भगवान कार्तिकेय को समर्पित छह दिवसीय उत्सव मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कुमार और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार तमिल हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। जो कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है और कार्तिक शुक्ल षष्ठी तक चलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने अपने 'वेल' से सुरपद्मन नामक राक्षस को हराया था जिसे सुरसंहारम कहा गया। सुरपद्मन ऋषि कश्यप और माया नामक शक्ति के पुत्र थे। भगवान कार्तिकेय से युद्ध में उन्होंने सुरपद्म की सेना को हराया, उसके भाइयों को परास्त किया। तब सुरपद्मन ने भगवान मुरुगन से क्षमा मांगी। दया दिखाते हुए, भगवान मुरुगन ने सुरपद्म को एक मोर में बदल दिया और उसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया। इसलिए, इन छह दिनों के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं पृथ्वी को सभी बुराइयों से मुक्त करने के लिए भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा करते हैं। भगवान कार्तिकेय का जन्म देवताओं के शत्रुओं को नष्ट करने के एकमात्र उद्देश्य से हुआ था। उन्होंने राक्षस तारकासुर को हराया, जिसे केवल शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जा सकता था। कार्तिकेय ने राक्षस का वध करके अपना कार्य पूरा किया और वो युद्ध के देवता और शत्रुओं का नाश करने वाले बन गए।
पुराणों में, कार्तिकेय को देवताओं के प्रमुख सेनापति (देव सेनापति) के रूप में संदर्भित किया जाता है। छह सिर वाले भगवान कार्तिकेय छह सिद्धियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भगवान कार्तिकेय को समर्पित विशेष अनुष्ठानों में से एक शत्रु संहार त्रिशति होमा है। "शत्रु संहार त्रिशति" दुश्मनों का नाश करने के लिए 300 नामों का जाप करके भगवान कार्तिकेय के 300 रूपों को जगाने को संदर्भित करता है। शत्रु संहार त्रिशति हवन एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो आपके जीवन से अप्रत्याशित संघर्षों को दूर करता है और आपको दुश्मनों के खतरे से बचाता है। यह अनुष्ठान अदृश्य शक्तियों के विरुद्ध सुरक्षा कवच का काम करता है। छह दिवसीय उत्सव के पहले दिन किए जाने वाले इस होम का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अनुष्ठान को करने से भक्त के जीवन से बाधाएं भी दूर होती हैं और उन्हें देव सेनापति भगवान कार्तिकेय से विजय का आशीर्वाद भी मिलता है। इसलिए, इस छह दिवसीय उत्सव की शुभ शुरुआत में शत्रु संहार त्रिशति हवन का आयोजन किया जाएगा।