जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन
स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष

शत्रु संहार त्रिशति हवन

जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए
temple venue
एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
pooja date
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जीवन में शत्रुओं एवं बाधाओं पर विजय प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए स्कंद षष्ठी प्रारंभ: देव सेनापति कार्तिकेय विशेष शत्रु संहार त्रिशति हवन

हिंदू धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस महीने का नाम भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर रखा गया है, क्योंकि उनका जन्म इस शुभ महीने में राक्षस तारकासुर को हराने के लिए हुआ था। इसी माह में भगवान कार्तिकेय को समर्पित छह दिवसीय उत्सव मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कुमार और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार तमिल हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। जो कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है और कार्तिक शुक्ल षष्ठी तक चलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने अपने 'वेल' से सुरपद्मन नामक राक्षस को हराया था जिसे सुरसंहारम कहा गया। सुरपद्मन ऋषि कश्यप और माया नामक शक्ति के पुत्र थे। भगवान कार्तिकेय से युद्ध में उन्होंने सुरपद्म की सेना को हराया, उसके भाइयों को परास्त किया। तब सुरपद्मन ने भगवान मुरुगन से क्षमा मांगी। दया दिखाते हुए, भगवान मुरुगन ने सुरपद्म को एक मोर में बदल दिया और उसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया। इसलिए, इन छह दिनों के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं पृथ्वी को सभी बुराइयों से मुक्त करने के लिए भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा करते हैं। भगवान कार्तिकेय का जन्म देवताओं के शत्रुओं को नष्ट करने के एकमात्र उद्देश्य से हुआ था। उन्होंने राक्षस तारकासुर को हराया, जिसे केवल शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जा सकता था। कार्तिकेय ने राक्षस का वध करके अपना कार्य पूरा किया और वो युद्ध के देवता और शत्रुओं का नाश करने वाले बन गए।

पुराणों में, कार्तिकेय को देवताओं के प्रमुख सेनापति (देव सेनापति) के रूप में संदर्भित किया जाता है। छह सिर वाले भगवान कार्तिकेय छह सिद्धियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भगवान कार्तिकेय को समर्पित विशेष अनुष्ठानों में से एक शत्रु संहार त्रिशति होमा है। "शत्रु संहार त्रिशति" दुश्मनों का नाश करने के लिए 300 नामों का जाप करके भगवान कार्तिकेय के 300 रूपों को जगाने को संदर्भित करता है। शत्रु संहार त्रिशति हवन एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो आपके जीवन से अप्रत्याशित संघर्षों को दूर करता है और आपको दुश्मनों के खतरे से बचाता है। यह अनुष्ठान अदृश्य शक्तियों के विरुद्ध सुरक्षा कवच का काम करता है। छह दिवसीय उत्सव के पहले दिन किए जाने वाले इस होम का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अनुष्ठान को करने से भक्त के जीवन से बाधाएं भी दूर होती हैं और उन्हें देव सेनापति भगवान कार्तिकेय से विजय का आशीर्वाद भी मिलता है। इसलिए, इस छह दिवसीय उत्सव की शुभ शुरुआत में शत्रु संहार त्रिशति हवन का आयोजन किया जाएगा।

पूजा लाभ

puja benefits
शत्रुओं पर विजय का आशीष
मान्यता है कि शत्रु संहार त्रिशती हवन अनुष्ठान शत्रुओं पर विजय प्राप्ति और दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस हवन में युद्ध के देवता कार्तिकेय के नामों का जाप और हवन किया जाता है। यह हवन शत्रुओं के नाश के अलावा जीवन में शांति और सुरक्षा प्राप्त करने में प्रभावशाली हो सकता है।
puja benefits
जीवन में बाधाओं से रक्षा का आशीष
व्यक्ति को अपने जीवन में आए दिन सभी कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्कंद षष्ठी प्रारंभ पर भगवान कार्तिकेय की शत्रु संहार त्रिशती हवन कराने से बाधाओं से सुरक्षा का आशीष मिलता है। इस पूजा को करने वाले जातको को धैर्य, सम्मान और संघर्षशीलता में साहस और सामर्थ्य प्राप्त होता है, जिससे वह जीवन की हर बाधा को सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं।
puja benefits
मनोकामनाओं की पूर्ति
युद्ध के देवता भगवान कार्तिकेय न सिर्फ शत्रुओं का विनाश करते हैं बल्कि भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की व्याधियां दूर करने का आशीष भी देते हैं। मान्यता है कि इस सुप्रसिद्ध मंदिर में स्कंद षष्ठी प्रारंभ पर भगवान कार्तिकेय की शत्रु संहार त्रिशती हवन करने से भक्तों के जीवन में सभी तरह के सुख, समृद्धि, खुशहाली के साथ मनोकानमाओं की पूर्ति का आशीष मिलता है।

पूजा प्रक्रिया

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हमारे अनुभवी पंडित पूरे विधि विधान से पूजा कराएंगे, पूजा के दिन श्री मंदिर भक्तों की पूजा सामूहिक रूप से की जाएगी। जिसका लाइव अपडेट्स आपके व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
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पूजा वीडियो एबं तीर्थ प्रसाद डिलीवरी

3-4 दिनों के अंदर अपने व्हाट्सएप नंबर पर पूजा वीडियो पाएं एवं 8-10 दिनों में तीर्थ प्रसाद प्राप्त करें।

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर एक पूजनीय तीर्थस्थल है, जिसका आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। 120 साल पहले प्रतिष्ठित ऋषि मायांडी सिद्धर द्वारा स्थापित यह मंदिर चिरस्थायी परंपरा और भक्ति का प्रमाण है। ऋषि मायांडी सिद्धर ने भगवान राम के गहन ध्यान और दर्शन के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर से जुडी कई चमत्कारिक कथाओं के बारे में सुनने को मिलता है, जिनमें भगवान पेरुमल की मुख्य मूर्ति भी शामिल है, जिसे मूर्तिकला का कोई औपचारिक ज्ञान न रखने वाले एक साधारण व्यक्ति ने गढ़ा था। मंदिर में कई पवित्र मूर्तियाँ हैं, जिनमें शुद्ध स्पष्ट क्वार्ट्ज से बना उल्लेखनीय स्फटिक लिंगम भी शामिल है।

शास्त्रों के अनुसार, स्फटिक लिंगम की पूजा करने से भक्तों में आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान और शक्ति आती है, साथ ही चिंताएँ और नकारात्मक प्रभाव से भी राहत मिलता है। यह स्फटिक लिंगम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऋषिकेश के बाद भारत में सबसे बड़े स्फटिक लिंगम में से एक है। यह मंदिर भगवान राम से जुड़े होने के कारण भी प्रसिद्ध है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने जटायु को मोक्ष प्रदान किया था और अपने पिता का अंतिम संस्कार किया था। भक्तगण एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और भगवान हनुमान से आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में उन्हें सभी प्रयासों में सफलता मिलती है।

रिव्यूज़ और रेटिंग

जानिए प्रिय भक्तों का श्री मंदिर के बारे में क्या कहना है!
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अच्युतम नायर

बेंगलुरु
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रमेश चंद्र भट्ट

नागपुर
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अपर्णा मॉल

पुरी
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शिवराज डोभी

आगरा
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मुकुल राज

लखनऊ

भक्तों का अनुभव

जिन भक्तों ने हमारे साथ पूजा बुक की उनका अनुभव जाने
तीश मोड़

तीश मोड़

17 February, 2025

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बहुत ही अतुलनीय कार्य है आपका भगवन आपको ऐसे ही कार्य करने की ताक़त दे


Ramesh Tripathi

Ramesh Tripathi

17 February, 2025

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Hame vishwas hai ki Puja poorn vishwas aur aastha se hui hogi avm hame Prabhu ka Aasirwad prapt hoga apne pariwar ke liye.Jai Bholenath sahai rehna Hamesha.🙏🏽🕉️🌼


S JAREENA BEGUM

S JAREENA BEGUM

16 February, 2025

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Namaste guruji ap ku bhuth,bahut, dhanyawad guruji,, ap ki sevaiya acche hai Ghar bhite Puja karwana, bhuth bhuth accha hai ,,meri mano kamna Puri hone baad mai mai ap se spark karungi

हमारे पिछले पूजा अनुभव के झलक

पूजा समाप्त होने के बाद, आपकी पूजा का पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग, नाम और गोत्र चैंटिंग सहित, साझा किया जाएगा।
महाशिवरात्रि 4 प्रहर अभिषेक
8 March 2023
दिव्य महाकाली मध्यरात्रि तांत्रोक्त यज्ञ
7 May 2023
शनि शांति यज्ञ और तिल तेल अभिषेक
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

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