भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए गोवर्धन अन्नकूट पूजा मथुरा विशेष 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा और अन्न दान
भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए गोवर्धन अन्नकूट पूजा मथुरा विशेष 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा और अन्न दान
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भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए गोवर्धन अन्नकूट पूजा मथुरा विशेष 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा और अन्न दान
गोवर्धन अन्नकूट पूजा मथुरा विशेष

56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा और अन्न दान

भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए
temple venue
श्री गिरिराज जी मुखारविंद मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश
pooja date
2 नवम्बर, शनिवार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
Warning Infoइस पूजा की बुकिंग बंद हो गई है
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अब तक3,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए गोवर्धन अन्नकूट पूजा मथुरा विशेष 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा और अन्न दान

हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। अन्नकूट का अर्थ है "भोजन का पहाड़।" इस दिन, मिठाई, फल, सब्जियां और अनाज सहित 56 तरह के पकवान तैयार किए जाते हैं और भगवान कृष्ण को "पहाड़" के रूप में चढ़ाए जाते हैं। एक लोकप्रिय अनुष्ठान के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण को उनके पसंदीदा व्यंजनों का "छप्पन भोग" ​​यानि 56 प्रकार के भोजन का भोग लगाना शुभ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मान्यता है कि इंद्र का घमंड चूर करने और ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठा लिया था और हजारों जीव-जतुंओं और मनुष्‍यों की रक्षा की थी। इस दौरान भगवान कृष्‍ण ने देवराज के घमंड को तोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। उसी दिन से द‍िन से ही गोवर्धन पूजा का आरंभ हुआ। यही नहीं इस दौरान भगवान सात दिनों तक बिना भोजन के रहे थे, जब आठवें दिन बारिश बंद हो गई, तो ब्रजवासियों को पता चला कि कृष्ण ने सात दिनों से कुछ नहीं खाया है। उन्होंने मां यशोदा से पूछा कि वह अपने बेटे को कैसे खिलाती हैं तो उन्होंने बताया कि वह कृष्ण को दिन में आठ बार खिलाती हैं। जिसके बाद, गोकुल के लोगों ने 56 प्रकार के भोजन (प्रत्येक दिन के लिए आठ व्यंजन) तैयार किए जो भगवान कृष्ण को पसंद थे। मान्यता है कि इस घटना के बाद से ही भगवान कृष्ण को 56 भोग चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा माना जाता है कि बाल कृष्ण को 56 भोग चढ़ाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और वे भक्तों की इच्छाएँ पूरी करते हैं।

वहीं इसके अलावा भगवान कृष्ण की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इनके बिना पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण को भगवान श्रीहरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। जिस तरह भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है, उसी तरह से श्रीकृष्ण को भी तुलसी बहुत ही प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा और भोग में तुलसी पत्ता चढ़ाया जाता है। यही कारण है कि गोवर्धन अन्नकूट पूजा के दिन 56 भाेग अर्पण के साथ 5600 तुलसी अर्चन पूजा कर भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना अत्यंत प्रभावशाली होगा। बात करें अगर अन्नदान कि तो हिंदू धर्म में यह दान सबसे श्रेष्ठ दान माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को भोग अर्पित करने के बाद, यह भोजन प्रसाद रूप में भक्तों और जरूरतमंद लोगों में बांटा जाता है। यह पुण्य का कार्य माना जाता है और इससे भक्त को अपार आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यही कारण है कि अन्नकूट पूजा के दिन गोवर्द्धन में स्थित श्री गिरिराज जी मुखारविंद मंदिर में 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा और अन्न दान जैसे भव्य अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के द्वारा इस अनुष्ठान में भाग लें और श्री कृष्ण से भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।

पूजा लाभ

puja benefits
भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि के आशीर्वाद के लिए
गोवर्धन अन्नकूट पूजा के दिन श्री कृष्ण की अराधना करने से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का आशीष मिलता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के घमंड को तोड़ने और ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसलिए मान्यता है कि इस शुभ दिन पर गोवर्धन में श्री कृष्ण के लिए 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा के साथ अन्न दान करने से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का आशीष प्राप्त होता है।
puja benefits
पापों से मुक्ति के लिए
भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पण और 5600 तुलसी पत्रों से अर्चन करने का पवित्र अनुष्ठान न केवल भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों के पापों का नाश करने का साधन भी माना जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के प्रति अत्यंत प्रिय माना जाता है, और मान्यता है कि इस शुभ दिन पर श्री कृष्ण को तुलसी पत्र अर्पण करने से पापों का नाश होता है। इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन 56 भोग अर्पण और 5600 तुलसी पत्रों से अर्चन के साथ अन्नदान करने से न केवल भूखे लोगों की मदद होती है, बल्कि इससे आत्मा की शुद्धि होती है और यह पापों से मुक्ति का मार्ग प्रदान करता है।
puja benefits
प्रचुरता का आशीर्वाद
मान्यता है कि अन्नकूट पूजा के दिन गोवर्धन में श्री कृष्ण के 56 भोग अर्पण, 5600 तुलसी अर्चन पूजा के साथ अन्न दान के पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने से, भक्तों को भगवान कृष्ण से प्रचुरता का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों का सुझाव है कि जब कोई निस्वार्थ भाव से दान करता है, खासकर इस शुभ दिन पर, भगवान कृष्ण सुनिश्चित करते हैं कि आपके घर में कभी भी आवश्यक प्रावधानों की कमी न हो और निरंतर प्रचुरता का आनंद मिले।

पूजा प्रक्रिया

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श्री गिरिराज जी मुखारविंद मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश

श्री गिरिराज जी मुखारविंद मंदिर, मथुरा, उत्तर प्रदेश
भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें गोवर्धननाथ, गोवर्धनधारी, गिरिधर के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धननाथजी का प्राकट्य श्री गिरिराज गोवर्धन की पावन भूमि पर हुआ, जिसका ब्रजवासियों और वल्लभाचार्य महाप्रभु के साथ गहरा संबंध है। कहा जाता है कि गोलोकधाम में मणिरत्नों से सुशोभित श्रीगोवर्धन के कंदराओं में श्री ठाकुरजी, श्रीस्वामिनीजी और ब्रजभक्तों के साथ रसमयी लीलाएँ करते हैं। वहीं से ठाकुरजी ने महाप्रभु वल्लभाचार्य को जीवों के उद्धार के लिए पृथ्वी पर आने का आदेश दिया। सन् 1466 में, नागपंचमी के दिन एक ब्रजवासी ने गोवर्धन पर्वत पर भगवान श्री गोवर्धननाथजी की वाम भुजा का दर्शन किया। यह वही भुजा थी जिससे श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इन्द्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इसके बाद 69 वर्षों तक ब्रजवासी भगवान की वाम भुजा की पूजा करते रहे और प्रतिवर्ष नागपंचमी के दिन मेला लगता रहा।

सन् 1478 में एक अलौकिक घटना घटी, जब सद्दू पाण्डे की गाय धूमर ने गोवर्धन पर्वत पर एक छेद में दूध की धार छोड़ी। सद्दू पाण्डे ने देखा कि वहाँ श्री गोवर्धननाथजी के मुखारविंद का प्राकट्य हुआ। इसके बाद से ब्रजवासी उन्हें देवदमन के नाम से जानने लगे। सद्दू पाण्डे की पत्नी और पुत्री प्रतिदिन धूमर गाय का दूध भगवान को अर्पित करने जाती थीं। सन् 1493 में, श्री गोवर्धननाथजी ने महाप्रभु वल्लभाचार्य को अपने पूर्ण स्वरूप का प्राकट्य करने का आदेश दिया। महाप्रभु तुरंत ब्रज आए और आन्योर गाँव में सद्दू पाण्डे से श्रीनाथजी के प्राकट्य की कथा सुनी। दूसरे दिन महाप्रभु ब्रजवासियों के साथ गिरिराज गोवर्धन पर श्रीनाथजी के दर्शन के लिए पहुँचे। श्रीनाथजी का दर्शन कर महाप्रभु अत्यंत भावविभोर हो गए और भगवान के साथ आलिंगन किया। श्रीनाथजी ने महाप्रभु से कहा, "यहाँ हमारा मंदिर बनवाकर हमें उसमें पधाराओ और हमारी सेवा आरम्भ करवाओ।" महाप्रभु ने तुरंत एक छोटा सा मंदिर बनवाया और भगवान को उसमें विराजमान किया। बाद में सन् 1519 में अक्षय तृतीया के दिन श्रीनाथजी को नए मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। आज भी श्रीनाथजी की सेवा वल्लभकुल के भक्त करते हैं, और यह स्थान ब्रज में अत्यधिक पूजनीय है।

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आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

पार्टनर पूजा

अधिकतम 2 व्यक्ति के लिए पूजा कराएं
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 2 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

पारिवारिक पूजा

अधिकतम 4 सदस्यों के लिए पूजा कराएं
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 4 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
श्री गिरिराज जी मुखारविंद मंदिर में श्री कृष्ण को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

संयुक्त परिवार पूजा

अधिकतम 6 सदस्यों के लिए पूजा कराएं
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 6 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
श्री गिरिराज जी मुखारविंद मंदिर में श्री कृष्ण को पुष्पांजलि के साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे से युक्त भोग अर्पित किया जाएगा।
अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

रिव्यूज़ और रेटिंग

जानिए प्रिय भक्तों का श्री मंदिर के बारे में क्या कहना है!
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अच्युतम नायर

बेंगलुरु
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रमेश चंद्र भट्ट

नागपुर
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अपर्णा मॉल

पुरी
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शिवराज डोभी

आगरा
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मुकुल राज

लखनऊ

श्री मंदिर पर पूजाएं इतनी वास्तविक क्यों लगती हैं?

भक्तों का अनुभव

जिन भक्तों ने हमारे साथ पूजा बुक की उनका अनुभव जाने
Mithilesh Pandey wife nirmala pandey son nirmit pandey bhai Tara dutt Pandey wife Indra pandey son vaibhav

Mithilesh Pandey wife nirmala pandey son nirmit pandey bhai Tara dutt Pandey wife Indra pandey son vaibhav

09 December, 2024

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Bahut badiya is app ke madhyam se mai har hafte ke Puja ka aayojan kar leta hu .jisse mere saare nakaratmak gayab ho jaati hai ,


Bhupendra Jethabhai Hadiya

Bhupendra Jethabhai Hadiya

09 December, 2024

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Best puja by panditji 🙏🙏🙏


ashvini Rajendra Kamble

ashvini Rajendra Kamble

09 December, 2024

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आप के इस मध्यम से हमारा ये पूजा यज्ञ हुआ है इसके लिए आप का अनेको धन्यवाद आप नहीं जानते ये पूजा कारवानी मेरे लिए बहुत ज़रूरी थी मेरी आस्था माँ बगलामुखी माता पे बहुत है

हमारे पिछले पूजा अनुभव के झलक

पूजा समाप्त होने के बाद, आपकी पूजा का पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग, नाम और गोत्र चैंटिंग सहित, साझा किया जाएगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

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