सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और भाई दूज पर समाप्त होती है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज मनाई जाती है, इसे यम द्वितिया भी कहते हैं। इस पर्व के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है,स्कंदपुराण की कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतान थीं, जिसमें बेटा यमराज और बेटी यमुना थी। देव यम पापियों को दंड देते थे और देवी यमुना मन की निर्मल थीं और उन्हें लोगों की परेशानी देख दुख होता था इसलिए वे गोलोक में रहती थीं। देवी यमुना अपने भाई यम को कई बार भोजन के लिए बुलाती थी लेकिन व्यस्तता के चलते यम उनके घर नहीं जा पाते थे। फिर एक दिन बहन के घर जाने के लिए यम ने नरक के निवासियों को मुक्त कर दिया और भोजन के लिए उनके घर चले गए। भोजन ग्रहण करने के बाद देव यमराज ने देवी यमुना से वर मांगने को कहा। देवी यमुना ने भाई यमराज से वर मांगा कि इस तिथि पर जो भी बहन अपने भाई का टीका करेगी, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इसके बाद देव यमराज ने बहन यमुना को वरदान दिया। यही कारण है कि हर वर्ष इसी प्रथा के चलते भाई दूज का पर्व मनाया जाता है और बहने अपने भाईयों की दीर्घ आयु के लिए टीका करती हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी यमुना और देव यमराज की पूजा करने से भाई-बहनों की सुरक्षा एवं दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों में देव यमराज को देवी यमुना की पूजा के लिए कई विधान बताए गए है, जिसमें यम दंड मुक्ति, यम स्तुति और यमुना दूध अभिषेक भी एक है। यम दंड निवारण पूजा एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जो हिंदू धर्म में यमराज (मृत्यु के देवता) के क्रोध या उनके द्वारा दी गई सजा (यम दंड) से मुक्ति पाने के उद्देश्य से की जाती है। यह पूजा व्यक्ति को अकाल मृत्यु, गंभीर बीमारियों, दुर्घटनाओं और अन्य जीवन संकटों से बचाने के लिए की जाती है। वहीं यम स्तुति एक अद्भुत प्रार्थना है जो "सदा सुहागन" के रूप में जानी जाने वाली सावित्री द्वारा प्रकट की गई थी। इसके अलावा कहा जाता है कि देवी यमुना की कृपा से भी अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इसलिए यम द्वितिया के शुभ अवसर चार धाम में से प्रथम श्री यमुनोत्री धाम में यम दंड मुक्ति, यम स्तुति और यमुना दूध अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। यमुनोत्री धाम चार धाम यात्रा का प्रथम धाम है और इसी स्थान से ही चार धाम की यात्रा शुरु होती है। इसी कारणवश इस पवित्र स्थल पर इस पूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और देव यमराज और देवी यमुना से भाई-बहनों की सुरक्षा एवं दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त करें।