जानिए शुक्र प्रदोष व्रत 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। इस दिन भगवान शिव की आराधना से पापों का नाश होता है और जीवन में सौभाग्य, समृद्धि व शांति की प्राप्ति होती है।
शुक्र प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और यह शुक्रवार के दिन प्रदोष काल में रखा जाता है। इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त! (05 सितम्बर 2025, शुक्रवार)
हर हर महादेव दोस्तों! प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते हैं और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:09 AM से 04:54 AM तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:31 AM से 05:40 AM तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:31 AM से 12:21 PM तक |
विजय मुहूर्त | 02:02 PM से 02:52 PM तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:13 PM से 06:36 PM तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:13 PM से 07:22 PM तक |
निशिता मुहूर्त | 11:34 PM से 12:20 AM (06 सितम्बर) तक |
मुहूर्त | समय |
अमृत काल | 01:16 PM से 02:52 PM तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 05:40 AM से 11:38 PM तक |
रवि योग | 11:38 PM से 06 सितम्बर को 05:40 AM तक |
प्रदोष व्रत एक साधना है, जो सभी भक्तों को भगवान भोलेनाथ से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करती है। हर माह भक्त इस दिन पूरी आस्था और श्रद्धाभाव से भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत एवं पूजा करते हैं।
आज हम जानेंगे कि क्या है प्रदोष व्रत, इसे क्यों करते हैं और इस व्रत का महत्व क्या है।
प्रदोष शब्द का अर्थ होता है संध्या काल यानी सूर्यास्त का समय व रात्रि का प्रथम पहर। चूंकि इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
एक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना को इसलिए शुभ माना जाता है, क्योंकि इस काल में भगवान भोलेनाथ प्रसन्न चित्त से कैलाश पर्वत पर डमरू बजाते हुए नृत्य करते हैं। महादेव की स्तुति के लिए सभी देवी-देवता भी इस समय कैलाश पर्वत पर एकत्रित होते हैं।
भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को अत्यंत शुभ व महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के फलस्वरूप भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाएं रखते हैं।
माना जाता है कि इस व्रत के पुण्यफल से व्यक्ति द्वारा अपने जीवन काल में किए गए पापों का अंत होता है। साथ ही सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होता है।
भगवान शिव की आराधना को जीवन के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी लाभदायक माना गया है। प्रदोष व्रत वह मार्ग है, जिसपर चलकर व्यक्ति अंत में जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
इस व्रत के प्रभाव से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जो व्यक्ति पूरी निष्ठा से इसका पालन करता है, उसकी मनोकामनाएं भी भगवान शिव पूर्ण करते हैं।
इस व्रत से मिलने वाला पुण्यफल भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के नए द्वार खोल देता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से दो गायों को दान करने के समान पुण्यफल प्राप्त होता है।
इस सभी कारणों से प्रदोष व्रत को शुभ, पावन और कल्याणकारी माना जाता है। इस संसार में प्रदोष व्रत एक डोरी के समान है जो लोगों को भगवान शिव की भक्ति से जोड़ कर रखता है।
प्रदोष व्रत करने वाले सभी भक्तों के लिए आज हम संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर आए हैं। आप व्रत से पहले यह सभी सामग्री एकत्रित कर लें, जिससे आपके व्रत में कोई भी बाधा न आए।
तो यह थी प्रदोष व्रत की संपूर्ण पूजन सामग्री।
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए,घर में सुख-समृद्धि के आगमन के लिए और जीवन के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक है। हम बात कर रहे हैं, प्रदोष व्रत की और आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आपको यह पूजा विधिवत किस प्रकार से करनी चाहिए-
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में होती है, लेकिन आप पूजा से संबंधित सभी सामग्री पहले ही एकत्रित कर लें। पूजा की सामग्री की सूची श्री मंदिर पर उपलब्ध है।
इस प्रकार आपकी प्रदोष व्रत की पूजा विधिवत पूर्ण हो जाएगी। हम आशा करते हैं, आपकी पूजा फलीभूत हो।
प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। यह व्रत हिन्दू माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है। हिंदू धर्म के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत में भी भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विधान है। माना जाता है कि अगर इस दिन शिवजी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो मनुष्य के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
शिव भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की आरती करते हैं साथ ही भजन भी गाते हैं। ऐसे में अगर इस व्रत के दौरान शिव जी के मंत्रों का जाप भी किया जाए तो भोलेनाथ बेहद प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। जब भी आप मंत्र जपे तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। साथ ही जाप करते समय शिवजी को बिल्वपत्र भी अर्पित करने चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं शिवजी के ये प्रभावशाली मंत्र।
1. ॐ नमः शिवाय। 2. नमो नीलकण्ठाय। 3. ॐ पार्वतीपतये नमः। 4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय। 5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा। 6. ऊर्ध्व भू फट्। 7. इं क्षं मं औं अं। 8. प्रौं ह्रीं ठः।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष) होते हैं। प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी पापों का नाश होता है एवं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि जो भक्तजन किसी भी कारणवश व्रत का पालन नहीं कर पा रहे हैं, वे भगवान शिव की कृपा कैसे पाएं ?
तो आइये, जानते हैं महादेव को प्रसन्न करने के कुछ खास उपाय।
अगर आप प्रदोष व्रत पर मंदिर भी नहीं जा पा रहें हैं, तो अपने फोन में श्री मंदिर पर भी आप भगवान शिव जी का मंदिर स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं। साथ ही भगवान जी की आरती, भजन और मंत्र भी सुन सकते हैं।
क्या आप भी जीवन में धन-समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और अपार खुशियों की कामना करते हैं? तो आज हम आपके लिए प्रदोष व्रत के दिन किए जाने वाले कुछ ऐसे विशेष उपाय लेकर आए हैं, जो आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के नए द्वार खोल देंगे।
चलिए जानते हैं क्या हैं वह 5 सरल उपाय जिन्हें आप प्रदोष व्रत के पावन दिन पर कर सकते हैं-
किसी भी दंपत्ति के जीवन में संतान सुख, किसी आशीर्वाद से कम नहीं होता है। संतान सुख का यह आशीष अगर आप प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर पंचगव्य का अभिषेक ज़रूर करें। पंचगव्य को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। यह दूध, दही, घी, गौ मूत्र और गाय के गोबर जैसी पवित्र चीज़ों के मिश्रण से बनता है। इससे शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव का आशीष मिलता है, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जीवन में धन की प्राप्ति और नौकरी में पदोन्नती प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को कनेर के फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। इससे सफलता के नए आयाम खुल जाते हैं। कनेर के पुष्प के साथ, धतूरे के पुष्प या शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने से भी जीवन में धन और समृद्धि का आगमन भी होता है।
मनुष्य जाने-अनजाने में कई अनैतिक कृत्य कर देता है और पाप का भागीदार बन जाता है। भगवान शिव की भक्ति आपको इन पापों से मुक्ति दिला सकती है। पापों के नाश के लिए भोलेनाथ को बिल्वपत्र अवश्य अर्पित करें।
माना जाता है कि चमेली के सुगंधित पुष्प भगवान शिव को भी अतिप्रिय होते हैं। इस दिन भगवान शिव को चमेली के पुष्प अर्पण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, और नकारात्मकता दूर हो जाती है। इससे आपके जीवन में शांति का वास होता है।
अगर आपके जीवन में पितृ दोष के कारण हर काम में रुकावट आ रही है, और अगर आप इस दोष से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह उपाय ज़रूर करें। प्रदोष व्रत के दिन आप चावल और काले तिल मिलाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित कर दें, इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
तो दोस्तों, यह थी उन 5 सरल उपायों की सूची, जिनके फलस्वरूप आपको विभिन्न लाभों की प्राप्ति होगी। आप सच्चे मन और भक्ति के साथ इन उपायों को अवश्य करें और भगवान शिव का स्मरण करें।
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