क्या आप जानना चाहते हैं ज्येष्ठ गौरी विसर्जन 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और सही विधि? यहां पाएं संपूर्ण जानकारी और जानें माता गौरी के विसर्जन का धार्मिक महत्व।
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन पूजा सम्पन्न होने के बाद श्रद्धापूर्वक किया जाता है। इस दिन भक्त माता गौरी की प्रतिमा या कलश का जल में विसर्जन करते हैं। माना जाता है कि इससे परिवार में सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ गौरी पूजा का विशेष महत्व है। तीन दिन तक चलने वाली इस पूजा में भक्त पहले दिन माता का आवाहन करते हैं, दूसरे दिन उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं और तीसरे दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से उनका विसर्जन करते हैं। ज्येष्ठ गौरी विसर्जन का दिन भक्त माता को विदा करते हैं और अगले वर्ष पुनः आगमन का निमंत्रण देते हैं। मान्यता है कि इस दिन उचित मुहूर्त में विसर्जन करने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:08 AM से 04:53 AM |
प्रातः सन्ध्या | 04:31 AM से 05:39 AM |
अभिजित मुहूर्त | 11:32 AM से 12:23 PM |
विजय मुहूर्त | 02:04 PM से 02:54 PM |
गोधूलि मुहूर्त | 06:16 PM से 06:39 PM |
सायाह्न सन्ध्या | 06:16 PM से 07:24 PM |
अमृत काल | 02:56 PM से 04:40 PM |
निशिता मुहूर्त | 11:35 PM से 12:20 AM (3 सितम्बर) |
रवि योग | पूरे दिन |
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह पर्व तीन दिनों तक चलता है—पहले दिन गौरी आवाहन, दूसरे दिन गौरी पूजन, और तीसरे दिन गौरी विसर्जन होता है। विसर्जन का अर्थ है माता गौरी को जल में विदाई देना और अगले वर्ष पुनः उनके आगमन का आमंत्रण देना।
माना जाता है कि माता गौरी घर में सुख, शांति, ऐश्वर्य और समृद्धि का वास करती हैं। विसर्जन के दिन माता को विदाई देकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। यह अनुष्ठान परिवार में समर्पण, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।
ॐ गौर्यै नमः
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन के समय शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। विसर्जन से पहले माता गौरी का पूजन कर उन्हें नैवेद्य, फल, पुष्प और श्रृंगार अर्पित करें। माता को विदाई देते समय परिवार के सभी सदस्य मिलकर आरती करें और “पुनः पधारो” का निवेदन करें। विसर्जन जल में करते समय ध्यान रखें कि मूर्ति का विसर्जन पवित्र और स्वच्छ स्थान पर ही हो।
माता के विसर्जन से पहले घर की महिलाओं द्वारा गीत और मंगलगान गाना शुभ माना जाता है। विसर्जन के बाद परिवार में प्रसाद वितरण करना और ज़रूरतमंदों को दान देना भी पुण्यकारी होता है। मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में कभी दरिद्रता नहीं आती।
भक्तों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विसर्जन का कार्य शुभ मुहूर्त में ही करें, क्योंकि समय का पालन करने से पूजा का फल संपूर्ण रूप से प्राप्त होता है। विसर्जन के दौरान मन को सकारात्मक रखें और माता का आभार व्यक्त करें कि उन्होंने पूरे वर्ष घर-परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखी।
तो भक्तों, यह थी ज्येष्ठ गौरी विसर्जन 2025 से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी प्रार्थना है कि माता ज्येष्ठ गौरी की कृपा आप और आपके परिवार पर सदैव बनी रहे, और आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास हो। ऐसी ही धार्मिक और पौराणिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ के साथ।
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