ब्रह्मा चालीसा
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ब्रह्मा चालीसा

ब्रह्मांड के सृजनहार भगवान ब्रह्मा की स्तुति करें श्रद्धा और भक्ति से ब्रह्मा चालीसा के माध्यम से। इसके पाठ से जाग्रत होता है विवेक, विचारशीलता और आध्यात्मिक चेतना।

ब्रह्मा चालीसा के बारे में

ब्रह्मा चालीसा सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा की स्तुति में रचित एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है। इसे पढ़ने से ज्ञान, विचारों में स्पष्टता और रचनात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस लेख में आपको ब्रह्मा चालीसा का पाठ, इसका महत्व, पाठ विधि और इसके लाभों की जानकारी मिलेगी।

ब्रह्मा चालीसा क्या है?

क्या आपने कभी सोचा है कि इस सृष्टि का निर्माण किसने किया? जीवन की शुरुआत कैसे हुई? हिंदू धर्म के अनुसार, ब्रह्मा जी इस ब्रह्मांड के रचयिता हैं, जिन्होंने समस्त जीवन और प्रकृति को अस्तित्व में लाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी कृपा पाने के लिए ब्रह्मा चालीसा एक शक्तिशाली माध्यम है? यह चालीसा न केवल ब्रह्मा जी की महिमा का वर्णन करती है, बल्कि जीवन में नई रचनात्मकता, ज्ञान और सफलता का मार्ग भी खोलती है। अगर आप किसी नए प्रोजेक्ट, व्यवसाय या फिर कोई क्रिएटिव काम की शुरुआत कर रहे हैं, तो ब्रह्मा चालीसा का पाठ आपके लिए वरदान साबित हो सकता है।

ब्रम्हा चालीसा का पाठ क्यों करें?

जब विष्णु जी की पूजा होती है, शिव जी के मंत्रों का जाप किया जाता है, तो ब्रह्मा जी की उपासना क्यों जरूरी है? आइए जानते हैं कि इस चालीसा के पाठ से आपको क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं.......

  • नए कार्य की सफल शुरुआत: चाहे नया व्यवसाय, नौकरी, पढ़ाई या कोई प्रोजेक्ट हो ब्रह्मा चालीसा का पाठ सृजनात्मक शक्ति बढ़ाता है और बाधाओं को दूर करता है।
  • बुद्धि और विवेक में वृद्धि: ब्रह्मा जी ज्ञान के दाता हैं। नियमित पाठ से स्मरण शक्ति, तर्कशक्ति और निर्णय लेने की क्षमता प्रबल होती है।
  • कर्मों में सफलता: जो लोग कला, साहित्य, संगीत या रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े हैं, उन्हें विशेष लाभ मिलता है। ब्रह्मा जी की कृपा से नए विचार और अवसर प्राप्त होते हैं।
  • पितृ दोष और ग्रह दोष शांति: ज्योतिष के अनुसार, ब्रह्मा जी की उपासना से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग: ब्रह्मा चालीसा का नियमित जाप मन को शांत करता है और जीवन के उद्देश्य को समझने में सहायक होता है।

ब्रह्मा चालीसा

॥ दोहा ॥

जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू,

चतुरानन सुखमूल।

करहु कृपा निज दास पै,

रहहु सदा अनुकूल॥

तुम सृजक ब्रह्माण्ड के,

अज विधि घाता नाम।

विश्वविधाता कीजिये,

जन पै कृपा ललाम॥

॥ चौपाई ॥

जय जय कमलासान जगमूला।

रहहु सदा जनपै अनुकूला॥

रुप चतुर्भुज परम सुहावन।

तुम्हें अहैं चतुर्दिक आनन॥

रक्तवर्ण तव सुभग शरीरा।

मस्तक जटाजुट गंभीरा॥

ताके ऊपर मुकुट बिराजै।

दाढ़ी श्वेत महाछवि छाजै॥

श्वेतवस्त्र धारे तुम सुन्दर।

है यज्ञोपवीत अति मनहर॥

कानन कुण्डल सुभग बिराजहिं।

गल मोतिन की माला राजहिं॥

चारिहु वेद तुम्हीं प्रगटाये।

दिव्य ज्ञान त्रिभुवनहिं सिखाये॥

ब्रह्मलोक शुभ धाम तुम्हारा।

अखिल भुवन महँ यश बिस्तारा॥

अर्द्धांगिनि तव है सावित्री।

अपर नाम हिये गायत्री॥

सरस्वती तब सुता मनोहर।

वीणा वादिनि सब विधि मुन्दर॥

कमलासन पर रहे बिराजे।

तुम हरिभक्ति साज सब साजे॥

क्षीर सिन्धु सोवत सुरभूपा।

नाभि कमल भो प्रगट अनूपा॥

तेहि पर तुम आसीन कृपाला।

सदा करहु सन्तन प्रतिपाला॥

एक बार की कथा प्रचारी।

तुम कहँ मोह भयेउ मन भारी॥

कमलासन लखि कीन्ह बिचारा।

और न कोउ अहै संसारा॥

तब तुम कमलनाल गहि लीन्हा।

अन्त बिलोकन कर प्रण कीन्हा॥

कोटिक वर्ष गये यहि भांती।

भ्रमत भ्रमत बीते दिन राती॥

पै तुम ताकर अन्त न पाये।

ह्वै निराश अतिशय दुःखियाये॥

पुनि बिचार मन महँ यह कीन्हा।

महापघ यह अति प्राचीन॥

याको जन्म भयो को कारन।

तबहीं मोहि करयो यह धारन॥

अखिल भुवन महँ कहँ कोई नाहीं।

सब कुछ अहै निहित मो माहीं॥

यह निश्चय करि गरब बढ़ायो।

निज कहँ ब्रह्म मानि सुखपाये॥

गगन गिरा तब भई गंभीरा।

ब्रह्मा वचन सुनहु धरि धीरा॥

सकल सृष्टि कर स्वामी जोई।

ब्रह्म अनादि अलख है सोई॥

निज इच्छा इन सब निरमाये।

ब्रह्मा विष्णु महेश बनाये॥

सृष्टि लागि प्रगटे त्रयदेवा।

सब जग इनकी करिहै सेवा॥

महापघ जो तुम्हरो आसन।

ता पै अहै विष्णु को शासन॥

विष्णु नाभितें प्रगट्यो आई।

तुम कहँ सत्य दीन्ह समुझाई॥

भैतहू जाई विष्णु हितमानी।

यह कहि बन्द भई नभवानी॥

ताहि श्रवण कहि अचरज माना।

पुनि चतुरानन कीन्ह पयाना॥

कमल नाल धरि नीचे आवा।

तहां विष्णु के दर्शन पावा॥

शयन करत देखे सुरभूपा।

श्यायमवर्ण तनु परम अनूपा॥

सोहत चतुर्भुजा अतिसुन्दर।

क्रीटमुकट राजत मस्तक पर॥

गल बैजन्ती माल बिराजै।

कोटि सूर्य की शोभा लाजै॥

शंख चक्र अरु गदा मनोहर।

शेष नाग शय्या अति मनहर॥

दिव्यरुप लखि कीन्ह प्रणामू।

हर्षित भे श्रीपति सुख धामू॥

बहु विधि विनय कीन्ह चतुरानन।

तब लक्ष्मी पति कहेउ मुदित मन॥

ब्रह्मा दूरि करहु अभिमाना।

ब्रह्मारुप हम दोउ समाना॥

तीजे श्री शिवशंकर आहीं।

ब्रह्मरुप सब त्रिभुवन मांही॥

तुम सों होई सृष्टि विस्तारा।

हम पालन करिहैं संसारा॥

शिव संहार करहिं सब केरा।

हम तीनहुं कहँ काज धनेरा॥

अगुणरुप श्री ब्रह्मा बखानहु।

निराकार तिनकहँ तुम जानहु॥

हम साकार रुप त्रयदेवा।

करिहैं सदा ब्रह्म की सेवा॥

यह सुनि ब्रह्मा परम सिहाये।

परब्रह्म के यश अति गाये॥

सो सब विदित वेद के नामा।

मुक्ति रुप सो परम ललामा॥

यहि विधि प्रभु भो जनम तुम्हारा।

पुनि तुम प्रगट कीन्ह संसारा॥

नाम पितामह सुन्दर पायेउ।

जड़ चेतन सब कहँ निरमायेउ॥

लीन्ह अनेक बार अवतारा।

सुन्दर सुयश जगत विस्तारा॥

देवदनुज सब तुम कहँ ध्यावहिं।

मनवांछित तुम सन सब पावहिं॥

जो कोउ ध्यान धरै नर नारी।

ताकी आस पुजावहु सारी॥

पुष्कर तीर्थ परम सुखदाई।

तहँ तुम बसहु सदा सुरराई॥

कुण्ड नहाइ करहि जो पूजन।

ता कर दूर होई सब दूषण॥

ब्रह्मा चालीसा पाठ विधि और नियम

  • ब्रह्मा जी के चित्र/मूर्ति के सामने बैठकर शांत मन से उनका ध्यान करें और संकल्प लें।
  • "मैं ब्रह्मा चालीसा का पाठ अपने कल्याण, सफलता और ज्ञान प्राप्ति के लिए कर रहा हूँ।"
  • मंत्र - "ॐ वेदात्मनाय विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।" का तीन बार जाप करें
  • पाठ के बाद ब्रह्मा जी की आरती करें और प्रार्थना करें।
  • कलश का जल पीपल के पेड़ या मंदिर में चढ़ाएं।
  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) या सूर्योदय के समय पाठ करना सर्वोत्तम है।
  • नियमित 21, 40 या 108 दिनों तक पाठ करें।
  • पाठ करते समय मन शांत और एकाग्र रखें।
  • बुधवार, गुरुवार या संक्रांति/पूर्णिमा के दिन पाठ करने से अधिक फल मिलता है।

ब्रह्मा चालीसा के लाभ

  • ब्रह्मा जी को "ज्ञान और सृजन के देवता" माना जाता है। चालीसा का पाठ करने से मनुष्य की सोचने की क्षमता बढ़ती है, और वह सही निर्णय ले पाने में सक्षम होता है।
  • यह चालीसा उन लोगों के लिए अत्यंत शुभ है जो पढ़ाई, लेखन, कला, शोध या नवाचार से जुड़े हुए हैं।
  • यदि आपका मन अशांत रहता है, विचार भटकते हैं या आप मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो ब्रह्मा चालीसा का नियमित पाठ मन को स्थिर करता है और आंतरिक शांति प्रदान करता है।
  • श्रद्धा से किए गए पाठ से व्यक्ति के जीवन में संचित नकारात्मक कर्मों का क्षय होता है और वह धार्मिक पुण्य अर्जित करता है।
  • ब्रह्मा चालीसा आत्मा को ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ने में मदद करती है। यह ध्यान, साधना और भक्ति के मार्ग को मजबूत करती है।
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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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