अमावस्या विशेष काल भैरव अष्टक यज्ञ
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अमावस्या विशेष काल भैरव अष्टक यज्ञ

temple venue
श्री बटुक भैरव मंदिर, वाराणसी
pooja date
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srimandir devotees
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अब तक2,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

अमावस्या विशेष काल भैरव अष्टक यज्ञ

जीवन से हर प्रकार की आपदाएं-विपत्तियां दूर करने, कुंडली के सभी ग्रहों के अशुभत्व से मुक्ति पाने, शत्रु पर विजय प्राप्त करने, नजरदोष जैसी बाधाओं से छुटकारा पाने, वास्तु दोष के अशुभत्व से निजात पाने, धन-संपत्ति में अपार वृद्धि एवं परिवार में सुख समृद्धि की वृद्धि पाने के लिए काशी के श्री बटुक भैरव मंदिर के आचार्यों द्वारा आश्विन कृष्ण अमावस्या, 14 अक्टूबर 2023, शनिवार को आयोजित अमावस्या विशेष काल भैरव अष्टक महायज्ञ में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें।

पूजा लाभ

puja benefits
धन और व्यापार लाभ
भगवान भैरव के उपासक को किसी भी काम के लिए कभी भी धन की कमी नहीं होती है। उनकी कृपा से व्यापार और नौकरी में विशेष उन्नति होती है।
puja benefits
बुरी नजर से बचाव
श्री भैरव की उपासना करने से बुरी नजर से बचा जा सकता है। बने बनाए काम मेअवरोध, अचानक से बीमार पड़ जाना, कारोबार में आर्थिक नुकसान ये सभी परेशानियों से निजात प्राप्त होता है।
puja benefits
बुरे ग्रहों के दोष दूर
भैरवजी शिवजी का ही रूप है, जिस कारण भैरव की पूजा करने से कुंडली में उपस्थित सभी तरह के ग्रह दोष दूर होते हैं।
puja benefits
आपदा और विपत्ति से सुरक्षा
भैरवजी आने वाली सभी विपत्तियों का नाश करके भक्तों को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं। सर्व आपदा हरण भैरव महापूजा किसी भी परेशानी और नकरात्मक ऊर्जा के प्रभाव को खत्म कर देती है।

पूजा प्रक्रिया

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श्री बटुक भैरव मंदिर,वाराणसी

श्री बटुक भैरव मंदिर,वाराणसी
महादेव की नगरी काशी में भक्तों की पूजा बटुक भैरव के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर में काल भैरव दो रूप में विराजमान है, बटुक भैरव और आदि भैरव। बटुक भैरव, जो कि काल भैरव के बाल रूप है, उनके दर्शन मात्र से सभी आपदाओं तुरंत दूर हो जाती है। आदि भैरव भी काल भैरव के बाल रूप है और उनके दर्शन से राहु केतु सम्बन्धी ग्रह समस्या दूर हो जाती है।

इस मंदिर में पूजा कराने या भाग लेने से सभी ग्रहों की शांति हो सकती है क्यूंकि बटुक भैरव के मस्तक पर सूर्य विद्यमान होने के कारण इन्हें ग्रहों का राजा भी माना गया है। बुधवार और वैशाख शुक्ल त्रयोदशी के दिन हजारों भक्त अपनी मनोकामना लेकर बटुक भैरव की शरण में आते हैं। यहां से कोई भी भक्त कभी खाली नहीं जाता है।

काशी में यह मंदिर अत्यधिक प्राचीन है। काशी दो खंडों में विभक्त है, एक विशेश्वर खंड तो दूसरा केदारेश्वर खंड। दोनों खंडों की सुरक्षा के लिए दो भैरव विराजमान हैं। विशेश्वर खंड की सुरक्षा काल भैरव करते है, केदार खंड की सुरक्षा इसी मंदिर के बटुक भैरव करते है। श्री कृष्ण ने भीम को इंद्रप्रस्थ की रक्षा के लिए यहां तपस्या करने के लिए भेजा था। बटुक भैरव की कृपा से ही इंद्रप्रस्थ की रक्षा संभव हुई। ये बटुक भैरव ही है जो अपने भक्तों की नकारात्मक ऊर्जा, भय एवं शत्रुओं से रक्षा करते हैं।

कैसा रहा श्री मंदिर पूजा सेवा का अनुभव?

क्या कहते हैं श्रद्धालु?
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