कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ
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कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ
कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ
कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ
कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ
कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ
temple venue
शक्तिपीठ मां तारापीठ मंदिर, वीरभूम, पश्चिम बंगाल
pooja date
Warning Infoइस पूजा की बुकिंग बंद हो गई है
srimandir devotees
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अब तक2,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश के लिए मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ

कालाष्टमी, जिसे काला अष्टमी भी कहा जाता है। ये विशेष दिन भगवान शिव के विकराल रूप, भैरव को समर्पित होता है। इस दिन माँ काली की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, क्योंकि माँ काली भी शक्ति का एक उग्र और शक्तिशाली रूप हैं जो नकारात्मकता का नाश करने के लिए प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि कालाष्टमी की रात को देवी काली की उपासना करने का महत्व अधिक है। इस कालाष्टमी पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ मां तारापीठ मंदिर, में होने वाली दिनांक 01 मई 2024, को कालाष्टमी अर्धरात्रि विशेष मां काली तंत्र युक्त महायज्ञ में श्रीमंदिर के माध्यम से भाग लें।

पूजा लाभ

puja benefits
नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा एवं विनाश
मां काली को एक शक्तिशाली रक्षक के रूप में पूजा जाता है जो अपने भक्तों को नुकसान, नकारात्मक ऊर्जा और बुरे प्रभावों से बचाती है। मां काली की पूजा करने से सुरक्षा की भावना प्राप्त होती है। सभी प्रकार की बुरी एवं नकारात्मक शक्तियों के विनाश के लिए मां काली पूजनीय मानी गई हैं। यही कारण है कि मां काली के भक्तों से किसी भी तरह से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है।
puja benefits
सर्व विपत्तिओं से सुरक्षा
मां काली, दस महाविद्या में से एक है। मां काली की पूजा उनके भक्तों के मार्ग से आने वाली बाधाओं एवं नकारात्मकताओं को दूर करने में मददगार होती है। वह प्रगति, सफलता और समृद्धि का रास्ता साफ करती है, जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
puja benefits
भय से मुक्ति
मां काली की विशेष पूजा से भक्तों में साहस के साथ आत्मविश्वास की वृद्धि होती है जिससे उन्हें किसी भी तरह के अनजाने भय से मुक्ति मिलती है। मां काली की तंत्र युक्त महायज्ञ को करने से व्यक्ति को अभय का वरदान प्राप्त होता है, जिससे वो भयमुक्त होकर जीवन में आगे बढता है।
puja benefits
मनोकामनाओं की पूर्ति
माना जाता है कि श्रद्धा से मां काली की पूजा करने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस विशेष महायज्ञ से मां काली अपने भक्तों को आशीर्वाद देने, सकारात्मक परिवर्तन लाने और उनकी हार्दिक आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं।

पूजा प्रक्रिया

Number-0

पूजा चयन करें

4 विभिन्न पूजा पैकेज ऑप्शन से चयन करें।
Number-1

अर्पण जोड़ें

अपनी पूजा के साथ गौ सेवा, वस्त्र दान, दीप दान भी करें। पूजा के लिए भुगतान करें।
Number-2

संकल्प विवरण दर्ज करें

भुगतान के बाद, अपना नाम और गोत्र दर्ज करें।
Number-3

पूजा दिन

अनुभवी पंडितों द्वारा वैदिक प्रक्रिया के अनुसार पूजा होगी। आपको अपने WhatsApp नंबर पर अपडेट्स मिलेंगे।
Number-4

पूजा वीडियो एबं तीर्थ प्रसाद डिलीवरी

अपने पंजीकृत WhatsApp नंबर पर पूजा के 4-5 दिनों में पूजा वीडियो एबं आपके दिए गए पते पर 8-10 दिनों बाद तीर्थ प्रसाद प्राप्त करें ।

शक्तिपीठ मां तारापीठ मंदिर,वीरभूम, पश्चिम बंगाल

शक्तिपीठ मां तारापीठ मंदिर,वीरभूम, पश्चिम बंगाल
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां तारा देवी की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब समुद्र मंथन से जब विष निकला तो उसे भगवान शिव ने ग्रहण किया था। विष ग्रहण करने के बाद भगवान शिव के शरीर में अत्याधिक जलन और पीड़ा होने लगी थी। भगवान शिव को पीड़ा से मुक्त करने के लिए मां काली ने दूसरा स्वरूप धारण किया और भगवान शिव को स्तनपान कराया, जिसके बाद उनके शरीर की जलन शांत हुई थी। तारा देवी मां काली का ही दूसरा स्वरूप है।

पुराणों के अनुसार पश्चिम बंगाल में स्थित श्री तारापीठ मंदिर तंत्र साधना का जागृत स्थल माना जाता है। 10 महाविद्या में दूसरा स्थान रखने वाली मां तारा का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में प्रमुख माना गया है। यूँ तो माँ तारा अपने उग्र रूप के लिए जानी जाती हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में स्थित श्री तारापीठ मंदिर में माँ तारा अपने सौम्य रूप में विराजती हैं।

मान्यता है कि सुदर्शन चक्र से भगवान विष्णु ने मां सती के शरीर के टुकड़े किए थें। उस दौरान माता सती के अंगों में से आंख की पुतली यहां गिरी थी। बांग्ला में आंख की पुतली को तारा कहते हैं और इसलिए इस जगह का नाम तारापीठ पड़ा। मान्यता है कि भक्त वामाखेपा को तारापीठ के समीप महाश्मशान में तारा देवी के दर्शन हुए और सिद्धि प्राप्त हुई थी। यहां पूजा करने से भक्तों के जीवन से सभी तरह की आपदाएं दूर हो जाती हैं।

कैसा रहा श्री मंदिर पूजा सेवा का अनुभव?

क्या कहते हैं श्रद्धालु?
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