जिसका किसी भी प्रकार से क्षय यानि नाश नहीं होता, उसे 'अक्षय' कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी को 'अक्षय नवमी' का व्रत-पर्व मनाया जाता है। मान्यता है की इस दिन माँ पार्वती के अन्नपूर्णा रूप और भगावन शिव के अन्नपूर्णेश्वर रूप की पूजा की जाए तो दरिद्रता, दुःख, शोक, भय तथा रोग सदैव दूर रहते हैं और भक्तों के घर-परिवार में धन, धान्य, समृद्धि और खुशहाली की कभी भी कमी नहीं होती।
धन-धान्य में वृद्धि, निरोगी स्वास्थ्य प्राप्ति, घर-परिवार में खुशहाली प्राप्त करने, दरिद्रता तथा सभी दुःखों से मुक्ति पाने एवं सभी प्रकार के कल्याण की प्राप्ति के लिए, इस वर्ष दिनांक 21 नवंबर 2023, मंगलवार, कार्तिक शुक्ल नवमी यानि की अक्षय नवमी के परम पावन व्रत-पर्व पर, महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित श्री अन्नपूर्णेश्वर महादेव मंदिर के आचार्यों द्वारा धन धान्य की वृद्धि एवं समग्र कल्याण के लिए श्री अन्नपूर्णा महायज्ञ एवं श्री अन्नपूर्णेश्वर महाभिषेक पूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से आप भी इस महापूजा में भाग लेकर माता अन्नपूर्णा सहित श्री अन्नपूर्णेश्वर महादेव जी के शुभाशीष प्राप्त करें।
ऑनलाइन पूजा का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है, तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा।कोई भी समस्या, बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता है।
यदि आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो इस स्थिति मैं आप अपना गोत्र कश्यप मान सकते हैं क्योंकि कश्यप ऋषि एक ऐसे ऋषि थे जिनकी संतान हर जाति में पाई जाती हैं और इसी कारण वे श्रेष्ट ऋषि माने जाते हैं। इन विवरणों का पंडित जी द्वारा पूजा के दौरान जाप किया जाएगा।