हमारी जन्म कुंडली में राहु और केतु की उपस्थिति के कारण जीवन में आर्थिक तनाव, बीमारियां व रोग, पारिवारिक एवं वैवाहिक रिश्तों में मतभेद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। पुराणों में राहु केतु की शांति और नकारात्मक दोष से मुक्ति पाने के लिए राहु केतु पीड़ा शांति महापूजा एवं शिव अभिषेक में भाग लेना सबसे प्रभावशाली माना गया है।
भाद्रपद शुक्ल प्रदोष व्रत की तिथि, 27 सितंबर, 2023 को उज्जैन के मनकामेश्वर मंदिर में राहु-केतु शांति के लिए राहु केतु पीड़ा शांति महापूजा एवं शिव अभिषेक में भाग लें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शिव महाभिषेक और राहु केतु पूजा से अच्छे स्वास्थ्य, असाध्य बीमारियों से सुरक्षा, अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है
ऑनलाइन पूजा का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है, तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा।कोई भी समस्या, बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता है। परन्तु कई बार हम किसी तीर्थ स्थान या सिद्ध मंदिर में स्वयं नहीं जा पाते हैं। तब आप श्री मंदिर पूजा सेवा के साथ पूजा परंपराओं के बारे में उचित ज्ञान रखने वाले पंडितों के माध्यम से अपनी पूजा संपन्न करा सकते हैं।
यदि आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो इस स्थिति मैं आप अपना गोत्र कश्यप मान सकते हैं क्योंकि कश्यप ऋषि एक ऐसे ऋषि थे जिनकी संतान हर जाति में पाई जाती हैं और इसी कारण वे श्रेष्ट ऋषि माने जाते हैं। इन विवरणों का पंडित जी द्वारा पूजा के दौरान जाप किया जाएगा।